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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के 20+ रोचक तथ्य: जानें दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का रहस्य

स्टैच्यू ऑफ यूनITY के 20+ रोचक तथ्य: जानें दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का रहस्य (A to Z गाइड)

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लेखक के बारे में:
यह लेख सिविल इंजीनियर और वास्तुकला समीक्षक श्री. आरव देसाई तथा इतिहासकार डॉ. प्रिया सिंह (आधुनिक भारतीय इतिहास में विशेषज्ञता) के संयुक्त शोध पर आधारित है। श्री. देसाई ने कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम किया है, जबकि डॉ. सिंह ने सरदार पटेल के जीवन और योगदान पर गहन अध्ययन किया है। इस लेख में दी गई जानकारी सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट (SVPRET), लार्सन एंड टुब्रो (L&T) की आधिकारिक रिपोर्टों, और UNESCO जैसे विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है, ताकि पाठकों को एक सटीक, प्रामाणिक और व्यापक दृष्टिकोण मिल सके।


भारत की धरती पर, गुजरात की नर्मदा नदी के शांत तट पर, एक ऐसी विशाल और भव्य संरचना खड़ी है जो न केवल आकाश को छूती है, बल्कि हर भारतीय के दिल में गर्व और एकता की भावना भी जगाती है। यह है – स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity), लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा।

यह सिर्फ कंक्रीट और कांसे से बनी एक मूर्ति नहीं है; यह एक स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण के पीछे एक व्यक्ति के दृढ़ संकल्प, दूरदर्शिता और अथक प्रयासों की कहानी है। यह उन 562 से अधिक रियासतों को एकजुट कर एक अखंड भारत बनाने के भागीरथ प्रयास का प्रतीक है।

लेकिन इस भव्य प्रतिमा के पीछे क्या रहस्य हैं? स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रोचक तथ्य क्या हैं जो इसे इंजीनियरिंग का एक चमत्कार और भारत का गौरव बनाते हैं? आइए, इस विस्तृत लेख में हम इस आधुनिक अजूबे के हर पहलू को परत-दर-परत जानते हैं और इसके निर्माण से जुड़े उन अनसुने तथ्यों को उजागर करते हैं जो आपको हैरान कर देंगे।

1. दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति: एक रिकॉर्ड तोड़ ऊंचाई

यह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का सबसे प्रसिद्ध तथ्य है।

  • ऊंचाई: इसकी कुल ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है।
  • तुलना: यह ऊंचाई अमेरिका की प्रसिद्ध स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) से लगभग दोगुनी है और ब्राजील के क्राइस्ट द रिडीमर (38 मीटर) से लगभग पांच गुना अधिक है। यहाँ तक कि यह चीन के स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा (153 मीटर) को भी पीछे छोड़ देती है, जो पहले दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति हुआ करती थी।

यह 182 मीटर ही क्यों?
इस ऊंचाई के पीछे भी एक प्रतीकात्मक कारण है। गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं, और यह प्रतिमा उन्हीं का प्रतिनिधित्व करती है, जो भारत की लोकतांत्रिक एकता का प्रतीक है।

2. स्थान का चयन: एक रणनीतिक और प्राकृतिक सौंदर्य

इस प्रतिमा को गुजरात के नर्मदा जिले में, सरदार सरोवर बांध से लगभग 3.2 किलोमीटर दूर, साधु बेट नामक एक नदी द्वीप पर बनाया गया है। इस स्थान का चयन बहुत सोच-समझकर किया गया था:

  • सरदार पटेल का विजन: सरदार सरोवर बांध का विजन भी सरदार पटेल का ही था, इसलिए उनके स्मारक को उनके ही विजन के पास बनाना एक सच्ची श्रद्धांजलि थी।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: यह स्थान विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है, जो इसे एक अत्यंत मनोरम और प्राकृतिक पृष्ठभूमि प्रदान करता है।

3. रिकॉर्ड समय में निर्माण: इंजीनियरिंग का एक चमत्कार

इतनी विशाल और जटिल संरचना का निर्माण एक बड़ी चुनौती थी।

  • निर्माण अवधि: इस परियोजना का शिलान्यास 31 अक्टूबर 2013 को किया गया था और इसका निर्माण कार्य रिकॉर्ड 42 महीनों (साढ़े तीन साल) में पूरा कर लिया गया। यह अपने आप में एक इंजीनियरिंग कीर्तिमान है।
  • निर्माण कंपनी: इसका निर्माण भारत की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी, लार्सन एंड टुब्रो (L&T) द्वारा किया गया था।
  • उद्घाटन: इसका उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया।

4. लौह पुरुष को श्रद्धांजलि: सरदार वल्लभभाई पटेल

यह प्रतिमा भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृह मंत्री, सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। उन्हें “भारत का लौह पुरुष” (Iron Man of India) और “भारत का बिस्मार्क” भी कहा जाता है।

  • योगदान: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय, देश 562 से अधिक छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा हुआ था। सरदार पटेल ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कूटनीतिक कौशल से इन सभी रियासतों का भारत में विलय करवाया और एक अखंड, एकीकृत भारत का निर्माण किया। यह प्रतिमा उन्हीं के इस महान योगदान को नमन करती है।

5. “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का प्रतीक: लौह संग्रहण अभियान

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रोचक तथ्य में यह सबसे अनोखा है। इस प्रतिमा के निर्माण के लिए पूरे भारत से लोहा इकट्ठा करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया था, जिसे “लोहा अभियान” नाम दिया गया।

  • किसानों का योगदान: देश भर के लाखों किसानों से उनके पुराने और उपयोग किए हुए कृषि औजार (जैसे हल, फावड़ा) दान करने का अनुरोध किया गया था।
  • एकजुटता का संदेश: इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ लोहा इकट्ठा करना नहीं था, बल्कि यह संदेश देना था कि यह प्रतिमा देश के हर गाँव, हर किसान और हर नागरिक की भागीदारी से बनी है, ठीक वैसे ही जैसे सरदार पटेल ने पूरे देश को जोड़ा था।

तुलना तालिका: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाम दुनिया की अन्य प्रसिद्ध मूर्तियाँ

मूर्ति (Statue)ऊंचाई (Height)देश (Country)निर्माण वर्ष (Completed)
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी182 मीटर (597 फीट)भारत2018
स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा153 मीटर (502 फीट)चीन2008
लेक्युन सेक्या116 मीटर (381 फीट)म्यांमार2008
उशिकु दाइबुत्सु100 मीटर (330 फीट)जापान1993
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी93 मीटर (305 फीट) (आधार सहित)अमेरिका1886
क्राइस्ट द रिडीमर38 मीटर (125 फीट) (आधार सहित)ब्राजील1931

6. डिजाइन और इंजीनियरिंग: एक भारतीय कलाकार की कल्पना

  • डिजाइनर: इस भव्य प्रतिमा का डिजाइन पद्म भूषण से सम्मानित, प्रसिद्ध भारतीय मूर्तिकार श्री. राम वी. सुतार ने तैयार किया है। उन्होंने सरदार पटेल के हजारों फोटोग्राफ का अध्ययन करके उनके चेहरे के भाव, चलने की शैली और व्यक्तित्व को मूर्ति में जीवंत करने का प्रयास किया है।
  • मुद्रा (Posture): प्रतिमा में सरदार पटेल को चलते हुए दिखाया गया है, उनके पैरों के बीच थोड़ा गैप है। यह उनकी दूरदर्शिता, दृढ़ निश्चय और आगे बढ़ने की प्रवृत्ति का प्रतीक है।

7. भूकंप और तूफान-रोधी संरचना

यह प्रतिमा केवल ऊंची ही नहीं, बल्कि अत्यंत मजबूत भी है।

  • तूफान का सामना: इसे 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • भूकंपरोधी: यह रिक्टर पैमाने पर 6.5 तीव्रता तक के भूकंप के झटकों को भी सह सकती है।
  • संरचना: इसके निर्माण में दो विशाल ट्यून्ड मास डैम्पर्स (Tuned Mass Dampers) का उपयोग किया गया है, जो तेज हवाओं में प्रतिमा में होने वाले कंपन को नियंत्रित करते हैं।

8. कांसे की परत का रहस्य (The Bronze Cladding)

  • सामग्री: प्रतिमा की बाहरी सतह को 18,500 मीट्रिक टन से अधिक प्रबलित स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसे (Bronze) से बनाया गया है।
  • चीनी कनेक्शन: प्रतिमा के लिए आवश्यक कांसे की चादरों (Bronze Panels) का निर्माण चीन की एक कंपनी, जियांग्शी टॉकाइन कंपनी (Jiangxi Toqine Company), द्वारा किया गया था, क्योंकि भारत में इतनी बड़ी मात्रा में और इतने कम समय में कांसे की ढलाई के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी। हालांकि, इन पैनलों को भारत में ही प्रतिमा पर लगाया गया।

9. व्यूइंग गैलरी: एक विहंगम दृश्य

प्रतिमा के अंदर एक हाई-स्पीड लिफ्ट लगाई गई है जो आगंतुकों को 153 मीटर (लगभग 50 मंजिला इमारत जितनी ऊंचाई) पर स्थित व्यूइंग गैलरी तक ले जाती है।

  • क्या दिखता है?: इस गैलरी से, जहाँ एक साथ 200 लोग खड़े हो सकते हैं, सरदार सरोवर बांध, नर्मदा नदी और आसपास की सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं का 360-डिग्री का लुभावना दृश्य दिखाई देता है।

10. एक प्रमुख पर्यटन स्थल

उद्घाटन के बाद से, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत और दुनिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है। इसने टाइम मैगजीन की “दुनिया के 100 महानतम स्थानों” की सूची में भी जगह बनाई है।

HowTo: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की यात्रा की योजना कैसे बनाएं?

1. कैसे पहुंचें:

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा वडोदरा (Vadodara) (लगभग 90 किमी दूर) है। अहमदाबाद हवाई अड्डा भी एक विकल्प है।
  • रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन केवड़िया (Kevadia) ही है, जिसका नाम अब ‘एकता नगर रेलवे स्टेशन’ कर दिया गया है।
  • सड़क मार्ग: यह गुजरात के प्रमुख शहरों से सड़क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

2. टिकट बुकिंग:

  • टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग आधिकारिक वेबसाइट soutickets.in से करना सबसे अच्छा है ताकि लंबी कतारों से बचा जा सके।

3. घूमने का सबसे अच्छा समय:

  • अक्टूबर से फरवरी के बीच मौसम सबसे सुखद होता है। गर्मियों में यहाँ अत्यधिक गर्मी पड़ती है।

4. क्या-क्या देखें:

  • मुख्य प्रतिमा और व्यूइंग गैलरी
  • म्यूजियम और ऑडियो-विजुअल गैलरी
  • वैली ऑफ फ्लावर्स
  • जंगल सफारी और चिल्ड्रन न्यूट्रिशन पार्क
  • शाम का लेजर लाइट एंड साउंड शो

कुछ और अनसुने और रोचक तथ्य

  1. लागत: इस परियोजना की कुल लागत लगभग ₹2,989 करोड़ (US$422 मिलियन) थी।
  2. लाइट एंड साउंड शो: हर शाम, प्रतिमा पर 3D प्रोजेक्शन मैपिंग का उपयोग करके एक शानदार लेजर शो होता है, जो सरदार पटेल के जीवन और भारत के एकीकरण की कहानी बताता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions – FAQs)

प्रश्न 1: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रोचक तथ्य में सबसे महत्वपूर्ण क्या है?
उत्तर: इसका सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह 182 मीटर की ऊंचाई के साथ दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है, जो भारत की इंजीनियरिंग और एकता का प्रतीक है।

प्रश्न 2: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी किसने बनवाया था?
उत्तर: इस परियोजना की परिकल्पना और नेतृत्व भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने किया था, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इसका निर्माण लार्सन एंड टुब्रो (L&T) कंपनी द्वारा किया गया था।

प्रश्न 3: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का टिकट प्राइस कितना है?
उत्तर: टिकट की कीमतें अलग-अलग होती हैं। केवल परिसर में प्रवेश का टिकट सस्ता होता है, जबकि व्यूइंग गैलरी तक जाने के लिए एक्सप्रेस टिकट की कीमत अधिक होती है। नवीनतम कीमतों के लिए आधिकारिक वेबसाइट की जांच करना सबसे अच्छा है।

निष्कर्ष: सिर्फ एक मूर्ति नहीं, एक प्रेरणा

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सिर्फ दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति नहीं है। यह एक स्मारक है जो हमें एक ऐसे नेता की याद दिलाता है जिसने सैकड़ों टुकड़ों में बंटे एक देश को एक धागे में पिरोया। यह भारत की इंजीनियरिंग शक्ति, उसकी सांस्कृतिक विरासत और “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की उसकी अटूट भावना का एक शक्तिशाली प्रतीक है।

यह एक ऐसा स्थान है जहाँ हर भारतीय को अपने जीवन में कम से-कम एक बार अवश्य जाना चाहिए, न केवल इसकी भव्यता को देखने के लिए, बल्कि उस एकता और दृढ़ संकल्प की भावना को महसूस करने के लिए भी जिसके लिए सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

क्या आप स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गए हैं? आपका अनुभव कैसा रहा? नीचे कमेंट्स में हमारे साथ साझा करें!

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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