Holi कब है, यह तो आप सभी को आमतौर पर पता होता ही है, लेकिन क्या आपको पता हैं कि हम होली क्यों मनाते है? रंगों के पर्व Holi का नाम सुनते ही सभी आयु वर्ग के लोगों के मन में उत्साह और उमंग का भाव आ जाता है। Holi रंगों का त्यौहार हैं जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग फिर चाहे वह बच्चा हो या बूढ़ा, सभी उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। इसी कारण इस पर्व को सब खुशियों का त्यौहार भी कहते हैं।
हमारे अदभुत भारत देश जैसा पूरे विश्व में दूसरा और कोई भी देश नहीं जहाँ लोग एक साथ मिलकर बिना किसी भेद भाव के भाई चारे के साथ सारे त्योहारों का लुफ्त उठाते हैं।
होली पर्व हिन्दुओं का प्रमुख और बहुत ही प्रचलित त्यौहारों में से एक है, लेकिन फिर भी इस त्यौहार को हर जगह हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर प्रेम से मनाते हैं। इसी स्नेह के चलते यह त्यौहार एक दुसरे के प्रति आपसी प्यार को बढ़ाता है। और दुश्मनों को भी दोस्त बना देता है।
भारत देश में जितने भी त्यौहार मनाए जाते हैं, उन सबके पीछे एक पौराणिक और सच्ची कथा छिपी हुई होती है। ठीक उसी प्रकार holi में रंगों के साथ खेलने के पीछे भी बहुत सी कहानियाँ हैं। आज इस लेख से हम ये जानेंगे की होली फेस्टिवल क्यों मनाया जाता है?
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होली क्या है – What is Holi in Hindi
Table of Contents
Holi का दिन बहुत ही शुभ दिन होता है। यह पर्व प्रतिवर्ष वसंत ऋतू के समय फागुन यानि की मार्च के महीने में आता है जिसे पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रंगों का पर्व सबसे ज्यादा ख़ुशी देने वाला त्यौहार होता है। यह बसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दी ख़तम हो जाती है और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।
इस साल 8 मार्च को पूरी भारत देश में हर जगह होली खेली जाएगी। भारत के कुछ हिस्सों में इस त्यौहार को किसान अच्छी फसल के पैदावार होने की खुशी में मनाते हैं।
रंगों का पर्व होली का यह उत्सव फागुन के अंतिम दिन होलिका दहन की शाम से शुरू होता है और अगले दिन सुबह सभी लोग आपस में मिलते हैं, गले लगते हैं और एक दूजे को रंग और अबीर लगाते हैं। इस दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बेहद सुन्दर और रंगीन नज़र आती है। इस पर्व को एकता, प्यार,खुसी, सुख और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है।
होली कितनी तारीख को है?
होली 2023 भारत में बुधवार, 8 मार्च को है। होली की तारीख भारतीय कैलेंडर के हिसाब से तय होती है और हर साल इसमें बदलाव होता है। यह आमतौर पर हर महीने के मार्च में मनाया जाता है।
होली क्यों मनाया जाता है?
आखिरकार होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? होली के इस पर्व से दर्जनों पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई हैं। जिनमें से सबसे अधिक प्रचलित कहानी है प्रह्लाद और उनके भक्ति की है। किवदंति है कि, पुरातन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक बलशाली असुर यानी की राक्षस हुआ करता था। जिसे ब्रह्म देव द्वारा यह वरदान मिला था की उसे कोई इंसान या कोई जानवार नहीं मार सकता, ना ही किसी अस्त्र या शस्त्र से, ना घर के बाहर ना अन्दर, ना ही दिन में और ना ही रात में, ना ही धरती में ना ही आकाश में।
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असुर के पास इस असीम शक्ति होने की वजह से वो घमंडी हो गया था। अंहकार में वह स्वयं को ही भगवन समझता था। अपने राज्य के सभी लोगों के साथ अत्याचार करता था और सभी को भगवन विष्णु की पूजा करने से मना करता था और अपनी पूजा करने का निर्देश देता था क्यूंकि वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवन विष्णु ने मारा था।
हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था। एक अशुर का पुत्र होने के बावजूद वो अपने पिता की बात ना सुन कर वो भगवन विष्णु की पूजा करते थे। हिरण्यकश्यप के खौफ से सभी लोग उसे भगवन मानने के लिए मजबूर हो गए थे सिवाय उसके पुत्र प्रह्लाद के।
हिरण्यकश्यप को ये बात मंजूर नहीं थी उसने काफी प्रयास किया की उसका पुत्र भगवन विष्णु की भक्ति छोड़ दे मगर वो हर बार अपने प्रयास में असफल होता रहा। इसी क्रोध में उसने अपने ही पुत्र की मृत्यु करने का फैसला लिया।
किसकी याद में होली जलाई जाती है?
ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।
2023 में होली कब है?
2023 में होली 8 मार्च को है, जो देशभर में 8 से 9 मार्च को मनाई जाएगी। 7 मार्च की शाम को होलिका दहन होगा। उसके बाद 8 को छोटी और 9 तारीख को पूरे देश, दुनिया में होली का त्यौहार मनाया जाएगा।
होलिका दहन की कहानी
अपने इस घिनौने चाल में उसने अपने बेहेन होलिका से सहायत मांगी। होलिका को भी भगवान शिव द्वारा एक वरदान प्राप्त था जिसमे उसे एक वस्त्र मिला था। जब तक होलिका के तन पर वो वस्त्र रहेगा तब तक होलिका को कोई भी जला नहीं सकता।
हिरण्यकश्यप ने एक षड़यंत्र रचा और होलिका को ये आदेश दिया की वो प्रहलाद को अपने गोद में लेकर आग में बैठ जाए। आग में होलिका जल नहीं सकती क्यूंकि उसे वरदान मिला है लेकिन उसका पुत्र उस आग में जाल कर भस्म हो जायेगा जिससे सबको ये सबक मिलेगा की अगर उसकी बात किसी ने मानने से इनकार किया तो उसका भी अंजाम उसके पुत्र जैसा होगा।
जब होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी तब वो भगवन विष्णु का जाप कर रहे थे। अपने भक्तो की रक्षा करना भगवन का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है इसलिए उन्होंने भी एक षड़यंत्र रचा और ऐसा तूफ़ान आया जिससे की होलिका के शरीर से लिपटा वश्त्र उड़ गया और आग से ना जलने का वरदान पाने वाली होलिका भस्म हो गयी और वहीँ दूसरी और भक्त प्रह्लाद को अग्नि देव ने छुआ तक नहीं।
तब से लेकर अब तक हिन्दू धर्म के लोग इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखते हैं और उस दिन से होली उत्सव की शुरुआत की गयी और इस दिन को मानाने के लिए लोग रंगों से खेलते थे।
होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन होता है जिसमे लकड़ी, घास और गाय का गोबर से बने ढेर में इंसान अपने आप की बुराई भी इसके चारो और घूमकर आग में जलाता है और अगले दिन से नयी शुरुआत करने का वचन लेते हैं।
होली महोत्सव का इतिहास
क्या है होली का महत्व? होली का त्यौहार अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं के कारण प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। इसका उल्लेख भारत की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों,जैसे पुराण, दसकुमार चरित, संस्कृत नाटक, रत्नावली में किया गया है।
होली के इस अनुष्ठान पर लोग सड़कों, पार्कों, सामुदायिक केंद्र, और मंदिरों के आस-पास के क्षेत्रों में होलिका दहन की रस्म के लिए लकड़ी और अन्य ज्वलनशील सामग्री के ढेर बनाने शुरू कर देते है। बहुत से लोग घर पर साफ- सफाई भी करते हैं। इसके साथ विभिन्न प्रकार के मिष्ठान और पकवान भी बनाते हैं जैसे- की गुझिया, मिठाई, मठ्ठी, मालपुआ, चिप्स आदि।
होली पूरे भारत में हिंदुओं के लिए एक बहुत बड़ा त्यौहार है, जो ईसा मसीह से भी पहले कई सदियों से मौजूद है। अगर इससे पहले की होली की बात करें तब यह त्यौहार विवाहित महिलाओं द्वारा पूर्णिमा की पूजा द्वारा उनके परिवार के अच्छे के लिये मनाया जाता था। प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस त्यौहार का जश्न मनाने के पीछे कई किंवदंतियों रही हैं।
होली हिंदुओं के लिए एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है। होली शब्द “होलिका” से उत्पन्न है। होली का त्यौहार विशेष रूप से भारत (आर्याव्रत) के लोगों द्वारा मनाया जाता है जिसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है। एक बड़ा कारण यह है की यह त्यौहार केवल रंगों का नहीं बल्कि भाईचारे का भी है।
जैसे हम त्यौहार के दोरान सभी रंगों का उपयोग करते हैं। ठीक उसी प्रकार हमें आपस में भाईचारे की भावना से रहना चाहिए और एक दुसरे के साथ मिल्झुलकर सभी त्यौहारओं को पालना चाहिए।
होली एक ऐसा त्यौहार है जिसे देश का हर प्रान्त बड़ी धूमधाम से मनाता है। अलग अलग प्रान्तों में उनके सांस्कृति के अनुसार इसे रीती निति से मनाया जाता है। यह त्यौहार हमें जीवन में सबके साथ मिलझूलकर रहने की प्रेरणा देता है।
Holi को सही तरीके से कैसे मनाएं
पहले होली के रंग प्राकृतिक चीजों से बनते थे। जैसे फूलों से और उन्हें गुलाल कहा जाता था। वो रंग हमारी त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता था क्यूंकि उसमे कोई भी chemicals नहीं मिलाया जाता था। लेकिन वर्तमान समय में दुकानों पर रंगों के नाम पर chemicals से बने powder बिकते हैं जो हम सबकी सेहत के लिए हानिकारक है खाश कर के बच्चों के लिए।
यह chemicals से बने रंग कम दामों में मिलते हैं और natural रंग जिससे असल में होली के दिन इस्तेमाल करना चाहिये उसके दाम थोड़े ज्यादा होते हैं इसलिए लोग कम दामों वाला रंग खरीद लेते हैं इस बात से अनजान हो कर की वो रंग उनके लिए कितना खतरनाक है।
इस ख़राब रंग के कारण कई लोगो ने होली खेलना छोड़ दिया है जो बड़े ही दुःख की बात है क्यूंकि chemicals से बने रंग की वजह से लोगों को बहुत से शारीरिक रोगों को बाद में झेलना पड़ता है। हमें इस पुराने और प्रशिद्ध त्योहार को अच्छे और सही तरीके से मनाना चाहिये। इसलिए आज मै आपको बताउंगी की इस बार आपको होली के दिन क्या करना है और क्या नहीं करना है।
होली के दिन क्या करना है
1. Holi के दिन organic और naturals रंगों का उपयोग करें। जैसे की Food dye।
2. इस दिन आप इस प्रकार के कपड़े पहने जिससे आपका पूरा शरीर ढका हो। ताकि जब कोई दूसरा व्यक्ति आपको chemicals से बने रंग लगाए तो आपकी त्वचा कपड़ो की वजह से बच जाए।
3. अपने चेहरे, शरीर और बाल पर कोई भी तेल लगा लें ताकि जब आप रंगों को नहाते वक़्त छुड़ाने की कोशिश करें तो वो आसानी से छुट जाए।
4. रंगों से खेलने के बाद यदि आपको कोई भी शारीरिक परेशानी होना शुरू हो जाए बिना कुछ सोचा तुरंत चिकित्सक के पास जाए।
5. Asthma पीड़ित व्यक्ति face mask का उपयोग रंग खेलते वक़्त जरुर करें।
6. सर पर आप टोपी का इस्तमाल कर सकते हैं ताकि बालों को नुकसान न हो।
होली के दिन क्या नहीं करना है
1. Chemicals से बने रंग या synthetic रंग का इस्तेमाल बिलकुल भी ना करें।
2. रंगों को किसी भी व्यक्ति के आँख, नाक, मुह और कान में ना डालें।
3. होली का दिन अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाएं और अजनबियों से दूर ही रहे।
4. Eczema से पीड़ित व्यक्ति रंगों से दूर रहने की कोशिश करें।
5. रंगों को दुसरे किसी पर भी जबरदस्ती ना डालें और ना ही जानवरों पर लगायें जिस तरह ये रंग हमारे लिए खतरनाक हैं उसी तरह ये जानवरों के लिए भी उतना ही खतरनाक हैं।
6. सस्ते chinese रंगों से दूर रहें क्यूंकि वो त्वचा के लिए बहुत हानिकारक है।
कैसे रंगों को अपने शरीर से मिटायें
सबसे अच्छा तरीका है अपने पुरे शरीर को पहले ही moisturise कर लें तेल के इस्तमाल से जिससे कोई भी रंग हमारे त्वचा में stick नहीं करेगा। इससे हम आसानी से इसे धो सकते हैं। बालों के लिए भी आप तेल का इस्तमाल कर सकते हैं अथवा आप सर पर टोपी लगा सकते हैं जिससे की आपके बालों को रंग को नुकसान नहीं पहुंचा सके।
जितना हो सके organic colours जैसे की food dye का इस्तमाल करें क्यूंकि chemicals हमारे त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ज्यादा सूखे रंग का इस्तमाल करें जिससे की उन्हें आसानी से झाडा जा सकता है।
होली शायरी इन हिंदी
अब वो दिन और नहीं रह गये जब लोग अपने प्रियजनों को wish करने के लिए postal services (डाक की व्यवस्ता) का इस्तमाल किया करते थे। अब तो email Ids का भी इस्तमाल बहुत ही कम किया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्यूंकि इनमें ज्यादा पैसों का भी खर्चा है और इसमें समय भी बहुत लगती है।
अब इस internet के युग में लोग एक दुसरे को wish करने के लिए technology का उपयोग करते हैं। Internet पर ऐसे बहुत से application उपलब्ध हैं (Whatsapp, Facebook, Telegram) जिनका इस्तेमाल कर वो pictures, messages और यहाँ तक की videos को एक दुसरे के पास भेज सकते हैं किसी भी festivals में।
इनका इस्तमाल कर हम एक साथ बहुत से लोगों तक अपनी भावना को एक ही समय में पहुंचा सकते हैं। इससे आपकी समय की बर्बादी भी नहीं होगी और साथ में पैसों की भी खर्च नहीं होगा।
क्या आप चाहते हैं कुछ बेहतरीन शायरी जानना?
यदि हाँ, तब हमारे साथ बने रहें और holi shayari in Hindi की एक बेहतरीन collection का मजा उठायें। इसमें बस आपको सही shayari को चुनकर अपने प्रियजन को उसे forward करना है।
तो फिर चलिए पढ़ते हैं। उम्मीद यही है की आपको ये जरुर पसदं आएगी।
रंगों के त्यौहार में सभी रंगों की हो भरमार, ढेर सारी खुशियों से भरा आपका संसार, यही दुआ है भगवान से हमारी हर बार, होली मुबारक हो मेरे यार !
अपने दिल का हाल बताना छोड़ दिया, हमने भी गहराई में जाना छोड़ दिया. अरे यह क्या ? होली से पहले आपने नहाना छोड़ दिया !!
Holi का Gulal हो रंगों की बहार हो गुजिया की मिठास हो एक बात ख़ास हो सब के दिल में प्यार हो यहि अपना त्यौहार हो Wish U very Happy Holi
गुल ने गुलसन से गुलफाम भेजा है, सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है, मुबारक हो आपको holi का त्यौहार, हमने दिल से यह पैगाम भेजा है।
Happy Holi Wishes in Hindi
मथुरा की खुशबू ,गोकुल का हार, वृन्दाबन की सुगंध ,बरसाने की फुहार ! राधा की उम्मीद ,कान्हा का प्यार , मुबारक हो आपको होली का त्यौहार !!
रंगों की ना होती कोई जात वो तो लाते बस खुशियों की सौगात हाथ से हाथ मिलाते चलो! होली हैं होली रंग लगाते चलो
खुदा करे यह अवसर हर बार चांद बनकर आए हर रंग की महक शान बनकर आए! कभी दूर न हो आपके चेहरे से हंसी होली का ये त्यौहार ऐसा मेहमान बनकर आए
प्यार के रंगों से भरो पिचकारी, स्नेह के रंगों से रंग दो दुनिया सारी! ये रंग न जाने न कोई जात न बोली, सबको हो मुबारक ये हैप्पी होली!
इन रंगो से भी सुन्दर हो ज़िन्दगी आपकी, हमेशा महकती रहे यही दुआ हैं हमारी, कभी न बिगड़ पाए ये रिश्तो के प्यार की होली ए-मेरे यार आप सबको मुबारक हो ये होली
निकलो गलियों में बना कर टोली। भिगा दो आज हर एक की झोली! कोई मुस्कुरा दे तो उसे गले लगा लो वरना निकल लो, लगा के रंग कह के हैप्पी होली
होली तो बस एक बहाना है रंगों का; ये त्यौहार तो है आपस में दोस्ती और प्यार बढाने का; चलो सारे गिले शिकवे दूर कर के एक दुसरे को खूब रंग लगते हैं; मिलकर होली मानते हैं. होली मुबारक हो!
प्यार, स्नेह, समर्पण, दुलार, महोब्बत, सदभावना, सद्विचार, इन सात रंगों की रहे बौछार, आज का दिन लाये आपके जीवन में सतरंगी बहार HAPPY HOLI
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होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
हिंदू धर्म में होली का त्यौहार सबसे प्रमुख त्यौहार है।हिंदू धर्म के भगवान विष्णु और उनके भक्त प्रह्लाद के सम्मान में यह त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है।
होली का महत्व क्या है?
इसमें हमें बुराई पर अच्छाई की जीत देखने को मिलता है। इससे हमें यह सीखने को मिलता हैं कि, बुराई चाहे कितनी भी सुहानी नज़र आए लेकिन अंत में हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।
होली की शुरुआत कैसे हुई?
होली की शुरूवात भारत महादेश में काफ़ी पुराने समय से हुई थी। जानकारों का मानना है की क़रीब 4th century CE से भारत में होली का उत्सव मनाया जाता है।
होलिका के पिता का क्या नाम था?
होलिका के पिता का नाम कश्यप ऋषि था।
होलिका का दूसरा नाम क्या था?
होलिका का दूसरा नाम हरदोई या हरिद्रोही था। होलिका को हरि का द्रोही भी कहा जाता था, इसलिए उन्होंने इसका नाम हरिद्रोही रखा गया था.
होली कौन से महीने में पड़ती है?
होली हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने में पड़ती है.
होली का अर्थ क्या है?
होली शब्द का अर्थ होता है पवित्रता। मानव के जीवन में हमेशा से पवित्रता को सबसे ज़्यादा महत्व देना चाहिए.
होली में क्या खाया जाता है?
होली के दिन विभिन्न प्रकार के मीठे और तीखे पकवान खाया जाता है। जैसे की ठंडाई, दही भल्ले, पूरन पोली, रशमलायी, बादाम फिरनी, भांग पकोड़ा इत्यादि।
होली में रंगों का इस्तमाल क्यूँ किया जाता है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण अपने दोस्तों के साथ होली के दिन रंगों से खेला करते थे, और तभी से होली को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है।
होलिका के माता का क्या नाम था?
होलिका के माता का नाम दिति था.