हिंदू धर्म में सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की कामना के उद्देश्य से साल भर में कई व्रत करती हैं, जिनमें से एक है जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat). हिंदू पंचांग के अनुसार, जया पार्वती व्रत प्रतिवर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. भारत के कई प्रांतों में इसे विजया-पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत मां पार्वती को प्रसन्न करने के उद्देश्य से किया जाता है. पोस्ट के जरिए जानते हैं जया पार्वती व्रत 2022 में कब है – Jaya Parvati Vrat 2022 Mein Kab Hai
जया पार्वती व्रत 2022 में कब है – Jaya Parvati Vrat 2022 Mein Kab Hai
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जया पार्वती व्रत एक बहुत ही पवित्र हिंदू उपवास है जो कि लगातार पांच दिनों तक चलता है. इस व्रत को करने वाली सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है. यह व्रत मध्य प्रदेश के मालवा प्रांत में बेहद ही लोकप्रिय पर्व है लेकिन भारत के पश्चिमी भाग विशेष रूप से गुजरात में महिलाएं इस व्रत को बड़ी संयम और भक्ति के साथ रखती हैं. इस साल जया पार्वती व्रत 12 जुलाई 2022, मंगलवार से शुरु हो रहा है और 16 जुलाई 2022, शनिवार को इसका समापन होगा. जया पार्वती व्रत भी गणगौर, हरतालिका, मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी व्रत की तरह ही होता है. पौराणिक किवदंतियों की मानें तो, कहा जाता है कि एक बार इस व्रत को शुरु करने के बाद कम से कम 5, 7, 9, 11 या 20 साल तक करना चाहिए. चलिए जानते हैं जया पार्वती व्रत शुभ मुहूर्त, नियम, पूजा विधि और इसका महत्व.
व्रत से जुड़े नियम :
- जया पार्वती व्रत में गेहूं के बीजों को मिट्टी के बर्तन में लगाया जाता है और पांच दिनों तक उस बर्तन की पूजा की जाती है.
- व्रत के दौरान 5 दिनों तक गेहूं से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए.
- पांच दिनों तक नमक और खट्टी चीजों के सेवन से भी परहेज करना चाहिए.
- व्रत के दौरान 5 दिनों तक फलाहार का सेवन करना चाहिए.
- छठे दिन यानी समापन के दिन गेहूं से भरा पात्र किसी नदी या तालाब में प्रवाहित करना चाहिए.
जया पार्वती व्रत 2022 व्रत पूजन विधि :
- आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद पूजा स्थल पर सोने, चांदी या फिर मिट्टी के बैल पर बैठे हुए शिव पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें.
- स्थापना किसी ब्राह्मण के घर पर वेद मंत्रों से कराएं। इसके बाद पूजा प्रारंभ करें.
- पूजा में कुमकुम. कस्तूरी, अष्टगंध, फल और फूल अवश्य शामिल करें.
- इसके बाद नारियल, दाख, अनार और अन्य ऋतु फल चढ़ाएं और विधि पूर्वक पूजा करें.
- इसके बाद मां पार्वती का स्मरण करें और उनकी पूजा करें। मान्यता है कि शिव और पार्वती की पूजा गोधुली मुहूर्त में करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
- अंत में कथा करें। कथा सुनने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उसके बाद खुद बिना नमक का भोजन ग्रहण करें.
- शाम को पूजा के बाद पति के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. इसी तरह से 5 दिनों तक नियमपूर्वक पूजा करनी चाहिए.
जया-पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) कथा :
पौराणिक कथा के अनुसार किसी समय कौडिन्य नगर में वामन नाम का एक योग्य ब्राह्मण रहता था. उसकी पत्नी का नाम सत्या था. उनके घर में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी, लेकिन संतान नहीं होने से वे बहुत दुखी रहते थे. एक दिन नारद जी उनके घर आए, उन्होंने नारद की खूब सेवा की और अपनी समस्या का समाधान पूछा. जिसके बाद नारद ने उन्हें बताया कि तुम्हारे नगर के बाहर जो वन है, उसके दक्षिणी भाग में बिल्व वृक्ष के नीचे भगवान शिव माता पार्वती के साथ लिंगरूप में विराजित हैं. उनकी पूजा करने से तुम्हारी मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी. ब्राह्मण दंपत्ति ने उस शिवलिंग को ढूंढ़कर उसकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. इस प्रकार पूजा करने का क्रम चलता रहा और पांच वर्ष बीत गए.
एक दिन जब वह ब्राह्मण पूजन के लिए फूल तोड़ रहा था तभी उसे सांप ने काट लिया और वह वहीं जंगल में ही गिर गया. ब्राह्मण जब काफी देर तक घर नहीं लौटा तो उसकी पत्नी उसे ढूंढने आई. पति को इस हालत में देख वह रोने लगी और वन देवता व माता पार्वती को स्मरण किया.
माँ पार्वती ने दिखाई राह –
ब्राह्मणी की पुकार सुनकर वन देवता और मां पार्वती चली आईं और ब्राह्मण के मुख में अमृत डाल दिया, जिससे ब्राह्मण उठ बैठा. ब्राह्मण दंपत्ति ने माता पार्वती का पूजन किया. माता पार्वती ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने के लिए कहा। तब दोनों ने संतान प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की. माता पार्वती ने उन्हें विजया पार्वती व्रत करने की बात कही.
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन उस ब्राह्मण दंपत्ति ने विधिपूर्वक माता पार्वती का यह व्रत किया, जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई. इस दिन व्रत करने वालों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है तथा उनका अखंड सौभाग्य भी बना रहता है.
जया पार्वती व्रत का महत्व :
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता अनुसार कि इस व्रत के प्रभाव से सुहागन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य और खुशहाल जीवन का वरदान मिलता है, जबकि कुंवारी कन्याओं को व्रत के प्रभाव से अच्छा जीवनसाथी मिलता है. इस व्रत को करने से महिलाओं को जन्म-जन्म तक उनके पति का साथ मिलता है, इसलिए जया पार्वती व्रत को अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला और सुख-समृद्धि देने वाला माना गया है.
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