विवाह बाधा दूर करने का मंत्र | Vivah Badha Dur karne ka Mantra in Hindi

विवाह बाधा या शादी के विग्न दूर करने का मंत्र (बेटी और बेटे दोनों के लिए) | Vivah Badha ke Upay aur Mantra | vivah mantra in sanskrit

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं में ऐसा माना जाता है कि कात्यायनी मंत्र में जन्म कुंडली में मौजूद कुजा या मंगल दोष को दूर करने की अपार शक्ति है. मांगलिक दोष न केवल विवाह बाधा उत्पन्न करता हैं, बल्कि एक खुशहाल विवाहित जीवन में अनेकों परेशानियां भी पैदा करता है. इस प्रकार कात्यायनी मंत्र उन लोगों के लिए एक प्रभावी मंत्र है जिनकी शादी देरी से होती है. विवाह के लिए कात्यायनी मंत्र भागवत पुराण से उत्पन्न हुआ है. भगवान श्रीकृष्ण जी को पति के रूप में पाने के लिए ‘गोपियों’ ने माँ कात्यायनी का पूजन किया था. प्रेम विवाह में किसी भी तरह की अड़चन दूर करने और जल्द से जल्द विवाह करने के लिए कन्याएं देवी कात्यायनी की सच्ची श्रद्धा से पूजन करती हैं.

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विवाहित जोड़े भी अपने विवाहित जीवन को खुशहाल बनाने और मन चाहे संतान प्राप्ति करने के लिए कात्यायनी मंत्र के नियमित जाप से लाभ उठा सकते हैं. कात्यायनी मंत्र जब पूरे विश्वास के साथ सुनाया जाता है, तो कन्या की शादी के लिए एक उपयुक्त पति खोजने में मदद करता है. कात्यायनी मंत्र उन जोड़ों के लिए भी बहुत फायदेमंद है जो प्यार में हैं, लेकिन माता-पिता की अस्वीकृति जैसे विभिन्न कारणों से शादी करने में सक्षम नहीं हैं

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कात्यायनी मंत्र (Katyayani Mantra)

 

।।ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ।। ।। ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ।। 

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥

 

विलंबित विवाह के लिए पार्वती मंत्र (Parvati Mantra)

 

हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया ।
तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम ॥
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विलंबित विवाह के लिए सूर्य मंत्र (Surya Mantra )

 

ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे॥
 

विवाह हेतु मंत्र (Vivah ke liye Mantra)

 

ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीस्वरि ।नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः ।। 

ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि। विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ।।

ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।

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