क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी? जानें श्री कृष्ण जन्म की पूरी कथा, कारण और इसका महत्व

क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी? जानें श्री कृष्ण जन्म की पूरी कथा, कारण और इसका महत्व
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरा भारतवर्ष “हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की!” के जयकारों से गूंज उठता है। यह दिन है भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव, यानी जन्माष्टमी का। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं, मंदिरों को सजाते हैं, दही-हांडी का उत्सव मनाते हैं और मध्यरात्रि में कान्हा के जन्म का जश्न मनाते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? इस पर्व के पीछे की अद्भुत कथा क्या है? और इसका हमारे जीवन में क्या आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व है? यह पर्व केवल भगवान के जन्मदिन का उत्सव नहीं, बल्कि यह धर्म की स्थापना, बुराई पर अच्छाई की जीत, और निस्वार्थ प्रेम का एक महान प्रतीक है।
इस लेख में, हम आपको भगवान श्री कृष्ण के जन्म की संपूर्ण और अद्भुत कथा विस्तार से बताएंगे और इस पर्व के गहरे महत्व को परत-दर-परत समझेंगे। तो चलिए, इस आध्यात्मिक यात्रा पर निकलते हैं और जानते हैं जन्माष्टमी मनाने के पीछे के वास्तविक कारण को।

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? (The Primary Reason for Celebrating Janmashtami)
जन्माष्टमी का पर्व मुख्य रूप से भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उनका जन्म पृथ्वी को मथुरा के अत्याचारी राजा कंस के पापों और अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए हुआ था। भगवान कृष्ण का अवतार धर्म की पुनर्स्थापना (धर्मसंस्थापनार्थाय) और अधर्म के विनाश के उद्देश्य से हुआ था, जैसा कि उन्होंने स्वयं भगवद्गीता में कहा है:
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ [1]
इसका अर्थ है: “हे भारत, जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म की रक्षा, दुष्टों के विनाश और साधुओं के उद्धार के लिए स्वयं को प्रकट करता हूँ।”
श्री कृष्ण के जन्म की अद्भुत कथा (The Miraculous Story of Lord Krishna’s Birth)
भगवान कृष्ण के जन्म की कथा अत्यंत रोचक और दिव्य चमत्कारों से भरी है। इसका वर्णन श्रीमद्भागवत पुराण में विस्तार से मिलता है।
1. आकाशवाणी और कंस का भय
द्वापर युग में, मथुरा का राजा कंस एक अत्यंत क्रूर और अत्याचारी शासक था। वह अपनी चचेरी बहन देवकी से बहुत स्नेह करता था और उसने देवकी का विवाह यदुवंशी राजा वासुदेव के साथ धूमधाम से करवाया। जब कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल विदा कर रहा था, तभी एक भयंकर आकाशवाणी हुई:
“हे कंस, जिस बहन को तू इतने प्रेम से विदा कर रहा है, उसी की आठवीं संतान तेरे मृत्यु का कारण बनेगी।”
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2. देवकी और वासुदेव का कारागार
यह आकाशवाणी सुनते ही कंस भयभीत हो गया और उसने देवकी को मारने के लिए तलवार उठा ली। तब वासुदेव ने उसे वचन दिया कि वे अपनी हर संतान को जन्म लेते ही कंस को सौंप देंगे। कंस ने यह बात मान ली और देवकी और वासुदेव दोनों को मथुरा के एक अंधकारमय कारागार में डाल दिया। कंस ने एक-एक करके देवकी की पहली छः संतानों को जन्म लेते ही निर्दयता से मार डाला।
3. सातवें गर्भ का रहस्य (बलराम का जन्म)
जब देवकी सातवीं बार गर्भवती हुईं, तो भगवान विष्णु ने अपनी योगमाया को आदेश दिया कि वह देवकी के गर्भ को वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दें, जो गोकुल में नंद बाबा के यहां रह रही थीं। इस प्रकार, शेषनाग के अवतार, बलराम जी का जन्म हुआ। कंस को लगा कि देवकी का सातवां गर्भ नष्ट हो गया है।
4. भगवान श्री कृष्ण का दिव्य जन्म
इसके बाद, जब देवकी ने आठवीं संतान के रूप में गर्भ धारण किया, तो कारागार में एक दिव्य प्रकाश फैल गया। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, घनघोर वर्षा वाली तूफानी मध्यरात्रि में, रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण ने चतुर्भुज रूप में माता देवकी और पिता वासुदेव को दर्शन दिए। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म थे।
5. यमुना का चमत्कार और गोकुल की यात्रा
भगवान के आदेश पर वासुदेव ने उन्हें एक टोकरी में रखकर गोकुल में अपने मित्र नंद बाबा के घर पहुंचाने का निश्चय किया। चमत्कारिक रूप से, कारागार के ताले अपने आप खुल गए, सभी पहरेदार गहरी नींद में सो गए। जब वासुदेव कृष्ण को लेकर यमुना नदी के पास पहुंचे, तो उफनती हुई यमुना ने भी उन्हें रास्ता दे दिया और शेषनाग ने अपने फनों से कान्हा को वर्षा से बचाया।
6. नंद और यशोदा के घर आगमन
उसी समय, गोकुल में नंद बाबा की पत्नी यशोदा ने भी एक कन्या को जन्म दिया था, जो स्वयं योगमाया थीं। वासुदेव ने कृष्ण को यशोदा के पास सुला दिया और उस कन्या को लेकर वापस मथुरा के कारागार में आ गए। कारागार के द्वार पहले की तरह बंद हो गए।
जब कंस को आठवीं संतान के जन्म का समाचार मिला, तो वह उसे भी मारने आया। लेकिन जैसे ही उसने उस कन्या को पत्थर पर पटकना चाहा, वह उसके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई और बिजली के रूप में कड़ककर बोली, “हे मूर्ख कंस, तुझे मारने वाला तो गोकुल में जन्म ले चुका है!”
इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण का लालन-पालन गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा के घर हुआ और बाद में उन्होंने कंस का वध करके पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया।
जन्माष्टमी का महत्व (Significance of Janmashtami)
जन्माष्टमी का पर्व केवल एक कथा नहीं है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक, सामाजिक और दार्शनिक महत्व है।
महत्व का प्रकार | विवरण |
आध्यात्मिक महत्व | यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि चाहे अंधकार कितना भी घना क्यों न हो, सत्य और धर्म का प्रकाश अंततः विजयी होता है। यह ईश्वर में हमारी आस्था को मजबूत करता है। |
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व | जन्माष्टमी का त्योहार लोगों को एक साथ लाता है। दही-हांडी जैसे उत्सव एकता, टीम वर्क और लक्ष्य प्राप्ति का संदेश देते हैं। यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखता है। |
दार्शनिक महत्व | भगवान कृष्ण का जीवन हमें सिखाता है कि जीवन की हर भूमिका (एक पुत्र, मित्र, प्रेमी, योद्धा, गुरु) को पूरी निष्ठा और आनंद के साथ कैसे निभाया जाए। गीता का ज्ञान हमें कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग का मार्ग दिखाता है। |
व्यक्तिगत जीवन में महत्व | यह हमें सिखाता है कि जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और विश्वास नहीं खोना चाहिए। जिस तरह वासुदेव-देवकी ने कारागार में उम्मीद नहीं छोड़ी, उसी तरह हमें भी मुश्किलों का सामना करना चाहिए। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं, इसका मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: जन्माष्टमी मनाने का मुख्य कारण भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव मनाना है, जिनका जन्म पृथ्वी को अत्याचारी राजा कंस से मुक्त कराने और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए हुआ था।
प्रश्न 2: भगवान कृष्ण का जन्म जेल में क्यों हुआ था?
उत्तर: एक आकाशवाणी ने कंस को बताया था कि उसकी बहन देवकी की आठवीं संतान उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। इस डर से, कंस ने देवकी और उनके पति वासुदेव को जेल में डाल दिया था। इसी कारण कृष्ण का जन्म जेल (कारागार) में हुआ।
प्रश्न 3: जन्माष्टमी का व्रत क्यों रखा जाता है?
उत्तर: भक्तगण भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने, उनकी कृपा प्राप्त करने और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं। माना जाता है कि यह व्रत सहस्त्र पापों का नाश करता है।
प्रश्न 4: कृष्ण जन्माष्टमी का सबसे महत्वपूर्ण संदेश क्या है?
उत्तर: इसका सबसे महत्वपूर्ण संदेश है “बुराई पर अच्छाई की विजय” और “धर्म के मार्ग पर चलना”। यह हमें सिखाता है कि निस्वार्थ कर्म करते हुए जीवन की हर चुनौती का सामना करना चाहिए।
निष्कर्ष
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की कला का एक अध्याय है। श्री कृष्ण के जन्म की कथा हमें सिखाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत क्यों न हों, आशा, विश्वास और धर्म का मार्ग हमें हमेशा विजय की ओर ले जाता है। यह त्योहार हमें भगवान कृष्ण के दिव्य प्रेम, उनके नटखट बाल रूप और उनके द्वारा दिए गए गीता के अमर ज्ञान का स्मरण कराता है।
इसलिए, जब भी हम जन्माष्टमी मनाएं, तो हमें इसके पीछे के गहरे अर्थ और महत्व को भी समझना चाहिए। यह हमें एक बेहतर इंसान बनने और जीवन को सही दिशा में ले जाने की प्रेरणा देता है।
जय श्री कृष्णा!
संदर्भ और प्रेरणा स्रोत (References & Sources of Inspiration)
- श्रीमद् भगवद्गीता (Bhagavad Gita) – अध्याय 4, श्लोक 7-8.
- श्रीमद्भागवत पुराण (Srimad Bhagavatam / Bhagavata Purana) – स्कंध 10.
- Iskcon – International Society for Krishna Consciousness. (n.d.). The Story of Lord Krishna’s Appearance.