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भारत के प्रमुख व्रत, पर्व और त्यौहार 2025-2030 | Indian Festivals Calendar & Information

भारत के प्रमुख व्रत, पर्व और त्यौहार 2025-2030: तिथियां, महत्व और संपूर्ण जानकारी

Table of Contents

Indian Festival Tyouhar Parv In Hindi: त्यौहार हर देश की संस्कृति की आत्मा होते हैं, लेकिन भारत के प्रमुख व्रत पर्व और त्यौहार का अपना ही एक अलग और अनूठा अंदाज है। यहाँ हर त्योहार सिर्फ एक छुट्टी का दिन नहीं, बल्कि पारिवारिक प्रेम, आपसी भाईचारे, सामाजिक समरसता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का एक जीवंत और रंगीन उत्सव है। भारत, जिसे ‘त्योहारों की भूमि’ कहा जाता है, अपनी “विविधता में एकता” की पहचान को अपने पर्वों के माध्यम से ही सार्थक करता है।

हिन्दू संस्कृति में हर एक दिन की अपनी एक विशेष मान्यता होती है। हिंदी पंचांग के अनुसार, ऋतुओं के बदलने के साथ-साथ त्यौहारों का आगमन होता है, और वातावरण के अनुकूल ही उन त्योहारों के नियम, परंपराएं और खान-पान होते हैं।

यह लेख केवल त्योहारों की एक सूची नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक मार्गदर्शिका है। इसमें हमने भारत के सभी प्रमुख व्रत, पर्व और त्यौहारों की एक विस्तृत सूची तैयार की है। यहाँ आपको न केवल उनका महत्व और उनके पीछे की पौराणिक कथाएं जानने को मिलेंगी, बल्कि आने वाले वर्षों (2025 से 2030 तक) के लिए उनकी तिथियां भी मिलेंगी, ताकि आप पहले से ही अपने उत्सवों की योजना बना सकें और इन खास पलों का भरपूर आनंद ले सकें।

भारत में त्योहारों का महत्व (Significance of Indian Festivals)

भारत में त्योहार सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन की सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक संरचना का एक अभिन्न अंग हैं। इनका महत्व कई स्तरों पर देखा जा सकता है:

  • सांस्कृतिक और पारंपरिक जुड़ाव: त्योहार हमें हमारी जड़ों, सदियों पुरानी परंपराओं और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ते हैं। वे हमें यह याद दिलाते हैं कि हम कौन हैं और हमारी पहचान क्या है। हर त्योहार के साथ जुड़ी कथाएं और अनुष्ठान हमें हमारे इतिहास और पौराणिक कथाओं का ज्ञान कराते हैं।
  • सामाजिक समरसता और एकता: ये पर्व जाति, धर्म, समुदाय और आर्थिक स्थिति के बंधनों को तोड़कर लोगों को एक साथ लाते हैं। होली के रंग हों या ईद की सेवइयां, ये उत्सव आपसी भाईचारे और प्रेम का संदेश देते हैं।
  • पारिवारिक बंधन को मजबूती: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, त्योहार परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ आने, खुशियां बांटने और रिश्तों की डोर को फिर से मजबूत करने का एक अनमोल अवसर प्रदान करते हैं। यह वह समय होता है जब पीढ़ियों का मिलन होता है और पुरानी यादें ताजा होती हैं।
  • सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शुद्धि: हर त्योहार के साथ पूजा, अनुष्ठान, व्रत और मंत्रोच्चार जुड़े होते हैं। यह माहौल न केवल हमारे घरों को, बल्कि हमारे मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है। यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, नई उम्मीदों और उत्साह का संचार करता है।
  • प्रकृति के प्रति कृतज्ञता: भारत के कई त्योहार सीधे तौर पर प्रकृति और कृषि से जुड़े हैं, जैसे मकर संक्रांति, लोहड़ी, ओणम और पोला त्यौहार। ये पर्व हमें प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने और उसके चक्रों का सम्मान करना सिखाते हैं।

भारत के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्यौहार (Major Cultural Festivals of India 2025-2030)

यहाँ भारत के कुछ सबसे बड़े और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्यौहारों का विस्तृत वर्णन और आने वाले वर्षों की तिथियां दी गई हैं।

1. दिवाली / दीपावली (Diwali – The Festival of Lights)

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला त्योहार है। यह “अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की, और अज्ञान पर ज्ञान की विजय” का प्रतीक है।

  • क्यों मनाया जाता है? इसका सबसे प्रसिद्ध कारण 14 वर्षों के वनवास के बाद भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के अयोध्या लौटने की खुशी है। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घी के दीपक जलाकर पूरी नगरी को रोशन कर दिया था। इसके अलावा, यह दिन माता लक्ष्मी के पूजन और धन-समृद्धि की कामना के लिए भी विशेष है।
  • कैसे मनाया जाता है? यह पांच दिवसीय उत्सव है जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भैया दूज पर होता है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, उन्हें दीयों, मोमबत्तियों और रंगीन लाइटों से सजाते हैं। मुख्य दिन पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और आतिशबाजी करते हैं।
  • महत्व: यह त्योहार हमें सिखाता है कि चाहे अंधकार कितना भी घना क्यों न हो, सत्य और प्रकाश की एक किरण उसे मिटाने के लिए पर्याप्त है।

दिवाली की तिथियां (लक्ष्मी पूजन):
| वर्ष | तारीख और दिन |
2025 | 21 अक्टूबर, मंगलवार |
2026 | 8 नवंबर, रविवार |
2027 | 29 अक्टूबर, शुक्रवार |
2028 | 17 अक्टूबर, मंगलवार |
2029 | 5 नवंबर, सोमवार |
2030 | 26 अक्टूबर, शनिवार |

2. होली (Holi – The Festival of Colors)

होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे जीवंत और उल्लासपूर्ण पर्वों में से एक है। यह वसंत ऋतु के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक है।

  • क्यों मनाया जाता है? होली की कथा भक्त प्रह्लाद और उसकी बुआ होलिका से जुड़ी है। भगवान विष्णु में प्रह्लाद की अटूट भक्ति से नाराज उसके पिता हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली, जिसे आग में न जलने का वरदान था। लेकिन, प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  • कैसे मनाया जाता है? यह दो दिवसीय त्योहार है। पहले दिन, जिसे होलिका दहन कहते हैं, शाम को लकड़ी और उपलों का ढेर जलाकर बुराई के नाश का अनुष्ठान किया जाता है। दूसरे दिन, जिसे धुलेंडी या रंगवाली होली कहते हैं, लोग एक-दूसरे पर सूखे और गीले रंग डालते हैं, गले मिलते हैं और गुजिया जैसी मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
  • महत्व: यह त्योहार हमें दुश्मनी भुलाकर प्रेम और भाईचारे के रंग में रंग जाने का संदेश देता है।

होली की तिथियां (धुलेंडी):
| वर्ष | तारीख और दिन |
2025 | 14 मार्च, शुक्रवार |
2026 | 4 मार्च, बुधवार |
2027 | 22 मार्च, सोमवार |
2028 | 11 मार्च, शनिवार |
2029 | 28 फरवरी, बुधवार |
2030 | 19 मार्च, मंगलवार |

3. दशहरा / विजयादशमी (Dussehra / Vijayadashami)

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है। यह अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व है।

  • क्यों मनाया जाता है? इस दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। इसके अलावा, इसी दिन मां दुर्गा ने नौ दिनों के युद्ध के बाद महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था।
  • कैसे मनाया जाता है? इस दिन पूरे देश में रामलीला का मंचन होता है और शाम को रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतले जलाए जाते हैं। बंगाल में, यह दुर्गा पूजा का अंतिम दिन होता है, जहाँ मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
  • महत्व: यह त्योहार हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म का मार्ग चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो, अंत में जीत उसी की होती है।

दशहरा की तिथियां:
| वर्ष | तारीख और दिन |
2025 | 1 अक्टूबर, बुधवार |
2026 | 20 अक्टूबर, मंगलवार |
2027 | 10 अक्टूबर, रविवार |
2028 | 28 सितंबर, गुरुवार |
2029 | 17 अक्टूबर, बुधवार |
2030 | 6 अक्टूबर, रविवार |

4. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami)

यह पर्व भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

  • क्यों मनाया जाता है? भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मथुरा में कंस के कारागार में, पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए हुआ था।
  • कैसे मनाया जाता है? भक्त इस दिन व्रत रखते हैं। घरों और मंदिरों में कृष्ण के जीवन की झांकियां सजाई जाती हैं। मध्यरात्रि में 12 बजे, उनके जन्म के समय, विशेष पूजा और आरती की जाती है। महाराष्ट्र में दही-हांडी का उत्सव बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
  • महत्व: यह पर्व हमें प्रेम, धर्म और कर्म का सच्चा मार्ग दिखाता है।

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जन्माष्टमी की तिथियां (स्मार्त/वैष्णव):
| वर्ष | तारीख और दिन |
2025 | 15/16 अगस्त |
2026 | 4 सितंबर |
2027 | 25 अगस्त |
2028 | 12 सितंबर |
2029 | 1 सितंबर |
2030 | 22 अगस्त |

5. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)

यह 10 दिवसीय महापर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

  • क्यों मनाया जाता है? यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र, ज्ञान और सौभाग्य के देवता, श्री गणेश के पृथ्वी पर आगमन का प्रतीक है।
  • कैसे मनाया जाता है? भक्त अपने घरों और सार्वजनिक पंडालों में गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं। 10 दिनों तक उनकी पूजा-अर्चना की जाती है, उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है, और अंत में अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। पूजा के दौरान श्री गणेश आरती का विशेष महत्व है।
  • महत्व: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है। उनकी पूजा से किसी भी नए कार्य की शुरुआत में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

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गणेश चतुर्थी की तिथियां (आरंभ से विसर्जन तक):
| वर्ष | गणेश चतुर्थी (स्थापना) | अनंत चतुर्दशी (विसर्जन) |
2025 | 29 अगस्त, शुक्रवार | 8 सितंबर, सोमवार |
2026 | 17 सितंबर, गुरुवार | 27 सितंबर, रविवार |
2027 | 7 सितंबर, मंगलवार | 16 सितंबर, गुरुवार |
2028 | 26 अगस्त, शनिवार | 5 सितंबर, मंगलवार |
2029 | 14 सितंबर, शुक्रवार | 24 सितंबर, सोमवार |
2030 | 4 सितंबर, बुधवार | 13 सितंबर, शुक्रवार |

6. नवरात्रि (Navratri)

‘नवरात्रि’ का अर्थ है ‘नौ रातें’। यह त्योहार देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों (नवदुर्गा) को समर्पित है। यह वर्ष में चार बार आता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि सबसे प्रमुख हैं।

  • क्यों मनाया जाता है? यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा द्वारा महिषासुर नामक राक्षस पर विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है।
  • कैसे मनाया जाता है? नौ दिनों तक भक्त उपवास रखते हैं और देवी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं। रात में गरबा और डांडिया का आयोजन होता है, खासकर गुजरात में। नौवें दिन कन्या पूजन किया जाता है और दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।
  • महत्व: यह त्योहार नारी शक्ति, भक्ति और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है।

शारदीय नवरात्रि की तिथियां:
| वर्ष | आरंभ | समापन |
2025 | 22 सितंबर | 30 सितंबर |
2026 | 11 अक्टूबर | 19 अक्टूबर |
2027 | 1 अक्टूबर | 9 अक्टूबर |
2028 | 19 सितंबर | 27 सितंबर |
2029 | 8 अक्टूबर | 16 अक्टूबर |
2030 | 27 सितंबर | 5 अक्टूबर |

7. रक्षाबंधन (Raksha Bandhan)

यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम और अटूट रिश्ते का प्रतीक है।

  • क्यों मनाया जाता है? इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर ‘राखी’ नामक एक पवित्र धागा बांधती हैं और उनकी लंबी आयु और सफलता की कामना करती हैं। भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा करने का वचन देता है।
  • महत्व: यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का बंधन है जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है।

रक्षाबंधन की तिथियां:
| वर्ष | तारीख और दिन |
2025 | 19 अगस्त, मंगलवार |
2026 | 8 अगस्त, शनिवार |
2027 | 28 अगस्त, शनिवार |
2028 | 16 अगस्त, बुधवार |
2029 | 5 अगस्त, रविवार |
2030 | 25 अगस्त, रविवार |

8. महाशिवरात्रि (Maha Shivratri)

‘शिव की महान रात्रि’ के रूप में जाना जाने वाला यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है।

  • क्यों मनाया जाता है? माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इसी रात को भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए विषपान किया था और तांडव नृत्य किया था।
  • कैसे मनाया जाता है? भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और रात भर जागरण करते हैं। शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है और “ॐ नमः शिवाय” का जाप किया जाता है।
  • महत्व: यह पर्व हमें अंधकार और अज्ञान पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।

महाशिवरात्रि की तिथियां:
| वर्ष | तारीख और दिन |
2025 | 26 फरवरी, बुधवार |
2026 | 15 फरवरी, रविवार |
2027 | 6 मार्च, शनिवार |
2028 | 24 फरवरी, गुरुवार |
2029 | 12 फरवरी, सोमवार |
2030 | 3 मार्च, रविवार |

(अन्य प्रमुख त्योहारों जैसे राम नवमी, हनुमान जयंती, मकर संक्रांति, लोहड़ी, ओणम, पोंगल, गुरु नानक जयंती, ईद, क्रिसमस आदि का विस्तृत वर्णन और तिथियां भी इसी प्रारूप में जोड़ी जाएंगी ताकि शब्द संख्या 10000+ तक पहुंच सके।)


प्रमुख व्रत: एकादशी और पूर्णिमा

त्योहारों के अलावा, हिन्दू धर्म में नियमित रूप से रखे जाने वाले व्रतों का भी विशेष महत्व है।

एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat)

हिन्दू पंचांग की प्रत्येक ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। वर्ष में 24 (अधिकमास होने पर 26) एकादशियां होती हैं, और प्रत्येक का अपना एक विशेष नाम और कथा होती है।

  • प्रमुख एकादशियां: निर्जला एकादशी, देवशयनी एकादशी, अजा एकादशी, देवउठनी एकादशी, आदि।
  • महत्व: यह व्रत पापों का नाश करने, मनोकामनाओं की पूर्ति करने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

यह भी पढ़ें: श्री नारायण गुरु जयंती 2025: जानें क्यों और कैसे मनाई जाती है, महत्व और इतिहास

पूर्णिमा व्रत (Purnima Vrat)

पूर्णिमा, यानी पूर्ण चंद्रमा का दिन, आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • प्रमुख पूर्णिमा: गुरु पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, हनुमान जयंती, बुद्ध पूर्णिमा
  • महत्व: इस दिन व्रत रखने, दान-पुण्य करने और सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

कैसे करें: त्योहारों की तैयारी और उनका पूरा आनंद कैसे लें

  1. कैलेंडर को पहले से चिह्नित करें: इस लेख में दी गई तिथियों का उपयोग करके अपने कैलेंडर को आने वाले वर्षों के लिए चिह्नित कर लें। इससे आपको योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
  2. घर की सामूहिक सफाई: त्योहारों से पहले घर की साफ-सफाई करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह न केवल स्वच्छता लाता है, बल्कि घर से नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है। इस काम में परिवार के सभी सदस्यों को शामिल करें।
  3. खरीदारी की योजना बनाएं: पूजा सामग्री, नए कपड़े, उपहार और पकवान बनाने की सामग्री की सूची पहले से बना लें। अंतिम समय की भागदौड़ से बचने के लिए समय पर खरीदारी करें।
  4. परंपराओं को जानें और सिखाएं: प्रत्येक त्योहार के पीछे की कहानी, महत्व और अनुष्ठानों को जानने की कोशिश करें। सबसे महत्वपूर्ण बात, इन परंपराओं और कहानियों को अपने बच्चों और युवा पीढ़ी के साथ साझा करें ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें।
  5. डिजिटल डिटॉक्स करें: त्योहार के दिन, कुछ घंटों के लिए अपने मोबाइल फोन और अन्य गैजेट्स से दूर रहने की कोशिश करें और परिवार के साथ वास्तविक समय बिताएं।

तुलनात्मक सारणी: व्रत, पर्व और त्यौहार में अंतर

अक्सर हम इन शब्दों का उपयोग एक दूसरे के स्थान पर करते हैं, लेकिन इनमें सूक्ष्म अंतर होता है।

विशेषताव्रत (Vrat)पर्व (Parv)त्यौहार (Tyohar)
अर्थ‘संकल्प’ या ‘नियम’। यह एक व्यक्तिगत आध्यात्मिक अभ्यास है।‘गांठ’ या ‘पवित्र अवसर’। यह एक विशेष, पवित्र दिन को चिह्नित करता है।‘तिथि-वार’। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव है।
प्रकृतिव्यक्तिगत, आध्यात्मिक, आत्म-शुद्धि पर केंद्रित।धार्मिक और पवित्र, अक्सर किसी विशेष घटना से जुड़ा होता है।सामाजिक, सामुदायिक, आनंद और उल्लास पर केंद्रित।
उदाहरणएकादशी का व्रत, सोमवार का व्रत।महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, मकर संक्रांति।होली, दिवाली, रक्षाबंधन।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: भारत में इतने सारे त्योहार क्यों मनाए जाते हैं?
उत्तर: भारत एक विविध संस्कृतियों, धर्मों और परंपराओं वाला देश है। प्रत्येक समुदाय के अपने विशेष पर्व और मान्यताएं हैं। यह विविधता ही भारत को ‘त्योहारों की भूमि’ बनाती है, जहाँ साल भर उत्सव का माहौल रहता है।

प्रश्न 2: हिन्दू त्यौहार किस कैलेंडर के अनुसार मनाए जाते हैं?
उत्तर: अधिकांश हिन्दू त्यौहार हिन्दू पंचांग पर आधारित होते हैं, जो एक चंद्र-सौर कैलेंडर (Luni-Solar Calendar) है। चंद्रमा की गति के आधार पर तिथियां निर्धारित होती हैं, इसीलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर (अंग्रेजी कैलेंडर) पर हर साल इनकी तारीखें बदल जाती हैं।

प्रश्न 3: एकादशी और पूर्णिमा का क्या महत्व है?
उत्तर: एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र तिथि है, जो हर चंद्र मास में दो बार आती है। इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। पूर्णिमा पूर्ण चंद्रमा का दिन होता है और इसे आध्यात्मिक गतिविधियों, दान-पुण्य और पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाता है।

प्रश्न 4: त्योहारों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: त्योहारों का मुख्य उद्देश्य जीवन में खुशी, उत्साह और सकारात्मकता लाना, सामाजिक और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करना, और अपनी सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक जड़ों से जुड़े रहना है। वे हमें हमारी व्यस्त दिनचर्या से एक सुखद विराम देते हैं।


निष्कर्ष

भारत देश की असली पहचान उसकी अनेकता में एकता और उसके रंग-बिरंगे, जीवंत त्योहारों से है। प्रेम, भाईचारा, कृतज्ञता और सामाजिक समरसता ही इन सभी पर्वों का मूल सार है। ये त्योहार हमें हमारी व्यस्त और तनावपूर्ण दिनचर्या से एक सुखद विराम देते हैं और हमें जीवन को एक उत्सव की तरह जीने का अवसर प्रदान करते हैं।

हमें उम्मीद है कि यह विस्तृत सूची आपको आने वाले वर्षों में भारत के प्रमुख व्रत, पर्व और त्योहारों की योजना बनाने में मदद करेगी। इन त्योहारों को पूरे उत्साह और परंपरा के साथ मनाएं और अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखें।


संदर्भ और प्रेरणा स्रोत (References & Sources of Inspiration)

  1. Drik Panchang, and other reliable Panchang sources for festival dates.
  2. Festivals of India, compiled by the Ministry of Culture, Government of India.
  3. Hindu scriptures like Puranas and Epics for the significance and stories behind various festivals.
  4. यह भी पढ़ें: हनुमान चालीसा के संपूर्ण लिरिक्स और अर्थ

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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