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नवदुर्गा: माँ दुर्गा के 9 रूपों का संपूर्ण रहस्य, कथा, मंत्र और आध्यात्मिक महत्व | Navdurga Names

नवदुर्गा: माँ दुर्गा के 9 दिव्य रूप, जानें हर स्वरूप का गहरा आध्यात्मिक रहस्य, कथा और महत्व

Table of Contents

Navdurga Name in Hindi – “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते॥” – यह मंत्र केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि उस आदिशक्ति के प्रति संपूर्ण समर्पण का भाव है, जो मंगल में भी मंगल हैं, जो शिव की शक्ति हैं और सभी अर्थों को सिद्ध करने वाली हैं। नवरात्रि का नौ दिवसीय महापर्व इसी आदिशक्ति, माँ दुर्गा के नौ विशिष्ट और दिव्य स्वरूपों की आराधना का महापर्व है, जिन्हें हम श्रद्धापूर्वक नवदुर्गा कहकर पुकारते हैं।

ये नौ रातें केवल भूखे-प्यासे रहकर उपवास करने का समय नहीं हैं; यह आत्म-चिंतन, ऊर्जा-संचय और चेतना के रूपांतरण की एक गहन आध्यात्मिक यात्रा है। माँ दुर्गा का प्रत्येक स्वरूप हमारे जीवन के एक विशेष चरण, एक अनूठे गुण और एक गहरे दार्शनिक रहस्य को उजागर करता है। यदि माँ शैलपुत्री हमें हिमालय की तरह दृढ़ रहना सिखाती हैं, तो माँ ब्रह्मचारिणी हमें तपस्या और संयम का मार्ग दिखाती हैं। यदि माँ चंद्रघंटा हमारे विचलित मन को एकाग्र करती हैं, तो माँ कालरात्रि हमारे भीतर के सभी अंधकारों और भयों का संहार करती हैं।

यह जानना अत्यंत रोचक है कि देवी दुर्गा के नौ रूपों की यह अवधारणा केवल पौराणिक कथाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव चेतना के विकास के नौ चरणों का भी प्रतीक है। आइए, इस लेख में हम नवदुर्गा की इस दिव्य यात्रा में गहराई से उतरते हैं और प्रत्येक देवी के नाम, स्वरूप, कथा, मंत्र और उनके पीछे छिपे जीवन बदलने वाले संदेशों को विस्तार से समझते हैं।

नवदुर्गा: नौ देवियों के नाम और स्तुति

महाज्ञानी ब्रह्मा जी द्वारा वर्णित नवदुर्गा के नौ नाम इस प्रसिद्ध श्लोक में समाहित हैं:

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ॥नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।


नवरात्रि और दुर्गा पूजा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण लेख


1. माँ शैलपुत्री (Shailaputri in Hindi) – चेतना का शिखर

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष की पुत्री सती के रूप में, उन्होंने अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण योगाग्नि में आत्मदाह कर लिया था। अगले जन्म में, उन्होंने पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। ‘शैल’ अर्थात पर्वत की पुत्री होने के कारण वे ‘शैलपुत्री’ कहलाईं।
  • स्वरूप: माँ शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत सौम्य और शांत है। वे वृषभ (बैल) पर सवार हैं, जो दृढ़ता और धर्म का प्रतीक है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल (सत, रज, तम गुणों का संतुलन) और बाएं हाथ में कमल (पवित्रता और निर्लिप्तता) सुशोभित है।
  • आध्यात्मिक महत्व: योग और दर्शन में, माँ शैलपुत्री को मूलाधार चक्र की देवी माना जाता है। वे चेतना के उस सर्वोच्च शिखर का प्रतीक हैं, जहाँ से आध्यात्मिक यात्रा का आरंभ होता है। जैसे पर्वत अचल और दृढ़ होता है, वैसे ही माँ शैलपुत्री की पूजा साधक को अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ और स्थिर रहने की शक्ति प्रदान करती है। वे हमें सिखाती हैं कि महानता की शुरुआत हमेशा धरती से जुड़कर, अपनी जड़ों को मजबूत करके ही होती है।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:

2. माँ ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini in Hindi) – तपस्या और संयम

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: माँ शैलपुत्री ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक अत्यंत कठोर तपस्या की। इस कठिन तप के कारण ही उनका नाम ‘ब्रह्मचारिणी’ पड़ा। उन्होंने केवल फल-फूल और फिर सूखे पत्ते खाकर, और अंत में निराहार रहकर तप किया, जिससे तीनों लोक कांप उठे।
  • स्वरूप: वे नंगे पैर चलती हुई, श्वेत वस्त्र धारण किए हुए एक तपस्विनी का स्वरूप हैं। उनके दाहिने हाथ में जप की माला (एकाग्रता) और बाएं हाथ में कमंडल (त्याग) है।
  • आध्यात्मिक महत्व: माँ ब्रह्मचारिणी स्वाधिष्ठान चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनका स्वरूप हमें सिखाता है कि किसी भी महान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तपस्या, संयम और अटूट समर्पण आवश्यक है। वे ज्ञान और वैराग्य की देवी हैं। छात्रों और साधकों के लिए उनकी पूजा अत्यंत फलदायी होती है, क्योंकि यह मन को अनुशासित करती है और एकाग्रता को बढ़ाती है।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:

3. माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta in Hindi) – वीरता और सौम्यता का संगम

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: भगवान शिव से विवाह के उपरांत, देवी पार्वती ने अपने मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र धारण किया। इसी कारण वे ‘चंद्रघंटा’ के नाम से विख्यात हुईं।
  • स्वरूप: यह देवी का अद्भुत स्वरूप है, जो सौम्यता और वीरता का संगम है। वे स्वर्ण के समान कांतिवान हैं, सिंह पर आरूढ़ हैं, और उनकी दस भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र (जैसे त्रिशूल, गदा, तलवार) और कमल का फूल है। उनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को निर्भयता प्रदान करता है।
  • आध्यात्मिक महत्व: माँ चंद्रघंटा मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं। चंद्रमा हमारे मन की चंचलता का प्रतीक है, और घंटा उस नाद का प्रतीक है जो सभी ध्वनियों को एकाग्र कर देता है। माँ चंद्रघंटा हमें अपने विचलित मन को एकाग्र कर, अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत करने और निर्भय होकर राक्षसी प्रवृत्तियों (क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या) का सामना करने की प्रेरणा देती हैं।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:

4. माँ कूष्मांडा (Kushmanda in Hindi) – ब्रह्मांड की रचयिता

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर केवल अंधकार था, तब देवी ने अपनी मंद, दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। ‘कु’ (थोड़ा), ‘ऊष्मा’ (ऊर्जा) और ‘अंडा’ (ब्रह्मांडीय अंडा) से मिलकर बने उनके नाम का यही अर्थ है। वे ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं।
  • स्वरूप: इनकी आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें ‘अष्टभुजा देवी’ भी कहा जाता है। वे सिंह पर विराजमान हैं और सूर्यमंडल के भीतर निवास करती हैं। ब्रह्मांड का सारा तेज उन्हीं के शरीर से निकलता है।
  • आध्यात्मिक महत्व: माँ कूष्मांडा अनाहत (हृदय) चक्र की देवी हैं। वे हमें सिखाती हैं कि हमारे भीतर भी ब्रह्मांड की रचना करने वाली ऊर्जा समाहित है। उनकी पूजा से साधक के सभी रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं और उसे आयु, यश, बल और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:

5. माँ स्कंदमाता (Skandamata in Hindi) – वात्सल्य की देवी

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: देवताओं के सेनापति, भगवान कार्तिकेय (जिन्हें ‘स्कंद’ भी कहा जाता है) की माता होने के कारण देवी के पांचवें स्वरूप को ‘स्कंदमाता’ कहा जाता है।
  • स्वरूप: वे अपनी गोद में बाल रूप स्कंद को लिए हुए कमल के आसन पर विराजमान हैं (पद्मासना)। उनकी चार भुजाएं हैं और उनका वाहन भी सिंह है।
  • आध्यात्मिक महत्व: माँ स्कंदमाता विशुद्धि चक्र को नियंत्रित करती हैं। यह स्वरूप माँ के वात्सल्य, प्रेम और करुणा का प्रतीक है। वे हमें सिखाती हैं कि सच्ची शक्ति केवल युद्ध में नहीं, बल्कि प्रेम और पालन-पोषण में भी है। उनकी पूजा से साधक को ज्ञान और क्रिया (Knowledge and Action) दोनों का संतुलन प्राप्त होता है और संतान संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमतायै नम:

6. माँ कात्यायनी (Katyayani in Hindi) – धर्म की योद्धा

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया, तब त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के तेज से एक दिव्य शक्ति का प्राकट्य हुआ। इस शक्ति की सबसे पहले पूजा महर्षि कात्यायन ने की, जिस कारण वे ‘कात्यायनी’ कहलाईं। इन्होंने ही महिषासुर का संहार किया।
  • स्वरूप: यह देवी का उग्र और योद्धा स्वरूप है। वे स्वर्ण के समान चमकीली हैं, सिंह पर सवार हैं और उनकी चार भुजाओं में तलवार, कमल और अभय व वरद मुद्राएं हैं।
  • आध्यात्मिक महत्व: माँ कात्यायनी आज्ञा चक्र की देवी हैं। वे धर्म की स्थापना के लिए क्रोध के सकारात्मक उपयोग का प्रतीक हैं। वे हमें अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। गोपियों ने भी भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए इन्हीं की पूजा की थी, अतः इनकी पूजा से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:

7. माँ कालरात्रि (Kalratri in Hindi) – अंधकार का नाश

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: रक्तबीज नामक राक्षस का वध करने के लिए देवी ने यह अत्यंत भयानक रूप धारण किया था। रक्तबीज के रक्त की हर बूंद से एक नया राक्षस पैदा हो जाता था, तब देवी ने उसके रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही पी लिया।
  • स्वरूप: इनका रंग घने अंधकार के समान काला है, बाल बिखरे हुए हैं, और वे गर्दभ (गधे) पर सवार हैं। इनकी तीन नेत्रों से अग्नि की ज्वालाएं निकलती हैं।
  • आध्यात्मिक महत्व: माँ कालरात्रि का रूप भले ही भयंकर हो, लेकिन वे हमेशा शुभ फल देने वाली हैं, इसलिए उनका एक नाम ‘शुभंकरी’ भी है। वे हमारे भीतर के अंधकार, अज्ञान, भय और नकारात्मकता का नाश करती हैं। उनकी पूजा से साधक सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और तंत्र-मंत्र बाधाओं से मुक्त हो जाता है।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:

8. माँ महागौरी (Mahagauri in Hindi) – पवित्रता और शांति

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: कठोर तपस्या के कारण जब देवी पार्वती का वर्ण काला पड़ गया था, तब भगवान शिव ने उन्हें गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया। इससे उनका शरीर विद्युत प्रभा के समान अत्यंत गौर (सफेद) और कांतिमान हो गया, और वे ‘महागौरी’ कहलाईं।
  • स्वरूप: इनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और पवित्र है। वे आठ वर्ष की आयु की प्रतीत होती हैं। उनके वस्त्र और आभूषण भी सफेद हैं और उनका वाहन वृषभ है।
  • आध्यात्मिक महत्व: माँ महागौरी की पूजा से भक्तों के सभी संचित पाप, कष्ट और दुख धुल जाते हैं। वे शांति, पवित्रता और सात्विकता की प्रतीक हैं। अष्टमी के दिन इनकी पूजा का विशेष महत्व है।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:

9. माँ सिद्धिदात्री (Siddhidatri in Hindi) – संपूर्णता की देवी

Navdurga Name in Hindi
  • पौराणिक कथा: ‘सिद्धि’ (अलौकिक शक्ति) और ‘दात्री’ (देने वाली)। यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से सभी आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं और इन्हीं देवी ने शिव को ‘अर्धनारीश्वर’ का स्वरूप प्रदान किया था।
  • स्वरूप: वे कमल के पुष्प पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और पद्म हैं।
  • आध्यात्मिक महत्व: माँ सिद्धिदात्री सहस्रार चक्र की अधिष्ठात्री हैं। वे साधना की संपूर्णता और परम ज्ञान का प्रतीक हैं। इनकी पूजा करने से साधक को जीवन में कुछ भी अप्राप्य नहीं रहता और उसे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, चारों की प्राप्ति होती है।
  • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:

निष्कर्ष

माँ दुर्गा के 9 रूप (Navdurga Name in Hindi) वास्तव में एक ही आदिशक्ति के नौ अलग-अलग भाव और शक्तियां हैं। यह हमें एक संपूर्ण जीवन जीने का मार्ग दिखाते हैं – शैलपुत्री की दृढ़ता से शुरू होकर, ब्रह्मचारिणी की तपस्या से गुजरते हुए, और अंत में सिद्धिदात्री की संपूर्णता को प्राप्त करना। नवरात्रि का यह पर्व हमें इन सभी दिव्य गुणों को अपने भीतर खोजने और सम्मान करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

(Disclaimer: यह लेख धार्मिक ग्रंथों, पुराणों और मान्यताओं पर आधारित है।)

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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