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अजा एकादशी का दूसरा नाम क्या है? जानें क्यों कहलाती है ‘अन्नदा’ और इसका रहस्य

अजा एकादशी का दूसरा नाम क्या है? जानें क्यों कहलाती है ‘अन्नदा’ और इसका रहस्य

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली पुण्यदायी एकादशी को हम सभी मुख्य रूप से ‘अजा एकादशी’ के नाम से जानते हैं। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से समस्त पापों का नाश होकर अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पवित्र एकादशी का एक और महत्वपूर्ण नाम भी है?

अक्सर भक्तों के मन में यह जिज्ञासा होती है कि अजा एकादशी को और किस नाम से जाना जाता है? और एकादशियों के नाम अलग-अलग क्यों होते हैं? यह प्रश्न केवल सामान्य ज्ञान का नहीं, बल्कि इस व्रत की गहरी आध्यात्मिक समझ से जुड़ा है। हर नाम के पीछे एक विशेष महत्व और फल छिपा होता है।

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इस लेख में, हम न केवल अजा एकादशी के दूसरे नाम का रहस्य उजागर करेंगे, बल्कि यह भी जानेंगे कि इस एकादशी के पीठासीन देवता कौन हैं और उनके स्वरूप का क्या अर्थ है। तो चलिए, इस ज्ञानवर्धक यात्रा में अजा एकादशी के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं।

अजा एकादशी का दूसरा नाम: ‘अन्नदा एकादशी’

अजा एकादशी को कुछ शास्त्रों और पंचांगों में ‘अन्नदा एकादशी’ (Annada Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम दो शब्दों के मेल से बना है:

  • अन्न (Anna): जिसका अर्थ है ‘अनाज’, ‘भोजन’ या ‘भरण-पोषण’।
  • दा (Da): जिसका अर्थ है ‘देने वाली’।

इस प्रकार, “अन्नदा” का शाब्दिक अर्थ है “अन्न प्रदान करने वाली” या “भरण-पोषण करने वाली”

इसे ‘अन्नदा एकादशी’ क्यों कहते हैं?

इस एकादशी को ‘अन्नदा’ कहने के पीछे इसका फलदायी महत्व छिपा है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और निष्ठा से इस एकादशी का व्रत करता है, उसके जीवन में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती। यह व्रत दुख, दरिद्रता और आर्थिक संकटों को दूर करता है और व्रती के घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता का वास होता है। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती का घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है। इसीलिए, अन्न और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली होने के कारण इसे ‘अन्नदा एकादशी‘ भी कहा जाता है।


‘अजा’ नाम का क्या अर्थ है?

अब जब हमने इसके दूसरे नाम को जान लिया है, तो यह समझना भी रोचक है कि इसका प्रचलित नाम ‘अजा’ क्यों है। ‘अजा’ भगवान विष्णु के सहस्रनामों में से एक है।

  • अजा (Aja): इस शब्द का अर्थ है “अजन्मा” या “जिसका कभी जन्म न हुआ हो”

चूंकि भगवान विष्णु स्वयंभू हैं, अनादि और अनंत हैं, उनका न कोई आरंभ है और न कोई अंत, इसीलिए उन्हें ‘अज’ या ‘अजा’ कहा जाता है। यह एकादशी सीधे तौर पर भगवान विष्णु के इसी अजन्मा स्वरूप को समर्पित है, इसलिए इसे अजा एकादशी कहते हैं।

अजा एकादशी के पीठासीन देवता: भगवान ‘ऋषिकेश’

हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, वर्ष में आने वाली 24 एकादशियों में से प्रत्येक के एक पीठासीन देवता होते हैं, जो भगवान विष्णु के ही विभिन्न स्वरूप हैं। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी के पीठासीन देवता भगवान ऋषिकेश (Hrishikesha) हैं।

  • ऋषिकेश (Hrishikesha): यह नाम भी दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘हृषीक’ (Hrishik) जिसका अर्थ है ‘इंद्रियां’ और ‘ईश’ (Isha) जिसका अर्थ है ‘स्वामी’ या ‘नियंता’।

इस प्रकार, “ऋषिकेश” का अर्थ है “इंद्रियों के स्वामी”। भगवान विष्णु ही हमारी सभी इंद्रियों (आंख, कान, नाक, आदि) के नियंत्रक और स्वामी हैं। अजा एकादशी पर भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्रती को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है, जिससे वह मोह-माया और सांसारिक विकारों से ऊपर उठकर आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होता है। [1]


तुलनात्मक सारणी: अजा एकादशी के विभिन्न नामों का अर्थ और महत्व

नामशाब्दिक अर्थआध्यात्मिक महत्वव्रत का फल
अजा एकादशी‘अजन्मा’ की एकादशीभगवान विष्णु के स्वयंभू और अनादि स्वरूप की पूजा।जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति की ओर अग्रसर होना, पापों का नाश।
अन्नदा एकादशी‘अन्न प्रदान करने वाली’ एकादशीभगवान विष्णु के पालनहार स्वरूप की आराधना, जो संपूर्ण जगत का भरण-पोषण करते हैं।दुख, दरिद्रता का नाश, घर में अन्न-धन की वृद्धि और सुख-समृद्धि।
ऋषिकेश की एकादशी‘इंद्रियों के स्वामी’ की एकादशीभगवान विष्णु के उस स्वरूप की पूजा जो इंद्रियों के नियंत्रक हैं।इंद्रियों पर विजय, मन की चंचलता पर नियंत्रण और आध्यात्मिक शांति।

एकादशियों के नाम अलग-अलग क्यों होते हैं?

यह एक बहुत ही रोचक प्रश्न है। प्रत्येक एकादशी का नामकरण उसके पीछे छिपी कथा, उसके फल, मास या उसके पीठासीन देवता के आधार पर किया जाता है।

  1. मास के आधार पर: जैसे चैत्र मास में आने वाली ‘कामदा एकादशी’।
  2. फल के आधार पर: जैसे पुत्र प्राप्ति का वरदान देने वाली ‘पुत्रदा एकादशी’।
  3. नियम के आधार पर: जैसे बिना जल के व्रत रखने वाली ‘निर्जला एकादशी‘।
  4. कथा के आधार पर: जैसे राजा हरिश्चंद्र की कथा से जुड़ी ‘अजा एकादशी’।
  5. पीठासीन देवता के आधार पर: जैसे भगवान ऋषिकेश से जुड़ी ‘अजा एकादशी’।

कैसे करें: पूजा में इन नामों के महत्व को कैसे आत्मसात करें?

अजा एकादशी का व्रत रखते समय आप इन नामों के गहरे अर्थों से जुड़कर अपनी पूजा को और भी सार्थक बना सकते हैं।

  • ‘अजा’ स्वरूप का ध्यान: पूजा करते समय भगवान विष्णु के उस अनादि, अनंत और अजन्मा स्वरूप का ध्यान करें जो इस संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार हैं।
  • ‘अन्नदा’ स्वरूप का आभार: भोग लगाते समय भगवान को अन्नदाता के रूप में धन्यवाद दें कि उनकी कृपा से ही हमें भोजन और sustenance प्राप्त हो रहा है। इस दिन अन्न का दान करना ‘अन्नदा’ एकादशी को सार्थक बनाता है।
  • ‘ऋषिकेश’ स्वरूप से प्रार्थना: मंत्र जाप करते समय भगवान ऋषिकेश से प्रार्थना करें कि वे आपको अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की शक्ति प्रदान करें ताकि आपका मन व्यर्थ के विषयों में न भटके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: अजा एकादशी का दूसरा प्रसिद्ध नाम क्या है?
उत्तर: अजा एकादशी को ‘अन्नदा एकादशी‘ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह व्रत करने वाले के जीवन में अन्न-धन की वृद्धि करती है।

प्रश्न 2: ‘अजा’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: ‘अजा’ का अर्थ है ‘अजन्मा’। यह भगवान विष्णु का एक नाम है, क्योंकि वे स्वयंभू और अनादि हैं।

प्रश्न 3: अजा एकादशी के पीठासीन देवता कौन हैं?
उत्तर: इस एकादशी के पीठासीन देवता भगवान विष्णु के ‘ऋषिकेश‘ स्वरूप हैं, जिनका अर्थ है ‘इंद्रियों के स्वामी’।

प्रश्न 4: क्या सभी एकादशियों के अलग-अलग नाम होते हैं?
उत्तर: हाँ, वर्ष में आने वाली सभी 24 एकादशियों के उनके महत्व, कथा या फल के आधार पर अलग-अलग नाम हैं।


निष्कर्ष

अजा एकादशी को केवल एक नाम से जानना उसकी महिमा को सीमित करने जैसा है। इसे अजाअन्नदा, और भगवान ऋषिकेश की एकादशी के रूप में समझना हमें इसके बहुआयामी लाभों से परिचित कराता है। यह व्रत न केवल हमारे पापों का नाश करता है और हमें आध्यात्मिक रूप से उन्नत करता है, बल्कि यह हमारे भौतिक जीवन में सुख, समृद्धि और स्थिरता भी लाता है।

अगली बार जब आप अजा एकादशी का व्रत करें, तो इन नामों के गहरे अर्थों का ध्यान अवश्य करें। यह आपकी श्रद्धा को और भी मजबूत करेगा और आपको भगवान विष्णु की असीम कृपा का पात्र बनाएगा।

जय श्री ऋषिकेश! जय श्री हरि विष्णु!


संदर्भ और प्रेरणा स्रोत (References & Sources of Inspiration)

  1. Bhavishya Purana (भविष्य पुराण) – for the story and names associated with Aja Ekadashi.
  2. Padma Purana (पद्म पुराण) – which lists the presiding deities of all 24 Ekadashis.
  3. Vaishnava scriptures and theological texts explaining the names and forms of Lord Vishnu.

KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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