हरतालिका तीज 2025: जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व

हरतालिका तीज 2025: अखंड सौभाग्य का महापर्व | जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, संपूर्ण पूजा विधि और व्रत कथा
हरतालिका तीज 2025, हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण और कठिन व्रतों में से एक है। यह पर्व सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि देवी पार्वती की उस असीम तपस्या, प्रेम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जिसके बल पर उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह व्रत, पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार की समृद्धि के लिए रखा जाता है।
इस दिन महिलाएं निर्जला और निराहार रहकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। लेकिन हरतालिका तीज 2025() की सही तारीख क्या है? पूजा का शुभ मुहूर्त कब है? इस कठिन व्रत की सही विधि क्या है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है? आइए, इस लेख में हम इस महापर्व से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी को विस्तार से समझते हैं।
हरतालिका तीज 2025 की सही तारीख और शुभ मुहूर्त
पंचांग की गणना के अनुसार, तिथियों को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसलिए सही तिथि और मुहूर्त जानना अत्यंत आवश्यक है।
हरतालिका तीज की तारीख: 26 अगस्त 2025, मंगलवार
तृतीया तिथि का प्रारंभ: 26 अगस्त 2025 को सुबह 05:43 बजे से
तृतीया तिथि की समाप्ति: 27 अगस्त 2025 को सुबह 08:33 बजे पर
प्रातःकाल पूजा का शुभ मुहूर्त: 26 अगस्त, सुबह 05:57 बजे से सुबह 08:30 बजे तक
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त: 26 अगस्त, शाम 06:48 बजे से रात 09:02 बजे तक
चूंकि व्रत और पूजा के लिए उदया तिथि को ही प्राथमिकता दी जाती है, इसलिए हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त, मंगलवार को ही रखा जाएगा।
क्या है ‘हरतालिका’ का अर्थ और महत्व?
‘हरतालिका’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘हरत’ जिसका अर्थ है ‘अपहरण करना’ और ‘आलिका’ जिसका अर्थ है ‘सहेली’। इस व्रत के पीछे एक बेहद रोचक पौराणिक कथा जुड़ी है।
पौराणिक व्रत कथा: शिव पुराण के अनुसार, देवी पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और उन्हें पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं। उनके पिता, पर्वतराज हिमालय, उनकी इस तपस्या से दुखी थे। उसी समय, देवर्षि नारद भगवान विष्णु का विवाह प्रस्ताव लेकर हिमालय के पास पहुंचे। अपनी पुत्री के लिए इतना अच्छा वर पाकर हिमालय ने तुरंत सहमति दे दी।
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जब माता पार्वती को यह पता चला, तो वह अत्यंत दुखी हो गईं। उन्होंने अपनी एक प्रिय सखी को अपनी पीड़ा बताई और कहा कि उन्होंने अपना जीवन शिव को समर्पित कर दिया है। तब उनकी सखियां उन्हें चुपके से महल से अगवा कर घने जंगल में ले गईं, ताकि उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न कर सकें। जंगल में एक गुफा में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाकर और भी कठोर तपस्या शुरू कर दी। उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया। उनकी इस अविचल भक्ति और कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया।
चूंकि सखियों द्वारा ‘हरत’ करके उन्हें जंगल ले जाया गया था, इसलिए इस व्रत का नाम ‘हरतालिका तीज’ पड़ा।
तुलनात्मक सारणी: हरतालिका, हरियाली और कजरी तीज में अंतर
सावन और भादों के महीने में तीन प्रमुख तीज मनाई जाती हैं, जिन्हें लेकर अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं। आइए, इनके बीच का अंतर समझते हैं।
विशेषता | हरतालिका तीज | हरियाली तीज | कजरी तीज |
समय (माह) | भाद्रपद, शुक्ल पक्ष तृतीया | श्रावण, शुक्ल पक्ष तृतीया | भाद्रपद, कृष्ण पक्ष तृतीया |
व्रत की प्रकृति | सबसे कठिन, निर्जला (बिना पानी के) | सामान्य, सुहागिनें व्रत रखती हैं (जल ग्रहण कर सकती हैं) | सुहागिनें व्रत रखती हैं |
प्रमुख पूजा | रेत/मिट्टी से बने शिव-पार्वती की पूजा | शिव-पार्वती की पूजा, झूला झूलने की परंपरा | नीमड़ी माता की पूजा, गाय की पूजा |
महत्व | अखंड सौभाग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति | प्रकृति, सौंदर्य और प्रेम का उत्सव | पति की लंबी आयु और पारिवारिक सुख |
अन्य नाम | तीजा | छोटी तीज, श्रावणी तीज | बूढ़ी तीज, सातुड़ी तीज |
How-To: हरतालिका तीज की संपूर्ण पूजा विधि (Step-by-Step Guide)
यह एक बहुत ही विधि-विधान वाला व्रत है। इसका पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए सही प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।

आवश्यक पूजा सामग्री:
गीली काली मिट्टी या रेत, बेलपत्र, शमी के पत्ते, केले के पत्ते, धतूरे का फल और फूल, आंकड़े का फूल, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, फल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, शहद, दूध, पंचामृत।
चरण 1: संकल्प और स्नान
- व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें।
चरण 2: पूजा की तैयारी
- पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और केले के पत्तों से एक छोटा मंडप बनाएं।
- एक चौकी पर अक्षत से अष्टदल कमल बनाएं और उस पर एक थाल रखें।
- अब गीली मिट्टी या रेत से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमाएं बनाएं।
चरण 3: षोडशोपचार पूजा
- सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती का आह्वान करें।
- उन्हें आसन, स्नान (पंचामृत और गंगाजल से), वस्त्र, जनेऊ, सुगंध, पुष्प, बेलपत्र, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। इसे षोडशोपचार पूजा कहते हैं।
- माता पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
चरण 4: व्रत कथा का श्रवण
- पूजा के दौरान सभी व्रती महिलाएं एक साथ बैठकर हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनें या पढ़ें। कथा के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है।
चरण 5: आरती और रात्रि जागरण
- कथा के बाद कपूर से भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- इस व्रत में रात भर सोना वर्जित है। महिलाएं रात भर जागकर भजन-कीर्तन करती हैं। मान्यता है कि सच्ची तपस्या का फल तभी मिलता है जब आप आराम का त्याग करें। माता पार्वती ने भी अपनी तपस्या के दौरान सुख-चैन का त्याग कर दिया था।
चरण 6: व्रत का पारण
- अगले दिन सुबह पुनः स्नान कर पूजा करें और माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं।
- ककड़ी और हलवे का भोग लगाकर व्रत का पारण करें। इसके बाद ही जल और अन्न ग्रहण करें।
व्रत के कठोर नियम: क्या करें और क्या न करें
क्या करें (Do’s) | क्या न करें (Don’ts) |
पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ निर्जला व्रत का संकल्प लें। | व्रत के दौरान जल या किसी भी प्रकार के अन्न का सेवन न करें। |
पूजा के लिए हाथ से बनी कच्ची मिट्टी की मूर्तियों का प्रयोग करें। | इस दिन सोना वर्जित है, रात्रि में जागरण करें। |
16 श्रृंगार करें और नए वस्त्र धारण करें। | मन में क्रोध, ईर्ष्या या किसी के प्रति बुरे विचार न लाएं। |
व्रत कथा को ध्यानपूर्वक सुनें और दूसरों को भी सुनाएं। | व्रत रखने वाली महिला को किसी भी बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए। |
एक बार यह व्रत शुरू करने पर इसे हर साल करना अनिवार्य माना जाता है। | व्रत के पारण से पहले पूजा की सामग्री को विसर्जित न करें। |
यह व्रत भाग्य या किस्मत आजमाने जैसा नहीं है, जैसे लोग मनोरंजन के लिए सट्टा किंग जैसे खेलों में लिप्त होते हैं। यह पूर्ण समर्पण और आत्म-नियंत्रण की परीक्षा है। इस दिन का हर क्षण भक्ति और श्रद्धा से भरा होता है, जो बड़े से बड़े महलों जैसे मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया से लेकर एक साधारण झोपड़ी तक में एक समान भाव से मनाया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: क्या कुंवारी लड़कियां हरतालिका तीज का व्रत रख सकती हैं?
उत्तर: जी हाँ, कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा और योग्य पति पाने की कामना के साथ इस व्रत को रख सकती हैं। माता पार्वती ने भी शिवजी को पाने के लिए यह व्रत विवाह से पूर्व ही किया था।
प्रश्न 2: अगर गलती से व्रत टूट जाए तो क्या करें?
उत्तर: यदि अज्ञानतावश या स्वास्थ्य कारणों से व्रत खंडित हो जाए, तो भगवान शिव और माता पार्वती से क्षमा याचना करनी चाहिए और पंडित से सलाह लेकर इसका उचित उपाय करना चाहिए।
प्रश्न 3: हरतालिका तीज का व्रत निर्जला ही क्यों रखा जाता है?
उत्तर: यह व्रत माता पार्वती की कठोर तपस्या का प्रतीक है। उन्होंने भी शिवजी को पाने के लिए अन्न-जल का त्याग कर दिया था। उसी तपस्या और त्याग को महसूस करने के लिए यह व्रत निर्जला रखा जाता है।
प्रश्न 4: क्या गर्भवती या बीमार महिला यह व्रत रख सकती है?
उत्तर: स्वास्थ्य सर्वोपरि है। गर्भवती या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित महिलाओं को यह कठिन निर्जला व्रत रखने से बचना चाहिए। वे फलाहार के साथ इस व्रत को कर सकती हैं या केवल पूजा-पाठ और कथा श्रवण कर सकती हैं।
निष्कर्ष
हरतालिका तीज 2025() केवल एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम, त्याग, समर्पण और अटूट विश्वास का महापर्व है। यह हमें सिखाता है कि सच्चे संकल्प और कठोर परिश्रम से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान और उनके पारिवारिक महत्व को भी दर्शाता है। इस पवित्र दिन पर की गई पूजा और तपस्या से न केवल अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, बल्कि मन को भी अद्भुत शांति और शक्ति मिलती है।
(Disclaimer: यह लेख धार्मिक मान्यताओं, शास्त्रों और पंचांग पर आधारित है। किसी भी पूजा-विधि या व्रत को करने से पहले किसी विद्वान पंडित या विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है।)