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महात्मा गांधी की पालतू बकरी का क्या नाम था? (2024)

महात्मा गांधी की पालतू बकरी का क्या नाम था? (2024) Gandhiji Ki Bakri Ka Naam Kya Tha

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। क्योंकि भारतीय मुद्रा पर ही इनका फोटो आसानी से देखा जा सकता है। भारतीय स्कूलों में प्राथमिक विद्यालय से राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी के किस्से और उनकी स्वतंत्रता की लड़ाई की बातें पढ़ाई जाती है। महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है। इनका पूरा नाम “मोहनदास करमचंद गांधी” है, उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई है।

भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने वालों की सूची में राष्ट्रपिता गांधी का नाम प्रमुख स्थान पर है। गांधी जी ने आजादी की लड़ाई के लिए कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया, खास बात यह है कि, इन्होंने बिना हिंसा के ही आजादी प्राप्त करने के लिण् आंदोलन किए थे।

महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े भिन्न-भिन्न प्रकार के किस्से और कहानियां प्रचलित हैं। आज की युवा पीढ़ी महात्मा गांधी के बारे में प्रत्येक छोटी बड़ी बातें और किस्से व कहानियां जानना चाहते हैं, जिनमें एक किस्सा महात्मा गांधी का उनके पालतू बकरी से भी जुड़ा हुआ है।

दोस्तों क्या आपको महात्मा गांधी की पालतू बकरी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी है या उनके पालतू बकरी का नाम पता है? यदि नहीं तो इस रोचक आर्टिकल को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें। इसमें हम आपको महात्मा गांधी के पालतू बकरी का नाम और उससे जुड़ी तमाम जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

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Gandhiji Ki Bakri Ka Naam Kya Tha

Gandhiji Ki Bakri Ka Naam Kya Tha

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पालतू बकरी का नाम “निर्मला” था। महात्मा गांधी अपनी बेहद ही प्रिय पालतू बकरी को निर्मला नाम से पुकारते थे। यही नहीं करीब-करीब प्रत्येक जगह वह अपने इस पालतू बकरी को साथ लेकर जाते थे। महात्मा गांधी इसी बकरी का दूध पिया करते थे।

आप में से बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि, पूर्व में महात्मा गांधी मांसाहारी थे, मांस का सेवन करते थे। लेकिन बाद में उन्होंने मांसाहर त्याग दिया और अहिंसक बन गए और जानवरों का मांस खाना बंद कर दिया। तभी उन्होंने दूध पीना भी बंद कर दिया था, लेकिन जब वे बीमार पड़े तो डॉक्टरों की सलाह के बाद बकरी का दूध पीना शुरू किया था।

महात्मा गांधी किस बकरी का दूध पीते थे?

महात्मा गांधी अपने पालतू बकरी का दूध पीते थे, लेकिन उससे पहले उन्होंने दूध पीना छोड़ दिया था। क्योंकि उससे पहले वे मांस खाते थे और दूध भी पीते थे। परंतु बदलते समय के साथ उन्होंने खुद को बदलाव और अहिंसक बन गए। जिसके बाद उन्होंने जानवरों पर हिंसा करना छोड़ दिया और यहां तक कि दूध पीना भी छोड़ दिया था।

उनका कहना था कि दूध भी जानवरों का मांस खाने के बराबर है। लेकिन जब वे बीमार पड़े तब डॉक्टरों ने उन्हें दूध पीने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने अपने पालतू बकरी निर्मला का दूध पीना शुरु कर दिया था।

महात्मा गांधी की पालतू बकरी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें

  • महात्मा गांधी अपनी पालतू बकरी को हमेशा अपने साथ रखते थे ताकि उन्हें हर जगह पर ताजा दूध मिल सके।
  • 1931 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन गांधीजी निर्मला को साथ लेकर गये थे।
  • यह भी माना जाता है कि महात्मा गाँधी की बकरी को बादाम और काजू खाने को दिए जाते थे लेकिन इसमें कितनी सत्यता है इसकी जानकारी नहीं है।
  • गाँधी जी के पास दो बकरियां थी, जिसमें एक का रंग काला था और एक का रंग सफ़ेद था।
  • गाँधी जी ने निर्मला को अपने साथ लगभग 7 वर्षों तक रखा।
  • सरोजिनी नायडू ने गांधीजी की बकरियों को लेकर कहा था कि यह देश के लिए महंगा पड़ रहा है।

गांधी जयंती पर भाषण विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया है कि महात्मा गांधी की पालतू बकरी का नाम क्या था?, महात्मा गांधी किस बकरी का दूध पीते थे?, महात्मा गांधी ने दूध पीना क्यों छोड़ दिया था और फिर से दूध पीना क्या शुरू किया? इस बारे में भी पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल में बताई है।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए जरूरी होगी साबित हुई होगी। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। हमें आपके प्रश्नों का जवाब देने में बेहद ही खुशी होगी।

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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