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हरतालिका तीज आरती: जय पार्वती माता | संपूर्ण आरती, लिरिक्स, पूजा विधि और महत्व

हरतालिका तीज आरती: अखंड सौभाग्य के लिए करें शिव-पार्वती की यह दिव्य स्तुति (संपूर्ण लिरिक्स और विधि)

हरतालिका तीज आरती, उस कठिन निर्जला व्रत का सबसे दिव्य और ऊर्जावान क्षण होता है, जो सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए करती हैं। दिन भर की पूजा, तपस्या और कथा श्रवण के बाद, जब घी के दीपक की पवित्र लौ के साथ “जय पार्वती माता” और “ॐ जय शिव ओंकारा” के स्वर गूंजते हैं, तो पूरा वातावरण भक्ति और सकारात्मकता से भर जाता है। यह आरती केवल एक धार्मिक गीत नहीं, बल्कि भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति अपनी श्रद्धा, कृतज्ञता और समर्पण को व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है।

Hartalika Teej Aarti

यह व्रत की पूजा को पूर्णता प्रदान करती है और जाने-अनजाने में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगने का अवसर देती है। लेकिन हरतालिका तीज आरती करने की सही विधि क्या है? कौन-सी आरती गानी चाहिए और उसका महत्व क्या है? आइए, इस लेख में हम हरतालिका तीज की आरती से जुड़े हर पहलू को विस्तार से जानते हैं और संपूर्ण आरती के लिरिक्स भी प्रस्तुत करते हैं।

आरती का वास्तविक अर्थ और महत्व

‘आरती’ शब्द संस्कृत के ‘आर्तिक्य’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है – समस्त दुखों का नाश करने वाली। आरती करते समय हम दीपक को आराध्य देव के समक्ष एक विशेष विधि से घुमाते हैं। यह केवल एक क्रिया नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक प्रतीक है। दीपक की ज्योति हमारे भीतर के प्रकाश और आत्मा का प्रतीक है, और उसे ईश्वर को समर्पित करके हम अपने अहंकार को मिटाकर उनके प्रकाश में विलीन होने की प्रार्थना करते हैं।


हरतालिका तीज की मुख्य आरतियाँ (संपूर्ण लिरिक्स)

हरतालिका तीज पर मुख्य रूप से माता पार्वती और भगवान शिव की आरती की जाती है। चूँकि कोई भी पूजा श्री गणेश के बिना अधूरी है, इसलिए उनकी आरती से प्रारंभ करना श्रेष्ठ माना जाता है।

1. श्री गणेश जी की आरती (पूजा के आरंभ में)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
॥ जय गणेश जय गणेश…॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
॥ जय गणेश जय गणेश…॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
॥ जय गणेश जय गणेश…॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
॥ जय गणेश जय गणेश…॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा॥
॥ जय गणेश जय गणेश…॥

2. हरतालिका तीज आरती – जय पार्वती माता (मुख्य आरती)

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता॥
॥ जय पार्वती माता…॥

अरिकुल पद्मा विनाशिनी, जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता॥
॥ जय पार्वती माता…॥

सिंह को वाहन साजे, कुंडल हैं साथा।
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥
॥ जय पार्वती माता…॥

सतयुग शील सुसुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन रंगराता॥
॥ जय पार्वती माता…॥

शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्याता।
सहस भुजा तनु धरिके, चक्र लियो हाथा॥
॥ जय पार्वती माता…॥

सृष्टि रूप तुही जननी, शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लही, सारा जग मदमाता॥
॥ जय पार्वती माता…॥

देवन अरज करत हम, चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥
॥ जय पार्वती माता…॥

श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता, सुख सम्पत्ति पाता॥
॥ जय पार्वती माता…॥

3. भगवान शिव जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजै।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजै॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

कर के मध्य कमंडलु, चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये, यह तीनों एका॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

त्रिगुण स्वामी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥


How-To: हरतालिका तीज पर आरती करने की संपूर्ण विधि

आरती का पूर्ण फल तभी मिलता है जब उसे सही विधि और भाव से किया जाए।

चरण 1: आरती की तैयारी

  • एक साफ थाली में रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं।
  • थाली में एक घी का दीपक (एक, तीन या पांच बत्तियों वाला) रखें। साथ में कपूर, धूप, पुष्प और कुछ अक्षत भी रखें।

चरण 2: शंख ध्वनि और घंटानाद

  • आरती शुरू करने से पहले शंख और घंटी बजाएं। इससे वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और एक दिव्य माहौल बनता है।

चरण 3: आरती करने का क्रम

  • सबसे पहले भगवान गणेश की आरती करें।
  • इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त आरती करें या पहले शिव जी की और फिर पार्वती जी की आरती करें। हरतालिका तीज 2025 का व्रत शिव-पार्वती को समर्पित है, इसलिए उनकी आरती अनिवार्य है।

चरण 4: आरती घुमाने की सही विधि

  • आरती की थाली को क्लॉकवाइज (घड़ी की दिशा में) घुमाएं।
  • सबसे पहले भगवान के चरणों में चार बार, फिर नाभि पर दो बार, मुख पर एक बार और अंत में भगवान के पूरे स्वरूप पर सात बार आरती घुमाएं।

चरण 5: कर्पूरगौरं मंत्र का जाप

  • आरती समाप्त होने के बाद कपूर जलाएं और इस मंत्र का जाप करें:
    • कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
    • सदा वसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥

चरण 6: आरती लेना और जल का छिड़काव

  • आरती के बाद सभी भक्त दोनों हाथों से दीपक की लौ के ऊपर से ऊर्जा ग्रहण करें और उसे अपनी आंखों व सिर पर लगाएं।
  • इसके बाद आरती की थाली में रखे पुष्प से थोड़ा जल लेकर अपने ऊपर और पूजा में शामिल सभी लोगों पर छिड़कें।

तुलनात्मक सारणी: तीज पर की जाने वाली आरतियों का उद्देश्य

आरतीमुख्य देवताआरती का मुख्य उद्देश्यहरतालिका तीज पूजा में भूमिका
जय गणेश देवाभगवान गणेशपूजा में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करना और कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करने की प्रार्थना।पूजा के आरंभ में, विघ्नहर्ता के रूप में।
जय पार्वती मातामाता पार्वती (गौरी)अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन, पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना करना।यह इस व्रत की मुख्य आरती है।
ॐ जय शिव ओंकाराभगवान शिववैराग्य, शक्ति, कल्याण और मोक्ष की प्राप्ति। पति को शिव के समान आदर्श रूप में पाने की कामना।पार्वती जी की पूजा शिव जी के बिना अधूरी है, इसलिए यह अनिवार्य है।

यह पूजा और आरती उस दिव्य प्रेम का उत्सव है, जिसे हरतालिका तीज व्रत कथा में विस्तार से बताया गया है। इस दिन की भक्ति और श्रद्धा किसी भी सांसारिक वस्तु से कहीं बढ़कर है, चाहे वह मुकेश अंबानी का विशाल घर एंटीलिया ही क्यों न हो।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: हरतालिका तीज पर कौन-सी आरती करना सबसे महत्वपूर्ण है?
उत्तर: हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से माता पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए किया था, इसलिए “जय पार्वती माता” की आरती करना सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना जाता है। हालांकि, शिव जी की आरती के बिना उनकी पूजा अधूरी है।

प्रश्न 2: क्या हम केवल एक ही आरती कर सकते हैं?
उत्तर: समय की कमी होने पर आप भगवान शिव और माता पार्वती की एक संयुक्त आरती भी कर सकते हैं। लेकिन विधि-विधान से पूजा में गणेश जी, शिव जी और पार्वती जी, तीनों की आरती का विधान है।

प्रश्न 3: अगर आरती के लिरिक्स याद न हों तो क्या करें?
उत्तर: यदि आपको आरती के बोल याद नहीं हैं, तो आप आरती की पुस्तक से देखकर पढ़ सकते हैं या किसी प्रामाणिक ऑडियो को चलाकर उसके साथ गा सकते हैं। भाव और श्रद्धा अधिक महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 4: आरती में कपूर का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर: कपूर शुद्धता, पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक है। जब यह जलता है, तो बिना कोई अवशेष छोड़े वातावरण को सुगंधित और शुद्ध कर देता है। यह हमारे अहंकार के पूर्ण विलय का भी प्रतीक है।

प्रश्न 5: हरतालिका तीज की आरती कब करनी चाहिए?
उत्तर: इस व्रत में प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) की पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए शाम की पूजा के बाद आरती करना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा, रात्रि जागरण के दौरान भी हर पहर में आरती की जा सकती है।

निष्कर्ष

हरतालिका तीज आरती इस कठिन व्रत का सार है। यह वह क्षण है जब व्रती अपनी दिन भर की तपस्या का फल ईश्वर को समर्पित करती है और उनसे अपने परिवार के लिए आशीर्वाद मांगती है। दीपक की लौ, शंख की ध्वनि और आरती के पवित्र बोल मिलकर एक ऐसा दिव्य वातावरण बनाते हैं जो मन को असीम शांति और ऊर्जा से भर देता है। इस हरतालिका तीज पर, पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से यह आरती करें और शिव-पार्वती का असीम आशीर्वाद प्राप्त करें।

(Disclaimer: यह लेख धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। किसी भी पूजा-विधि को करने से पहले किसी विद्वान पंडित से परामर्श अवश्य करें।)

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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