गोपालगंज के हथुआ सबेया हवाई अड्डा का इतिहास । History of Hathua Sabaya Airport of Gopalganj
गोपालगंज जिले के हथुआ में सन 1903 में सबेया हवाई अड्डा बनाया गया था. यह एयरपोर्ट हथुआ राज और ब्रिटिश राज का एक ड्रीम प्रोजेक्ट था. एयरपोर्ट का उपयोग द्वितीय विश्च युद्ध के दौरान किया गया था. भारत सरकार चीन से लड़ाई के खिलाफ भी सबेया एयरपोर्ट का समय-समय पर उपयोग करती रही है. हवाई अड्डे को भारतीय मानचित्र में उकेरा नहीं गया है, कारण है कि, एयरपोर्ट की सुरक्षा में सेंध लगना है. 517 एकड़ में फैल एयरपोर्ट पर करीब 500 एकड़ पर अतिक्रमण हो चुका है, 22 टोला में हजारों लोग परिवार के साथ गुजर बसर करते हैं. एयरपोर्ट का रनवे ईंटों से बना हुआ है.
गोपालगंज के हथुआ सबेया हवाई अड्डा का इतिहास । History of Hathua Sabaya Airport of Gopalganj
हाल ही में खबर आई है कि, हथुआ में स्थित सबेया हवाई अड्डे के चालू होने की उम्मीद बढ़ गई है. केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय ने सबेया हवाई अड्डा को रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम ‘उड़े देश का आम नागरिक’ में शामिल कर लिया है. सबेया हवाई अड्डा चालू होने से गोपालगंज के साथ ही सिवान, छपरा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण के लोगों को लाभ होगा.
गोपालगंज का सबेया है भारत का सीक्रेट एयरपोर्ट
स्थानीय जनश्रुतियों की मानें तो Hathua Sabaya Airport भारत का एक सीक्रेट एयरपोर्ट है. गोपालगंज से सटे पश्चिमी चंपारण के बाद नेपाल देश की सीमा लगती है. साथ ही पास में ही चीन मौजूद है. चीन के खिलाफ युद्ध में सबसे सुरक्षित और उपयोगी भूमिका Hathua Sabaya Airport ही निभाता है. इसी कारण से भारत केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय ने सबेया हवाई अड्डा को मानचित्र में शामिल नहीं किया. स्थानीय लाेग बताते है कि, बिहार के कई दिग्गज राजनेता गोपालगंज में सभा करने के लिए इसी एयरपोर्ट पर उतरते है. राजनेता लालू यादव की माता श्री मरछिया देवी के निधन के दौरान भी लालू यादव इसी एयरपोर्ट पर उतरे थे. सबेया हवाई अड्डा का इतिहास गौरवशाली रहा है, यहां पर राजीव गांधी और इंदिरा गांधी जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता भी आमजन को संबोधित करने के लिए सभाएं आयोजित कर चुके है.
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