पत्र लेखन क्या है ? औपचारिक पत्र और अनऔपचारिक पत्र कैसे लिखे? उदाहरण |
Formal And Informal Letter Format, Example, Definition in Hindi
शिक्षा के सबसे जरूरी पहलुओं में पत्र लेखन एक अनोखी कला है. यह संचार का बेहद ही पुराना और सामान्य तरीका है. यह दूसरे लिखने के तरीको से थोड़ा भिन्न हैं, कारण यह एक विशेष पाठक के लिए एक विशेष प्रयोजन के साथ लिखा जाता है. जब कुछ बातों को बोलकर समझाना कठिन होता है, तब हम उसे एक पत्र के माध्यम से लिखकर समझाने की कोशिश करते है, वह निवेदन भी हो सकता है या शिकायत भी, हम अपने विचारों को पत्र के जरिए सुलभता से रखते है. एक लेटर तब लिखा जाता है जब कुछ दूर बैठे किसी व्यक्ति को कुछ जानकारी पहुंचाना हो. पत्र लेखन के लिए कल्पना और रचनात्मकता, एक योजना और संगठन की आवश्यकता होती है. पत्र की भाषा हमेशा संवादात्मक होनी चाहिए.
पत्र लेखन की आवश्यकता
Table of Contents
जब हम हिंदी भाषा में आगे बढ़ते है तब हमें कुछ आधिकारिक पत्र या गैर-सरकारी पत्र लिखने की आवश्यकता महसूस होती है. मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र में हिंदी पत्र लेखन की आवश्यकता बेहद ही अधिक होती है, हर बात कहने के लिए आपको एक लेटर लिखना ही पड़ता है. इसीलिए ऐसे क्षेत्रों से संबंध रखने वाले व्यक्तियों के लिए हिंदी पत्र लेखन बेहद ही आवश्यक होता है.
आज हमारे पास संचार के कई और भी साधन उपलब्ध है बावजूद हमें पत्र लेखन की आवश्यकता होती है उसका कारण हैं, सरकारी और गेर सरकारी स्थान, जहां मोबाइलफ़ोन, टेलीफोन या दूरसंचार के माध्यम से कही गई सुचना या शिकायत को अस्थायी माना जाता है, वहां सबकुछ लिखित में ही स्वीकार किया जाता है, इसलिए हमें पत्र लेखन आना जरुरी है.
पत्र के प्रकार | Type of Latter
- अनऔपचारिक पत्र (Informal Letter)
- औपचारिक पत्र (Formal Letter)
अनऔपचारिक पत्र (Informal Letter In Hindi)
अनऔपचारिक पत्र, वह पत्र होते है जिसमें आप अपने निजी कार्य या निजी सूचना के लिए लिखते है. इसमें हम जिसे पत्र लिखते है उससे हमारा निजी संबंध होता है, यह कोई भी हो सकता है आपका भाई-बहन, माता-पिता, रिश्तेदार या कोई संबंधी, मित्र-यार आदि. ये पत्र अक्सर हम हाल-चाल या किसी निमंत्रण या फिर किसी अन्य सुचना के लिए लिखते है, इसमें हम अपने शब्दों को अपने मुताबिक इस्तेमाल कर सकते है, शब्दों की संख्या भी असीमित हो सकती है, भाषा की सहजता में भी थोड़ी ढील दी जा सकती है. इस प्रकार के पत्र अनऔपचारिक पत्र कहलाते है.
औपचारिक पत्र (Formal Letter In Hindi)
औपचारिक पत्र, जैसा कि आपकों नाम से ही स्पष्ट हो रहा होगा कि, ये पत्र औपचारिक कार्य से सम्बंधित ही लिखे जाते है, इसमें हम जिसे पत्र लिखते है उससे हमारा कोई निजी संबंध नहीं होता. इस पत्र में आपको एक सहज, सटीक और सही शब्दावली का प्रयोग करना होता है. इन पत्रों में हमेशा काम की बात या स्पष्ट जानकारी संक्षेप में लिखी जाती है. उदाहरण के लिए , प्राथना पत्र, किसी सरकारी विभाग के लिए शिकायती पत्र या आवेदन पत्र आदि औपचारिक पत्र (Formal Letter) कहलाते है.
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Formal Letter, यानि औपचारिक पत्र कई प्रकार के होते है और सभी सभी जगह (सरकारी या निजी) पर संचार के साधन के रूप में उपयोग किया जाता है. कुछ औपचारिक पत्रों के प्रकार हमने निचे उल्लेखित किये है.
- जांच पत्र
- आदेश पत्र
- शिकायत पत्र
- पदोन्नति पत्र
- प्रार्थना पत्र
- कार्यालयी पत्र
- व्यवसायिक पत्र
औपचारिक पत्र कैसे लिखा जाए हिन्दी में पत्र लिखना बहुत अधिक कठिन नहीं है, यह अंग्रेजी से काफी मिलता-जुलता है. मुख्य अंतर महज हिंदी औपचारिक या आधिकारिक शब्दावली का है, औपचारिक पत्र हमेशा खास नियमों में बंधे हुए होते.
लेटर लिखते वक्त हमेशा इन बातो का ख्याल रखे
- प्रारंभिक पैराग्राफ में पत्र लिखने के अपने प्रयोजन का उल्लेख करें।
- अपने पत्र को पैराग्राफ्स में विभाजित करें, ताकि पत्र के विषय को ठीक से समझा और लिखा जा सके
- सभी उचित जानकारी शामिल करें।
- शिकायत लिखते समय भी अपने लेखन में विनम्र रहे.
- कम शब्दों में अपनी बात लिखें.
- सरल हिंदी शब्दों का प्रयोग करें, पत्र लेखन में सरल और सीधी भाषा का प्रयोग करें.
- पत्र लेखन हमेशा साफ-साफ़ शब्दों में होना चाहिए, हमेशा सटीक, संक्षिप्त में लिखे.
औपचारिक पत्र का प्रारूप (Format of Formal letter)
औपचारिक पत्र का प्रारूप एक मानक है यानि यह एक स्टैण्डर्ड को फोलो करता है, और ये स्टैण्डर्ड सभी पर लागू होता है, इसलिए, इसमें शामिल किये गये शब्द अक्सर कठिन और समझने में जटिल हो सकते है. इनका मुख्य उद्देश्य रिसीवर को एक आधिकारिक संदेश भेजना होता है. आपको हमने नीचे बिन्दुओं में औपचारिक पत्र के प्रारूप को समझाने की कोशिश की है, जिनका आपको पत्र लिखते समय पालन करना होगा. हिंदी में औपचारिक पत्र कई प्रकार के होते हैं, जैसे शिकायत पत्र, प्रार्थना/निवेदन पत्र, आदि. लेकिन सभी औपचारिक पत्रों को लिखने का एक सामान्य प्रारूप है, जो इस प्रकार है
- प्रेषक का नाम व पता
- दिनांक
- प्राप्तकर्ता का पता
- विषय (पत्र लिखने का विषय)
- अभिवादन, संबोधन (जैसे सेवा में, डिअर सर, या मेडम)
- पत्र का मुख्य भाग (विषय-वस्तु)
- अंत (सादर, आपका या शुभकामनाएँ, आदि)
- सिग्नेचर लाइन (भेजने वाले का नाम, हस्ताक्षर और पदनाम)
- प्रेषक का नाम = हमेशा अपना पता पत्र के बायीं और सबसे उपर लिखे, उसमे आपको अपना स्ट्रीट एड्रेस, शहर, राज्य, पिन कोड और फ़ोन नंबर भी साथ लिखना होगा.
- दिनांक व अभिवादन =
- दिनांक– हमेशा प्रेषक के निचे लिखी होना चाहिए.
- अभिवादन– अभिवादन हमेशा महोदय, श्रीमान, श्रीमती से शुरू करें.
- विषय और मुख्य भाग=
- विषय- विषय वो होता है जिसकी वजह से आप पत्र लिख रहे है, यानि किस प्रयोजन से पत्र लिखा.
- मुख्य भाग – लेखन को हमेशा पैराग्राफ में विभाजित करें, पत्र में सहज शब्दावली, सही वर्तनी और विराम चिह्न शामिल होना चाहिए. पैरा का उपयोग करने के पीछे का कारण पढ़ने वाले की दिलचस्पी बनाए रखना और एक बिंदु को दूसरे से अलग करना है.
- पहला पैराग्राफ जिसे इंट्रोडक्शन के रूप में भी देखा जाता है, संक्षिप्त होना चाहिए और पहले पैराग्राफ में ही पत्र के उद्देश्य या विषय का उल्लेख करना चाहिए ताकि पाठक पत्र लिखने के पीछे आपके इरादों के बारे में जान सके.
- बीच के पैराग्राफ को पत्र का मुख्य भाग भी कहा जाता है और इसमें पहले पैरा में बताए गए उद्देश्य से संबंधित विवरण होना चाहिए.
- अंतिम पैराग्राफ जिसे निष्कर्ष के रूप में भी जाना जाता है, उसमें कार्रवाई के बारे में बात करनी चाहिए, जो आप पत्र प्राप्त करने वाले से करवाना चाहते है. जितना हो सके आखिरी पैराग्राफ में रिक्वेस्टिंग टोन बनाए रखें.
- अंत यानि एक औपचारिक पत्र की समाप्ति = पत्र का अंत एक उपयुक्त समापन कथन के साथ करें, जैसे- आपका विश्वासपूर्वक, आपकी प्रिय, भवदीय, प्रार्थी आदि। इसके निचे अपने हस्ताक्षर और पूरे नाम को लिखे, हस्ताक्षर करना यह दर्शाता है कि आप प्राप्तकर्ता को उच्च सम्मान से देखते हैं.
- सिग्नेचर लाइन= इसमें हमेशा प्रेषक को अपने नाम व हस्ताक्षर के साथ अपने पद को भी शामिल करना चाहिए (अगर आप किसी कंपनी में कार्यरत है तो), इससे प्राप्तकर्ता को आपके बारे में जानने में सुविधा रहती है.
नीचे, हमने सभी प्रकार के औपचारिक पत्रों, उनके उद्देश्य और उनसे संबंधित उदाहरणों का विस्तार से बताया है. इन्हें ध्यान से पढ़ें, समझें कि सभी पत्र एक दूसरे से कैसे अलग हैं.
औपचारिक पत्र के उदाहरण (Example of Formal Letter)
1. जांच पत्र (Inquiry Latter)
इस पत्र को लिखने के पीछे का एजेंडा किसी चीज या किसी के बारे में जानकारी जुटाना है. इसमें आपको यह बताना होगा कि आप प्रेषक से कोई विशेष जानकारी चाह रहे हैं.
संकेत बिंदु
- हमेशा अपने बारे में संक्षिप्त इंट्रोडक्शन के साथ शुरुआत करें.
- पत्र से संबंधित संगठन का नाम जरुर लिखे.
- जांच क्षेत्र का विवरण दें.
2. आर्डर लैटर (Order Latter)
आर्डर लैटर मूल रूप किसी भी आर्डर से सम्बंधित होता हैं, जहां प्रेषक किसी विशेष वस्तु का आर्डर दे रहा है.
संकेत बिंदु
- खरीद के आदेश में माल की मात्रा, मॉडल नंबर जैसी पूरी जानकारी सहित आदेश का विवरण स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए.
- शिपिंग से संबंधित उचित जानकारी का उल्लेख करें जैसे शिपिंग का तरीका, शिपिंग स्थान और माल भेजने की वांछित तिथि स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए.
- भुगतान संबंधी पूछताछ भी स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए जिसमें भुगतान का तरीका, भुगतान की तारीख या भुगतान के संबंध में नियम और शर्तें शामिल हैं.
3. शिकायती पत्र (Complaint Letter)
शिकायत पत्र आमतौर पर प्राप्तकर्ता को उन मुद्दों से अवगत कराने के लिए लिखते है जिनसे आप गुजर कर रहे हैं और आप उनसे उन मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने की उम्मीद कर रहे हैं.
संकेत बिंदु
- शिकायत पत्र में विनम्र और सही शब्दों का प्रयोग करें.
- शिकायत का विस्तार से उल्लेख करें, पाठक को समस्या के बारे में पूरी जानकारी होनी.
- उस कार्रवाई के बारे में स्पष्ट करे जो आप प्राप्तकर्ता से चाहते हैं, इसका मतलब यह होगा कि आप समस्या को नहीं बता रहे, बल्कि आप इसका समाधान बता रहे है.
- यदि इससे पहले कोई शिकायत की हो तब पिछली शिकायत के विवरण सहित पूरी जानकारी प्रदान करें.
- कोई भी ऐसी प्रति, रसीद जो आपकी शिकायत से संबध रखती है, का एक नमूना संलग्न करें
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