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Smart Contract क्या हैं | What is Smart Contract in Hindi

Smart Contract क्या हैं | What is Smart Contract in Hindi

क्या आप Smart Contract क्या है (Smart Contract in Hindi) इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी रखते हैं। यदि नहीं तो आज हम इस पोस्ट में आपको Smart Contract के बारे में विस्तार पूर्वक सभी पहलुओं को बताने वाले है। जब भी हम Cryptocurrency या Blockchain के बारे में ऑनलाइन पढ़ते है, तो हमें कहीं ना कही स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का जिक्र जरूर पढ़ने को मिलता है। हालांकि वहां पर हम इसके बारे में पूरी तरह से नहीं जान पाए हैं, कारण यह अपने आप में एक विस्तृत टॉपिक है।

जिस विषय के बारे में आज हम इस लेख में जानेंगे। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ठीक उसी तर्ज पर कार्य करते हैं, जिस प्रकार हम किसी प्रॉपर्टी को खरीदते समय उसके कुछ नियम और शर्ते रखते है, ठीक उसी तर्ज पर जहाँ पर ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है, वहां पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट उपयोग में लाए जाते हैं। चलिए विस्तार से जानते है, Smart Contract क्या है –

Smart Contract क्या है | What is Smart Contract in Hindi

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एक प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम होता है, जिस प्रकार से एक साधारण कॉन्ट्रैक्ट होता है, ठीक उसी प्रकार से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट भी होता है। लेकिन स्मार्ट और साधारण कॉन्ट्रैक्ट में फर्क इतना हाेता है, कि सामान्य कॉन्ट्रैक्ट पेपर पर होता है, और यह पूरी तरह से कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग की सहायता से किया जाता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में सभी नियम और शर्तो को कंप्यूटर में कोडिंग का इस्तेमाल कर बनाया जाता है।

जब भी हम कोई प्रॉपर्टी या अन्य कुछ कीमती वस्तु का खरीदी या विक्रय करते है, तो आपस में दो व्यक्ति इसकी डील करते है, और दोनों पक्षों के बिच में कुछ नियम और शर्ते रखी जाती है, जिनमे एक कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षार किए जाते है, ठीक उसी प्रकार से Smart Contract भी होता है, जिसकी सहायता से आप कंप्यूटर पर ही टेक्नोलॉजी की मदद से कॉन्ट्रैक्ट ले सकते है, इसे आम बोल चाल कि भाषा में डिजिटल कॉन्ट्रैक्ट भी कहते है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट Blockchain Technology पर कार्य करता है। इसके अंदर एक बार जो भी Data ऐड किया जाता है, उसमे फिर किसी भी तरह के बदलाब नहीं किया जा सकता है, यह पूर्ण रूप से सुरक्षित होता है। दोस्तों हमें आशा है कि, अब तो आपकों स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या है? सरलता से समझ में आ गया होगा।

Smart Contract कैसे काम करता है? How Does Smart Contract Work

बताते चलें कि, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ब्लॉकचैन के साथ जुड़ा हुआ होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की मदद लेकर कोई भी दो अनजान व्यक्ति एक दूसरे के साथ व्यवसाय या बिज़नेस कर सकते है। जिस प्रकार से एक साधारण कॉन्ट्रैक्ट होता है, ठीक उसी प्रकार से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट भी होते है। लेकिन इन दोनों में फर्क यह होता है कि, नार्मल कॉन्ट्रैक्ट में हमें एक तीसरे व्यक्ति की आवश्यकता होती है।

उदहारण के लिए : जब हम एक घर खरीदते या बेचते है, तो ऐसे में हमें एक थर्ड पार्टी की आवश्यकता होती है, जिसकी सहायता से हम अपना घर बेचते है, या खरीदते है। जब हम घर के डॉक्यूमेंट बनवाते है, तो उसमे बहुत अधिक समय खर्च होता है। बावजूद फ्रॉड की आशंका बनी रहती है। लेकिन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में फ्रॉड होने की कोई भी गुंजाईश नहीं होती है।

क्योकिं यह ब्लॉकचैन से जुड़ा होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में कार्य को बहुत तेजी के साथ किया जाता है। इसमें किसी भी तरह की धोखाधड़ी नहीं हो सकती है, यह पूरी तरह से सुरक्षित है। जब भी हम स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करते है, तो यह ब्लॉकचैन के सभी ब्लॉक या लेज़र में जाकर सेव या सुरक्षित हो जाता है। जिसे बाद में बदलना नामुमकिन है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को बनाने का उद्देश्य है कि, किन्हीं भी दो लाेगों के बीच हो रहे बिजनेस में किसी तीसरे व्यक्ति का कोई हस्तक्षेप ना हो सके। एक बार स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को बनाने के बाद इसमें नियम शर्तो को बनाया जाता है। इसके बाद यह अपने आप चलता रहता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को बनाने के लिए मुख्य रूप से सॉलिडिटी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का यूज किया जाता है। यह लैंग्वेज जावा स्क्रिप्ट से मिलकर बनी होती है।

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What is Smart Contract in Hindi

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का इतिहास (History of Smart Contracts)

वर्तमान समय में जिस प्रकार से अन्य अविष्कारों के बारे में सभी लोगों के मन में जिज्ञास होती है, ठीक उसी तरह से कई लोगों का गूगल पर एक सवाल होता है, Smart contracts का आविष्कार किसने किया? स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को पहली बार Nick Szabo ने सन 1990 में Introduced किया था। Nick Szabo ने इसके अंतर्गत सभी नियम और शर्तो को रखा, जिसमें प्रोटोकॉल शामिल हैं।

जो की पार्टियों के सभी वादों को पूरा करती है। निकोलस स्जाबो Computer Scientist, Legal Scholar, and Cryptographer है, जो की Smart Contracts, Digital Application, और Digital Currency में अपनी रिसर्च के लिए जाने जाते है। “स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स” को निकोलस स्जाबो ने दो अजनबी लोगो के बिच में Electronic Commerce Protocol के लिए Contract Law और अभ्यास को ज्यादा विकसित करने के लिए किया था।

सन 1994 में एक Concept लिखा जिसमे उन्होंने बताया की स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स क्या कर सकते है। Nick Szabo ने आटोमेटिक, क्रिप्टोग्राफ़िक को सुरक्षति प्रक्रियों पर निर्मित एक डिजिटल मार्किट की कल्पना की थी। जहाँ पर बिना किसी थर्ड पार्टी के लेनदेन और बिज़नेस भरोसे के साथ आसान हो सके। इसके लिए एथेरियम पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को Behavior में लाया गया।

Smart Contract के फ़ायदे और नुकसान

यदि कोई वस्तु हमारे लिए फायदेमंद होते है, तो उसके कुछ ना कुछ नुक्सान भी जरूर होते है। हालांकि कई बार कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर या Product होते है, जिनके नुकसान ना के बराबर होते हैं। चलिए जानते है, Smart Contract Advantages and Disadvantages के बारे में –

Smart Contract के फ़ायदे

  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स में किसी भी थर्ड पार्टी की आवश्यकता नहीं होती है, यहाँ पर सभी कॉन्ट्रैक्ट दो लोगो के बिच में ही हो जाते है। जिसकी वजह से आपके पैसे और समय दोनों बचते है।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को हैक करना नामुमकिन है, क्योकिं यह Blockchain Technology पर बना हुआ है। जबकि एक नार्मल कॉन्ट्रैक्ट में फ्रॉड हो सकता है।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स में आपको सभी Information नियम और शर्ते एक ही बाद Add करनी होती है। इसके बाद यह ऑटोमैट्स रूप से कार्य करता है।
  • अगर हम एक नार्मल कॉन्ट्रैक्ट के फुल प्रोसेस की बात करें, तो उसमे बहुत समय लगता है। वही स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स Computerize होने की वजह से सभी कार्य को बहुत जल्दी खत्म कर देता है।

Smart Contract के नुक्सान

  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को आप ज्यादा बड़ा नहीं बना सकते है। क्योकिं इसकी सबसे अधिक बड़ी फाइल 24KB की होती है, आप इससे ज्यादा बड़ी फाइल नहीं बना सकते है।
  • अगर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाते समय आप से कुछ गलती हो जाती है, या उसमे कुछ भी इनफार्मेशन भरने से रह जाती है, तो आप उसे दुबारा ठीक नहीं कर सकते है।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के नियम और शर्ते किसी भी सरकार के अंतर्गत नहीं होती है। इसकी सभी शर्ते Smart Contract Service Provider ही तय करते है। जिसकी वजह से बहुत से लोग स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग करने से बचते है।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स एक बार बनने के बाद इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाब नहीं किया जा सकते है। यह एक सामान्य कॉन्ट्रैक्ट्स की तुलना में अधिक महंगे होते है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे बनाए (How to Create Smart Contract)

दोस्तों यदि आप भी एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाना चाहते है, तो इससे पहले आपकों Blockchain Technology क्या है, इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी होना बेहद ही जरूरी है। इतना ही नहीं आपकों स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। साथ ही आपको स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाने के लिए Programming Language का भी यथा संभव ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।

जिस भाषा में यह कॉन्ट्रैक्ट बनते है, उसे Solidity Programming Language कहते है। यदि आपकों यह सभी जानकारियां है, तो आप अपने लिए एक स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट लिखना शुरू कर सकते है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाने के लिए इंटरनेट पर बहुत सारे Blockchain Network है, जहाँ पर आप स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बना सकते है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाने के लिए सबसे अच्छा नेटवर्क Ethereum है। यहाँ पर आपको बहुत सारे Tutorial भी मिल जाते है। जिनकी मदद से आपको स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाते समय किसी भी तरह की कोई समस्यां नहीं आएगी। इसके लिए आपको से पहले Ethereum पर आपने एक अकाउंट बनाना है। इसके बाद आपको एक Contract Fiile बनानी है।

आपको अपना स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट Solidity Programming Language में लिखना है। इसके बाद आपको अपने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को Ethereum Network पर Deploy करना है। एक बार जब आपका कॉन्ट्रैक्ट Ethereum Network पर Deploy हो जाता है, तो यह Ethereum Blockchain में स्टोर हो जाता है, और यह अपने कार्य करता रहता है।

Note : दोस्तों यह पोस्ट Smart Contract Kya Hai इसके बारे में था। जिसमे आपको स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है? इसके अलावा इससे जुड़ी और भी कई महत्पूर्ण जानकारियों के बारे में बताया गया है। अगर आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है। हमें उत्तर देने में बेहद ही खुशी होगी। यदि यह रोचक लेख अच्छा लगा, तो कृपया इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

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KAMLESH VERMA

दैनिक भास्कर और पत्रिका जैसे राष्ट्रीय अखबार में बतौर रिपोर्टर सात वर्ष का अनुभव रखने वाले कमलेश वर्मा बिहार से ताल्लुक रखते हैं. बातें करने और लिखने के शौक़ीन कमलेश ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से अपना ग्रेजुएशन और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है. कमलेश वर्तमान में साऊदी अरब से लौटे हैं। खाड़ी देश से संबंधित मदद के लिए इनसे संपर्क किया जा सकता हैं।

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