रजनीकांत के घर से करोड़ों का कैश बरामद
छापे से सब रह गए हैरान, गिनने के लिए मंगाई गई मशीन
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बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया में जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) रजनीकांत प्रवीण के ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई (विजिलेंस) ने छापेमारी करते हुए करोड़ों की अवैध संपत्ति का खुलासा किया
बिहार राज्य के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया में जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) रजनीकांत प्रवीण के ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई (विजिलेंस) ने एक बड़ी छापेमारी की। इस छापेमारी में अधिकारियों को उनके आवास से इतनी बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई कि नोटों की गिनती करने के लिए मशीनों का सहारा लिया गया। सूत्रों के अनुसार, रजनीकांत प्रवीण के बिस्तर पर बिखरे हुए नोटों के बंडल पाए गए, जो इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि उन्होंने अपनी 20 वर्षों की सेवा के दौरान बड़े पैमाने पर अवैध संपत्ति अर्जित की है। इस पूरे मामले ने बिहार में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को उजागर किया है।
गुरुवार को हुई छापेमारी: पूजा के दौरान दबिश
गुरुवार को विशेष निगरानी इकाई की टीम जब रजनीकांत प्रवीण के घर छापेमारी करने के लिए पहुंची, तब वे पूजा कर रहे थे। लेकिन अधिकारियों को इस दौरान इतनी बड़ी मात्रा में नकदी और अन्य दस्तावेज मिले, जिससे यह साफ हो गया कि उनके द्वारा अर्जित संपत्ति वैध नहीं थी। इसके अलावा, छापेमारी केवल बेतिया तक सीमित नहीं रही; समस्तीपुर और दरभंगा में भी उनके अन्य ठिकानों पर दबिश दी गई। इस छापेमारी में बड़ी मात्रा में नकद और संपत्ति से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी और प्रारंभिक जांच
सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर विशेष निगरानी इकाई ने रजनीकांत प्रवीण के खिलाफ कार्रवाई की। जांच में यह पता चला कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की है। उनकी कमाई और अर्जित संपत्ति में भारी अंतर पाया गया है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, रजनीकांत ने अपनी कुल कमाई से लगभग ₹1.87 करोड़ अधिक संपत्ति जुटाई है, जो किसी भी तरह से उनके वैध आय से मेल नहीं खाती।
रजनीकांत प्रवीण का करियर और सेवा अवधि
रजनीकांत प्रवीण बिहार राज्य शिक्षा विभाग के 45वें बैच के अधिकारी हैं। उन्होंने 2005 में अपनी सेवा की शुरुआत की थी और अपनी सेवा के दौरान वे बिहार के विभिन्न जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारी के रूप में कार्य कर चुके हैं, जिनमें दरभंगा और समस्तीपुर जैसे जिले शामिल हैं। उनकी कुल सेवा अवधि लगभग 19-20 वर्षों की रही है, और इस दौरान उन्होंने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में काम किया, बल्कि अपनी अवैध गतिविधियों के लिए भी चर्चा में रहे।
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रजनीकांत प्रवीण की पत्नी का भी शामिल होना
रजनीकांत प्रवीण की पत्नी सुषुमा कुमारी, जो पहले एक संविदा शिक्षिका थीं, ने बाद में अपनी नौकरी छोड़ दी और ओपन माइंड बिरला स्कूल, दरभंगा की निदेशक के रूप में काम करने लगीं। जांच में यह भी सामने आया कि इस स्कूल को चलाने के लिए रजनीकांत प्रवीण ने अपनी अवैध कमाई का इस्तेमाल किया। यह स्कूल उनके द्वारा अर्जित की गई अवैध संपत्ति का मुख्य स्रोत बताया जा रहा है।
तीन जिलों में छापेमारी और जांच की गति
विजिलेंस की टीम ने बेतिया, समस्तीपुर और दरभंगा में रजनीकांत प्रवीण के ठिकानों पर छापेमारी की, और इस दौरान भारी मात्रा में नकद, दस्तावेज और अन्य संपत्ति बरामद की गई। छापेमारी के दौरान प्राप्त दस्तावेजों से यह साफ हो गया कि उन्होंने अपनी अवैध कमाई से कई संपत्तियां अर्जित की हैं। सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी अभी भी जारी है और इस पूरे मामले की जांच में कई नए पहलू सामने आ सकते हैं।
बिहार में भ्रष्टाचार का बढ़ता हुआ मामला
यह मामला बिहार में सरकारी पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा अवैध संपत्ति अर्जित करने के एक और उदाहरण के रूप में सामने आया है। रजनीकांत प्रवीण पर आरोप है कि उन्होंने अपनी सेवा के दौरान आपराधिक षड्यंत्र रचकर भारी मात्रा में धन कमाया। इस मामले ने बिहार में भ्रष्टाचार की बढ़ती समस्या को उजागर किया है। विशेष निगरानी इकाई की रिपोर्ट के अनुसार, रजनीकांत प्रवीण ने अपनी अवैध संपत्ति से 1.87 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की है, जो उनकी वैध आय से कई गुना अधिक है।
छापेमारी के बाद की संभावित कार्रवाई
विजिलेंस की टीम ने अभी तक बड़ी मात्रा में दस्तावेज और नकदी बरामद की है, और जांच पूरी होने के बाद रजनीकांत प्रवीण पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। इस मामले में कार्रवाई के बाद यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
यह घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि सरकारी पदों का दुरुपयोग किस हद तक किया जा सकता है। रजनीकांत प्रवीण ने अपनी 20 साल की सेवा में बड़े पैमाने पर अवैध संपत्ति अर्जित की, जो न केवल उनके पेशेवर जीवन को दागदार बनाती है, बल्कि सरकारी अधिकारियों की ईमानदारी और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करती है। ऐसे मामलों की जांच और कार्रवाई से यह उम्मीद जताई जा रही है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे और सरकारी सेवा के प्रति लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए कड़ी निगरानी की जाएगी।