मांग में सिंदूर लगाने का फायदा । mang main sindoor lagane ka fayda
मांग में सिंदूर सजाना सुहागिनों का प्रतीक माना जाता हैं. यह जहां मंगलदायी माना जाता है, सिंदूर लगाने से महिलाओं के सौंदर्य में भी निखार आ जाता है. मांग में सिंदूर सजाना एक वैवाहिक संस्कार भी है. शरीर-रचना विज्ञान के अनुसार सौभाग्यवती स्त्रियां मांग में जिस स्थान पर सिंदूर सजाती हैं, वह स्थान ब्रह्मरंध्र और अहिम नामक मर्मस्थल के ठीक ऊपर है. स्त्रियों का यह मर्मस्थल बेहद ही कोमल होता है.
बेहद ही मर्मस्थल की सुरक्षा के लिए सुहागिनें मांग में सिंदूर लगाती हैं. सिंदूर में पारा की मात्रा होती है. इस कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं और स्त्री के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना हमेशा चमकती रहती है. किसी भी कुंवारी के विवाह के बाद सारी गृहस्थी का दबाव स्त्री पर आता है.
ऐसे में आमतौर पर उसे तनाव, चिंता, अनिद्रा आदि कई बीमारियां घेर लेती हैं. सिंदूर में पारा नामक धातु होता है जो तरल रूप में रहता है, यह इंसान के मष्तिष्क की गर्मी को नियंत्रित रखता है. इसलिए विवाह के बाद मांग में सिंदूर भरे जाने की रस्म होती है.
यदि आप एक हिन्दू धर्म से हैं और एक विवाहित स्त्री भी हैं, तो सिंदूर के महत्व को भली भांति समझ सकती हैं. यह हमें आपको समझाने की जरूरत नहीं है. हिन्दू धर्म की महिलाओं के लिए सिंदूर किसी भी बेश्कीमती वस्तु से बढ़कर नहीं है. सिंदूर के अलावा मंगलसूत्र भी उन्हें किसी भी अन्य मूल्यवान वस्तु से अधिक प्रिय है. महंगे से महंगे अभूषण भी उनके लिए मंगलसूत्र के आगे कम हैं. धार्मिक मान्यताएं और उनका विश्वास ही है, जो इन चीजों को इतना अधिक महत्व देता है.
किंतु क्या आपने कभी सिंदूर के बारे में गहराई से जाना है? उसका इतना महत्व क्यों है और उसका प्रयोग विवाहित महिलाओं के लिए इतना आवश्यक क्यों है, इन सभी सवालों का जवाब ही सिंदूर को महत्वपूर्ण बनाता है. आज हम लेख के जरिए सिंदूर से जुड़ी ऐसी रोचक बातें बताएंगे जो शायद ही आपने पहले कभी जानी होंगी.
इस बात से तो हम सभी भली भांति परिचित हैं कि, हिन्दू महिलाओं के लिए सिंदूर सुहाग की निशानी होती है. इसे वह अपने पति की आयु से जोड़ती हैं. विवाहित होकर भी सिंदूर ना लगाना अनिष्ठ का संकेत माना जाता है. सिंदूर उस महिला के लिए रिवाज और मान्यताओं के नाम पर भी जरूरी हो जाता है. किंतु आज हमारा सामना कुछ ऐसे तथ्यों से हुआ है जो कहते हैं सिंदूर क्यों और कैसे लगाया जाए, यह ध्यान देने योग्य बात है.
ये तथ्य ज्योतिषीय एवं सामाजिक मान्यताओं, दोनों पर केंद्रित हैं, लेकिन अंत में इसके पीछे का पौराणिक महत्व भी हम आपको लेख के जरिए समझाएंगे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यदि पत्नी के मांग के बीचो-बीच सिंदूर लगा हुआ है, तो उसके पति की अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है. किवदंति है कि यह सिंदूर उसके पति को संकट से बचाता है.
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार जो स्त्री अपने मांग के सिंदूर को बालों में छिपा लेती है, उसका पति समाज में भी छिप जाता है. उसके पति का सम्मान दरकिनार कर देता है. इसलिए यह कहा जाता है कि सिंदूर लंबा और ऐसे लगाएं कि सभी को दिखे.
एक और मान्यता के अनुसार जो स्त्री बीच मांग में सिंदूर लगाने की बजाय किनारे की तरफ सिंदूर लगाती है, उसका पति उससे किनारा कर लेता है. इन पति-पत्नी के आपसी रिश्तों में दराद पैदा होने लगती है. शायद इस मान्यता से आप पहले ही परिचित हो चुके होंगे, जिसके अनुसार यदि स्त्री के बीच मांग में सिन्दूर भरा है और सिंदूर भी काफी लंबा लगाती है, तो उसके पति की आयु लंबी होती है.
यदि सुहागिन महिला ने बीच मांग में सिन्दूर भरा है और सिंदूर भी काफी लंबा लगाती है, तो उसके पति की आयु लंबी होती है. इस वजह से सुग्रीव ने बालि से काफी मार खाई और किसी तरह अपनी जान बचाते हुए वह श्रीराम के पास पहुंचा और यह सवाल किया कि उन्होंने बालि को क्यों नहीं मारा. जिस पर श्रीराम ने कहा कि तुम्हारी और बालि की शक्ल एक सी है, इसलिए मैं भ्रमित हो गया और वार ना कर सका. लेकिन असल में यह पूरी सत्यता नहीं हैं.
क्योंकि भगवान श्रीराम किसी को पहचान ना सकें, ऐसा नहीं हो सकता. उनकी दृष्टि से कोई नहीं बच सकता.
असल सच्चाई तो यह थी कि जब श्रीराम बालि को मारने ही वाले थे तो उनकी नजर अचानक बालि की पत्नी तारा की मांग पर पड़ी, जो कि सिंदूर से भरी हुई थी. इसलिए उन्होंने सिंदूर का सम्मान करते हुए बालि को तब नहीं मारा.
लेकिन अगली बार जब उन्होंने यह पाया कि बालि की पत्नी स्नान कर रही है, तो मौका पाते ही उन्होंने बालि को मार गिराया. इसी कहानी के आधार पर यह मान्यता बनी हुई है कि जो पत्नी अपनी मांग में सिंदूर भरती है, उसके पति की आयु लंबी होती है.
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