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स्वतंत्रता दिवस पर भाषण 2025: छात्रों और शिक्षकों के लिए (15 August Speech)

स्वतंत्रता दिवस पर भाषण 2025: छात्रों और शिक्षकों के लिए एक संपूर्ण और प्रभावशाली स्पीच

लेखक के बारे में:
यह भाषण भारतीय इतिहास के विशेषज्ञ, शिक्षाविद और सार्वजनिक वक्ता, डॉ. अवनीश कुमार (आधुनिक भारतीय इतिहास में पीएचडी) द्वारा तैयार किया गया है। डॉ. कुमार ने पिछले 20 वर्षों में कई शैक्षणिक संस्थानों में स्वतंत्रता दिवस के महत्व पर व्याख्यान दिया है। इस भाषण में दी गई जानकारी एनसीईआरटी की ऐतिहासिक पाठ्यपुस्तकों, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अभिलेखागार, और प्रमुख इतिहासकारों के कार्यों जैसे विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है, ताकि यह न केवल भावनात्मक रूप से प्रेरक हो, बल्कि तथ्यात्मक रूप से भी सटीक और प्रामाणिक हो।


(भाषण की शुरुआत के लिए सुझाव: मंच पर आत्मविश्वास के साथ जाएं, माइक को समायोजित करें, एक गहरी सांस लें, और दर्शकों के साथ आँख से संपर्क बनाते हुए एक ऊर्जावान मुस्कान के साथ शुरुआत करें।)

भाषण का प्रारं

मंच पर उपस्थित आदरणीय मुख्य अतिथि, सम्माननीय प्रधानाचार्य जी, मेरे विद्वान शिक्षकगण, और मेरे प्यारे देशवासी भाइयों और बहनों,

आप सभी को भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक और गौरवपूर्ण शुभकामनाएं!

आज 15 अगस्त की यह सुबह, हर सुबह से अलग है। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की धड़कनों में बसा एक एहसास है। यह एहसास है गर्व का, सम्मान का, और उस स्वतंत्रता का, जिसकी हवा में आज हम सांस ले रहे हैं। आज जब हमारा प्यारा तिरंगा आसमान में अपनी पूरी शान से लहराता है, तो इसकी हर एक लहर हमें उन अनगिनत बलिदानों, उन अथक संघर्षों और उन अमर सपनों की कहानी सुनाती है, जिन्होंने भारत माता को सैकड़ों वर्षों की गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया था।

यह दिन सिर्फ जश्न मनाने का नहीं है, बल्कि यह उन सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करने, उनके त्याग को याद करने और उनके सपनों के भारत पर चिंतन करने का दिन है।

भाग 1: उन बलिदानों को एक सलाम

दोस्तों, यह आजादी हमें किसी ने थाली में सजाकर नहीं दी। इस आजादी की मिट्टी हमारे वीर पूर्वजों के खून और पसीने से सिंची हुई है। 200 वर्षों की लंबी और दर्दनाक गुलामी के दौरान कोई भी दिन ऐसा नहीं था जब भारत के किसी कोने में आजादी की ज्वाला न धधक रही हो।

इस आजादी की नींव रखी है महात्मा गाँधी के अहिंसक सत्याग्रह ने, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सल्तनत को बिना हथियार उठाए घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। इस आजादी को ऊर्जा मिली है नेताजी सुभाष चंद्र बोस के उस जोशीले नारे से – “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा!“। इस आजादी की कीमत चुकाई है शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे उन नौजवान क्रांतिकारियों ने, जिन्होंने हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया ताकि हम आजादी की सुबह देख सकें।

हम कैसे भूल सकते हैं 1857 की क्रांति की उस पहली चिंगारी, मंगल पांडे को? हम कैसे भूल सकते हैं झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता को, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी? हम कैसे भूल सकते हैं सरदार वल्लभभाई पटेल के उस लौह-संकल्प को, जिसने 562 से अधिक बिखरी हुई रियासतों को जोड़कर एक अखंड भारत का निर्माण किया?

यह सूची अंतहीन है – जवाहरलाल नेहरू, डॉ. अंबेडकर, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, और लाखों गुमनाम नायक, जिनकी कहानियाँ शायद इतिहास की किताबों में दर्ज नहीं हैं, लेकिन जिनका योगदान हमारे दिलों में हमेशा अमर रहेगा। आज का दिन उन सभी महान आत्माओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है।


तुलना तालिका: 1947 का भारत बनाम 2025 का भारत

पहलू (Aspect)1947 का भारत (India in 1947)2025 का भारत (India in 2025)
अर्थव्यवस्थाकृषि प्रधान, अत्यंत गरीब, जीडीपी बहुत कम।दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक।
साक्षरता दरलगभग 12%।लगभग 80%।
जीवन प्रत्याशालगभग 32 वर्ष।लगभग 70 वर्ष।
विज्ञान और प्रौद्योगिकीलगभग न के बराबर।चंद्रयान और मंगलयान मिशनों के साथ एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति, आईटी हब।
लोकतंत्रनवजात, नाजुक, भविष्य अनिश्चित।दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे जीवंत और स्थिर लोकतंत्र।
चुनौतियाँविभाजन, गरीबी, भुखमरी, रियासतों का एकीकरण।जनसंख्या, बेरोजगारी, पर्यावरण, भ्रष्टाचार, क्षेत्रीय असमानता।

भाग 2: आजादी के बाद का सफर – कांटों से सितारों तक

15 अगस्त, 1947 की वह सुबह, जब हमारा देश आजाद हुआ, तो वह सिर्फ जश्न का ही नहीं, बल्कि चुनौतियों के एक विशाल पहाड़ का भी सामना करने का दिन था।

  • विभाजन का दर्द: देश का विभाजन एक ऐसी त्रासदी थी जिसने लाखों लोगों को बेघर कर दिया और मानवता के इतिहास के सबसे बड़े विस्थापनों में से एक को जन्म दिया।
  • गरीबी और भुखमरी: अंग्रेजों ने हमें एक ऐसा देश सौंपा था जो आर्थिक रूप से खोखला हो चुका था। करोड़ों लोग गरीबी और भुखमरी में जी रहे थे।
  • अशिक्षा: देश की साक्षरता दर मात्र 12% थी।
  • एकजुटता की चुनौती: 562 से अधिक रियासतों को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के झंडे के नीचे लाना एक असंभव सा कार्य लग रहा था।

लेकिन भारत की आत्मा ने हार नहीं मानी। पिछले 78 वर्षों में, हमने इन चुनौतियों का सामना करते हुए एक असाधारण सफर तय किया है।

आज, हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, जहाँ हर नागरिक को वोट देने का और अपनी सरकार चुनने का अधिकार है। हमारी अर्थव्यवस्था आज दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में गिनी जाती है। कृषि में ‘हरित क्रांति’ ने हमें खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, हमारे ISRO ने चंद्रमा और मंगल तक तिरंगा पहुंचाकर पूरी दुनिया में भारत का लोहा मनवाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में हमने अभूतपूर्व प्रगति की है।

यह सफर आसान नहीं था, लेकिन यह हमारी सामूहिक इच्छाशक्ति, हमारी मेहनत और हमारे लोकतंत्र में हमारे विश्वास का प्रमाण है।

भाग 3: आज की आजादी और हमारी जिम्मेदारी

दोस्तों, हमें यह समझना होगा कि स्वतंत्रता का अर्थ केवल राजनीतिक गुलामी से मुक्ति नहीं है। सच्ची स्वतंत्रता का अर्थ है – गरीबी से स्वतंत्रता, अशिक्षा से स्वतंत्रता, भ्रष्टाचार से स्वतंत्रता, जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसी सामाजिक बुराइयों से स्वतंत्रता।

यह आजादी हमें सिर्फ अधिकार ही नहीं देती, बल्कि हम पर कुछ जिम्मेदारियाँ भी डालती है।

  • एक जिम्मेदार नागरिक होने की जिम्मेदारी: अपने मताधिकार का प्रयोग करना, कानूनों का पालन करना, और अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखना, ये सब हमारी जिम्मेदारियाँ हैं।
  • देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की जिम्मेदारी: हमें उन ताकतों से सावधान रहना होगा जो हमें धर्म, जाति और भाषा के नाम पर बांटने की कोशिश करती हैं। “अनेकता में एकता” ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
  • देश की प्रगति में योगदान देने की जिम्मेदारी: हम चाहे छात्र हों, शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर या किसान, हमें अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करना चाहिए। हमारा हर एक छोटा प्रयास देश के विकास में एक ईंट जोड़ने जैसा है।

HowTo: एक सच्चे देशभक्त के रूप में स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाएं?

स्वतंत्रता दिवस का जश्न सिर्फ झंडा फहराने और देशभक्ति के गीत गाने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए।

चरण 1: इतिहास को जानें और सम्मान करें (Know and Respect the History)
अपने बच्चों और युवा पीढ़ी को हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ सुनाएं। उन्हें बताएं कि यह आजादी कितनी कुर्बानियों के बाद मिली है।

चरण 2: एक सामाजिक कार्य करें (Do a Social Act)
इस दिन कम से कम एक ऐसा काम करें जो देश या समाज के काम आए। आप एक पेड़ लगा सकते हैं, रक्तदान कर सकते हैं, या किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं।

चरण 3: स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दें (Promote Local Products)
‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना को अपनाएं। भारतीय कारीगरों और व्यवसायों द्वारा बनाए गए उत्पादों को खरीदने का संकल्प लें। यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक सीधा तरीका है।

चरण 4: एक बुरी आदत छोड़ने का संकल्प लें (Pledge to Quit a Bad Habit)
सच्ची स्वतंत्रता स्वयं पर विजय पाने में भी है। इस दिन, देश को स्वच्छ रखने के लिए कूड़ा न फैलाने या किसी भी सामाजिक बुराई से दूर रहने का संकल्प लें।

भाग 4: भविष्य का भारत – युवाओं के कंधों पर

मेरे युवा साथियों, आज का भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। हमारी 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। यह आप और हम हैं जो भारत का भविष्य लिखेंगे। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें एक राजनीतिक रूप से स्वतंत्र देश दिया; अब हमारा कर्तव्य है कि हम इसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से एक अग्रणी राष्ट्र बनाएं।

डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और मेक इन इंडिया जैसे अभियान हमें नवाचार करने और दुनिया के लिए समाधान बनाने का एक सुनहरा अवसर प्रदान कर रहे हैं। आइए, हम अपनी ऊर्जा, अपने ज्ञान और अपनी रचनात्मकता का उपयोग एक ऐसे भारत का निर्माण करने के लिए करें जो न केवल आर्थिक रूप से शक्तिशाली हो, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध हो।

भाषण का समापन

तो आइए, आज इस ऐतिहासिक अवसर पर, हम सब मिलकर एक संकल्प लें।

संकल्प लें कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
संकल्प लें कि हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जहाँ कोई भी भूखा, अशिक्षित या असहाय न हो।
संकल्प लें कि हम जाति और धर्म से ऊपर उठकर, केवल एक भारतीय के रूप में एकजुट रहेंगे।
और संकल्प लें कि हम भारत को फिर से विश्व गुरु के उस शिखर पर पहुंचाएंगे जिसका वह हमेशा से हकदार रहा है।

मेरे साथ पूरे जोश से बोलिए –

भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
वंदे मातरम्!

जय हिंद!

(भाषण के अंत में दर्शकों का धन्यवाद करना न भूलें।)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions – FAQs)

प्रश्न 1: हम 2025 में कौन सा स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं?
उत्तर: 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ था। इसलिए, 15 अगस्त, 2025 को भारत अपनी स्वतंत्रता की 78वीं वर्षगांठ मनाएगा, और यह हमारा 79वां स्वतंत्रता दिवस होगा।

प्रश्न 2: स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:

  1. ऊर्जा और जोश: आपकी आवाज में देशभक्ति का जोश झलकना चाहिए।
  2. आँख से संपर्क: दर्शकों के साथ आँख से संपर्क बनाए रखें।
  3. शारीरिक भाषा: अपने हाथों और शरीर का आत्मविश्वास से उपयोग करें।
  4. सरल भाषा: ऐसी भाषा का प्रयोग करें जो सभी को आसानी से समझ में आए।
  5. समय सीमा: दिए गए समय के भीतर अपना भाषण समाप्त करें।

प्रश्न 3: क्या मुझे इस भाषण को शब्दशः याद करना चाहिए?
उत्तर: नहीं। इस भाषण को एक रूपरेखा या ड्राफ्ट के रूप में उपयोग करें। इसके मुख्य बिंदुओं को समझें और फिर उन्हें अपनी शैली, अपने शब्दों और अपने व्यक्तिगत अनुभवों के साथ प्रस्तुत करें। इससे आपका भाषण अधिक स्वाभाविक और प्रभावशाली लगेगा।

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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