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खजुराहो मंदिर का रहस्य: 20+ अनसुने और रोचक तथ्य (Khajuraho Temples)

खजुराहो मंदिर का रहस्य: 20+ अनसुने और रोचक तथ्य (A to Z गाइड)

लेखक के बारे में:
यह लेख इतिहासकार डॉ. मीरा Kulkarni (प्राचीन भारतीय कला और वास्तुकला में पीएचडी), पुरातत्वविद् श्री. आलोक रंजन, और धर्मशास्त्री आचार्य वेदांत शर्मा के संयुक्त शोध और विश्लेषण पर आधारित है। इस लेख में दी गई जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)UNESCO World Heritage Centre, और प्रमुख ऐतिहासिक ग्रंथों जैसे विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है, ताकि पाठकों को एक प्रामाणिक, गहन और विश्वसनीय दृष्टिकोण मिल सके।


भारत के हृदय, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में, विंध्य पर्वत श्रृंखला की गोद में स्थित है एक ऐसा स्थान जो समय के पार जाकर आज भी कला, आध्यात्मिकता और मानवीय भावनाओं की एक अनूठी गाथा सुनाता है – खजुराहो (Khajuraho)। यह सिर्फ मंदिरों का एक समूह नहीं है; यह पत्थरों पर उकेरी गई एक जीवंत कविता है, जो चंदेल राजवंश के गौरव, उनके कला-प्रेम और जीवन के प्रति उनके गहरे दार्शनिक दृष्टिकोण का प्रमाण है।

खजुराहो मंदिर का रहस्य और इसकी कामुक मूर्तियां दुनिया भर के पर्यटकों, इतिहासकारों और कला प्रेमियों के लिए हमेशा से ही आकर्षण और जिज्ञासा का केंद्र रही हैं। लेकिन क्या खजुराहो सिर्फ इन मूर्तियों तक ही सीमित है? इन मूर्तियों के पीछे का असली दर्शन क्या है? यह भव्य मंदिर परिसर जंगल में सदियों तक कैसे छिपा रहा?

आइए, इस विस्तृत लेख में हम खजुराहो मंदिर के रहस्य की परतों को खोलते हैं और इससे जुड़े 20 से अधिक उन अनसुने और रोचक तथ्यों को जानते हैं जो आपको इस अद्भुत धरोहर को एक नई दृष्टि से देखने पर मजबूर कर देंगे।

खजुराहो का इतिहास: चंदेलों का गौरवशाली युग

खजुराहो मंदिर का रहस्य समझने के लिए, हमें पहले इसके निर्माताओं, चंदेल राजवंश, को समझना होगा।

  • निर्माण काल: इन मंदिरों का निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच, लगभग 100 वर्षों की अवधि में, शक्तिशाली चंदेल राजाओं द्वारा किया गया था।
  • चंदेल कौन थे?: चंदेल मध्यकालीन भारत के एक प्रमुख राजपूत राजवंश थे, जिन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र पर शासन किया। वे न केवल महान योद्धा थे, बल्कि कला और वास्तुकला के महान संरक्षक भी थे। राजा यशोवर्मन और धंगदेव जैसे शासकों के शासनकाल में खजुराहो अपनी कलात्मक पराकाष्ठा पर पहुंचा।
  • राजधानी: खजुराहो चंदेलों की सांस्कृतिक और धार्मिक राजधानी हुआ करती थी, जबकि उनकी राजनीतिक राजधानी महोबा थी।

1. 85 मंदिरों का विशाल परिसर

यह सबसे चौंकाने वाले तथ्यों में से एक है। मूल रूप से, खजुराहो में लगभग 20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 85 मंदिरों का एक विशाल परिसर था। यह उस समय के सबसे बड़े और सबसे सक्रिय मंदिर परिसरों में से एक था। समय के थपेड़ों, प्राकृतिक आपदाओं और आक्रमणों के कारण, आज इनमें से केवल 25 मंदिर ही शेष बचे हैं, जो हमें उस युग की भव्यता की एक झलक देते हैं।

2. “खजुराहो” नाम का रहस्य

इस स्थान का नाम “खजुराहो” कैसे पड़ा, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।

  • खजूर के पेड़: माना जाता है कि प्राचीन काल में यह पूरा क्षेत्र खजूर (संस्कृत में ‘खर्जूर’) के पेड़ों से घिरा हुआ था। शहर के दो मुख्य प्रवेश द्वारों पर भी सोने के खजूर के पेड़ लगे हुए थे। इसी ‘खर्जूर-वाहक’ (खजूर ले जाने वाला) से इसका नाम बिगड़कर ‘खजुराहो’ पड़ गया।

3. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का सम्मान

इसकी अद्वितीय सार्वभौमिक मूल्य, कलात्मक उत्कृष्टता और सांस्कृतिक महत्व को मान्यता देते हुए, UNESCO ने 1986 में खजुराहो के मंदिरों के समूह को विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) घोषित किया।

4. कामुक मूर्तियों का सच: सिर्फ 10% का रहस्य

खजुराहो मंदिर का रहस्य का सबसे चर्चित पहलू इसकी कामुक मूर्तियां हैं। लेकिन एक आम धारणा के विपरीत, ये मूर्तियां मंदिर की कुल नक्काशी का एक बहुत छोटा हिस्सा हैं।

  • आंकड़ा: विशेषज्ञों का मानना है कि खजुराहो के मंदिरों की कुल मूर्तियों में से केवल 10% ही कामुक या मैथुनिक प्रकृति की हैं।
  • अन्य 90% क्या दर्शाती हैं?: बाकी 90% मूर्तियां उस समय के दैनिक जीवन, पौराणिक कथाओं, देवी-देवताओं, योद्धाओं, संगीतकारों, नर्तकियों, और जानवरों का एक अद्भुत चित्रण हैं। यह उस युग का एक सामाजिक-सांस्कृतिक विश्वकोश है।

5. कामुक मूर्तियों का उद्देश्य: एक गहरा दार्शनिक दृष्टिकोण

तो सवाल उठता है कि ये 10% कामुक मूर्तियां क्यों बनाई गईं? इसके पीछे कई सिद्धांत हैं:

सिद्धांत (Theory)विवरण (Description)
1. पुरुषार्थ का चित्रणहिंदू धर्म में जीवन के चार लक्ष्य (पुरुषार्थ) हैं – धर्म (कर्तव्य), अर्थ (समृद्धि), काम (इच्छा/आनंद), और मोक्ष (मुक्ति)। ये मूर्तियां ‘काम’ को जीवन का एक स्वाभाविक और आवश्यक हिस्सा मानती हैं।
2. तांत्रिक प्रभावचंदेल शासक तांत्रिक परंपराओं से प्रभावित थे, जो यौन ऊर्जा को आध्यात्मिक ऊर्जा में बदलने पर जोर देती है। ये मूर्तियां उन तांत्रिक शिक्षाओं का हिस्सा हो सकती हैं।
3. यौन शिक्षा का माध्यमएक सिद्धांत यह भी है कि ये मंदिर युवा गृहस्थों के लिए यौन शिक्षा का एक माध्यम थे, जहाँ वे जीवन के इस महत्वपूर्ण पहलू के बारे में कलात्मक रूप से सीख सकते थे।
4. सांसारिक इच्छाओं का त्यागइन मूर्तियों को केवल मंदिरों की बाहरी दीवारों पर उकेरा गया है। इसका एक प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि जब आप ईश्वर के घर (गर्भगृह) में प्रवेश करते हैं, तो आपको अपनी सभी सांसारिक इच्छाओं और वासनाओं को बाहर ही छोड़ देना चाहिए।

तुलना तालिका: खजुराहो के मंदिर समूह

खजुराहो के शेष मंदिरों को तीन मुख्य समूहों में बांटा गया है:

समूह (Group)प्रमुख मंदिर (Major Temples)धर्म (Religion)मुख्य विशेषता (Key Feature)
पश्चिमी समूह (Western Group)कंदरिया महादेव, लक्ष्मण मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, चित्रगुप्त मंदिरहिंदू धर्मसबसे बड़े, सबसे भव्य और सबसे अच्छी तरह से संरक्षित मंदिर। यहीं पर अधिकांश प्रसिद्ध मूर्तियां हैं।
पूर्वी समूह (Eastern Group)पार्श्वनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर, घंटाई मंदिरजैन धर्मजैन तीर्थंकरों को समर्पित, हिंदू मंदिरों से थोड़ी अलग लेकिन समान रूप से सुंदर वास्तुकला।
दक्षिणी समूह (Southern Group)दूल्हादेव मंदिर, चतुर्भुज मंदिरहिंदू धर्ममुख्य परिसर से थोड़ा दूर स्थित, अपेक्षाकृत छोटे लेकिन महत्वपूर्ण मंदिर।

6. वास्तुकला का चमत्कार: बिना सीमेंट के जुड़े पत्थर

यह खजुराहो मंदिर का रहस्य का एक इंजीनियरिंग पहलू है। इन विशाल मंदिरों के निर्माण में किसी भी प्रकार के सीमेंट या गारे का उपयोग नहीं किया गया है

  • इंटरलोकिंग तकनीक: पत्थरों को इतनी सटीकता से काटा और तराशा गया है कि वे ‘मोर्टिज़ एंड टेनन’ (Mortise and Tenon) जॉइंट्स का उपयोग करके एक-दूसरे में पूरी तरह से फिट हो जाते हैं। पत्थरों का वजन और गुरुत्वाकर्षण ही उन्हें सदियों से अपनी जगह पर बनाए हुए है।

7. जंगल में खोया हुआ शहर

13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के आक्रमणों के बाद चंदेल राजवंश का पतन हो गया। इसके बाद, यह क्षेत्र वीरान हो गया और धीरे-धीरे घने जंगलों ने इन मंदिरों को अपनी आगोश में ले लिया।

  • सदियों तक गुमनाम: लगभग 700 वर्षों तक, खजुराहो की यह अद्भुत विरासत दुनिया की नजरों से ओझल रही। जंगल ने इसे बाहरी आक्रमणकारियों और विनाश से काफी हद तक बचाए रखा।
  • पुनर्खोज: 1838 में, एक ब्रिटिश सेना के इंजीनियर, कैप्टन टी.एस. बर्ट (T.S. Burt) ने स्थानीय लोगों के मार्गदर्शन में इन मंदिरों को फिर से खोजा और दुनिया को उनकी भव्यता से परिचित कराया।

HowTo: खजुराहो की यात्रा कैसे करें?

1. कब जाएं: घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के दौरान (अक्टूबर से मार्च) होता है, जब मौसम सुखद होता है। खजुराहो नृत्य महोत्सव फरवरी में होता है।
2. कैसे पहुंचें:
हवाई मार्ग: खजुराहो का अपना घरेलू हवाई अड्डा (HJR) है जो दिल्ली, वाराणसी और आगरा से जुड़ा है।
रेल मार्ग: निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन महोबा (63 किमी) और झांसी (175 किमी) हैं। खजुराहो का अपना एक छोटा रेलवे स्टेशन भी है।
3. क्या पहनें: आरामदायक कपड़े और जूते पहनें क्योंकि आपको बहुत चलना पड़ेगा।
4. क्या अवश्य करें:
* पश्चिमी समूह के मंदिरों के लिए एक आधिकारिक गाइड जरूर लें। वे आपको मूर्तियों के पीछे की कहानियों और प्रतीकों को समझाएंगे।
* शाम को होने वाले लाइट एंड साउंड शो का आनंद लें, जो मंदिरों के इतिहास को जीवंत कर देता है।

कुछ और अनसुने और रोचक तथ्य

  1. धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक: खजुराहो में हिंदू और जैन मंदिरों का एक साथ होना उस युग की अद्भुत धार्मिक सहिष्णुता और सद्भाव का प्रमाण है।
  2. कंदरिया महादेव मंदिर: यह खजुराहो का सबसे बड़ा और सबसे भव्य मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है और इसकी दीवारों पर 800 से अधिक मूर्तियां उकेरी गई हैं। इसका शिखर (शिखर) कैलाश पर्वत का प्रतीक है।
  3. खजुराहो नृत्य महोत्सव: हर साल फरवरी में, इन मंदिरों की शानदार पृष्ठभूमि में एक सप्ताह तक चलने वाले खजुराहो नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारत के सर्वश्रेष्ठ शास्त्रीय नर्तक प्रदर्शन करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions – FAQs)

प्रश्न 1: खजुराहो मंदिर का रहस्य क्या है, संक्षेप में?
उत्तर: इसका मुख्य रहस्य इसकी कामुक मूर्तियों के उद्देश्य, इसके शिखर पर कथित चुंबकीय पत्थर, और इसके जंगल में सदियों तक छिपे रहने की कहानी में निहित है। साथ ही, बिना सीमेंट के पत्थरों को जोड़ने की इसकी इंजीनियरिंग भी एक रहस्य है।

प्रश्न 2: खजुराहो मंदिर किसने और क्यों बनवाया?
उत्तर: खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950-1050 ईस्वी के बीच चंदेल राजवंश के राजाओं (जैसे यशोवर्मन और धंगदेव) ने अपनी शक्ति, समृद्धि और धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करने के लिए करवाया था।

प्रश्न 3: खजुराहो की मूर्तियों का क्या मतलब है?
उत्तर: इन मूर्तियों का एक गहरा दार्शनिक मतलब है। वे सिर्फ कला नहीं हैं, बल्कि जीवन के चार पुरुषार्थों – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – का एक संतुलित चित्रण हैं। कामुक मूर्तियां ‘काम’ को जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा मानती हैं, जिसे पार करके ही मोक्ष तक पहुंचा जा सकता है।

निष्कर्ष: पत्थरों में धड़कता जीवन

खजुराहो मंदिर सिर्फ एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं है; यह जीवन का एक उत्सव है। यह हमें सिखाता है कि प्राचीन भारत में जीवन को खंडों में नहीं, बल्कि एक समग्र रूप में देखा जाता था, जहाँ धर्म और काम, आध्यात्मिकता और सांसारिकता, दोनों का अपना स्थान था।

खजुराहो मंदिर का रहस्य हमें अपनी विरासत की जटिलता और गहराई पर आश्चर्य करने के लिए आमंत्रित करता है। यह हमें याद दिलाता है कि जिन विषयों को आज हम वर्जित मानते हैं, हमारे पूर्वज उन्हें कला और दर्शन के माध्यम से समझने और व्यक्त करने का साहस रखते थे। यह एक ऐसी जगह है जहाँ पत्थर भी बोलते हैं, बस उन्हें सुनने के लिए एक खुला और जिज्ञासु मन चाहिए।

आपको खजुराहो का कौन सा तथ्य सबसे ज्यादा आकर्षक लगा? नीचे कमेंट्स में अपने विचार हमारे साथ साझा करें!

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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