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होली पर हिन्दी निबंध | Holi Essay In Hindi

प्यार के रंगों से भरा यह रंगीन पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुरानी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे को रंग लगाकर गले मिलते है।

होली पर हिन्दी निबंध | Holi Essay In Hindi
Holi Essay In Hindi : होली हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है। यह प्रतिवर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर सभी धर्म के लोग उत्साह और उमंग के साथ मनाते है। प्यार के रंगों से भरा यह रंगीन पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुरानी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे को रंग लगाकर गले मिलते है। बच्चे और युवा विभिन्न रंगों से खेलते हैं। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाएं जाने के एक दिन पूर्व रात्रि में होली जलाई जाती है।
इसके पीछे एक बहुत ही लोकप्रिय पौराणिक कथा है। भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु को बिल्कुल पंसद नहीं करते थे, जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं मानें। जिससे आक्रोश में आकर उन्होंने प्रह्लाद को मारने का अनेक बार प्रयास किया। प्रह्लाद के पिता ने अंत में अपनी बहन होलिका से सहायता मांगी। क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई।

Holi Essay In Hindi

यह कथा इस बात का संकेत करती है की बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं, और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं। यह त्योहार रंगों का त्योहार है। इस दिन लोग प्रात:काल उठकर रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्व रखता है।
वह एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठाते हैं। सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं। घरों में औरतें एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि बनाती हैं व अपने पास-पड़ोस में आपस में बांटती हैं। कई लोग होली की टोली बनाकर निकलते हैं उन्हें हुरियारे कहते हैं। ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।
वर्तमान समय में अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का इस्तेमाल नहीं होता है। केमिकल से निर्मित रंगों से त्वचा को नुकसान पहुंचता है।यह सरासर गलत है। इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में घाव भी हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर मनाना चाहिए।
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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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