गुड़ी पड़वा 2022 क्यों मनाया जाता हैं, कब हैं और इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
Gudi Padwa Celebration 2022 Reasons, Date and Religious and Historical Significance in Hindi
गुड़ी पड़वा पर्व हिन्दू संस्कृति में शुरुआत से मनाए जाने की पंरपरा हैं. जिस प्रकार अंग्रेजी सभ्यता में 1 जनवरी का महत्व होता हैं ठीक उसी तरह हिन्दू रीति-रिवाज़ों में गुड़ी पड़वा का खास महत्व होता हैं. भारतवर्ष का सर्वमान्य सवंत विक्रम सवंत हैं. जिसका प्रथम महिना चैत्र माह होता हैं. इस माह के प्रथम दिन को गुडी पड़वा मनाया जाता हैं.
गुड़ी पड़वा 2022 तारीख | 02 अप्रैल 2022, शनिवार |
Gudi Padwa 2022 Date | 02 April 2022, Saturday |
गुडी पड़वा मनाने का कारण (Reason for celebrating Gudi Padwa)
गुड़ी पड़वा पर्व महज नए वर्ष की शुरुआत को लेकर ही नहीं मनाया जाता, इसके पीछे अनेकों कारण हैं, इस दिन कई घटनाएँ हुई थी जो कि हिन्दू मान्यताओं में काफी अहम योगदान रखती हैं. इसीलिए इस तारीख को मनाने पर कभी एक राय नहीं बनानी. यह हैं इस त्यौहार को मनाने के कुछ कारण
- ब्रम्हपुराण की मानें तो इसी दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ. इसी के चलते इस तिथि को सर्वोतम माना जाता हैं.
चैत्र मासे जगद्ब्रह्म समग्रे प्रथमेऽनि
शुक्ल पक्षे समग्रे तु सदा सूर्योदये सति। -ब्रह्मपुराण
- हिन्दू पंचांग विक्रम सवंत का शुभारंभ गुड़ी पड़वा से ही होता है. महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, मास और वर्ष की गणना कर विक्रम सवंत की रचना की थी. उस दौरा की गई गड़ना आज के कालखंड की गड़ना से बिल्कुल सटीक बैठती हैं.
- गुड़ी पड़वा को लेकर एक और धार्मिक मान्यता यह है कि इसी दिन भगवान् श्री राम ने दक्षिण के लोगों को बाली के अत्याचारों से मुक्त करवाया था. जिसकी ख़ुशी में लोगों में विजय पताकाएँ फहराई गई थी.
- एक अन्य मत के अनुसार भगवान श्रीराम से ही जुड़ी हुई हैं जिसके अनुसार इस दिन भगवान् श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था.
- इस दिन उज्जैयिनी की सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर विक्रम संवत का प्रवर्तन किया.
- इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है.
- इस दिन युधिष्ठिर ने राज्यारोहण किया था.
- महर्षि दयानन्द द्वारा आर्य समाज की स्थापना का दिवस
- इसी दिन से माँ दुर्गा का उपासना पर्व नवरात्री की शुरुआत होती हैं.
- गुड़ी पड़वा पर ही सिखों के द्वितीय गुरु गुरु अंगद देव जी के जन्म हरीके नामक गांव में, जो कि फिरोजपुर, पंजाब में हुआ था.
- गुडीपड़वा के दिन सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल का प्रकट दिवस हुआ था.
गुड़ी पड़वा का महत्व (Significance of Gudi Padwa 2022 in Hindi)
“गुड़ी पड़वा” एक मराठी शब्द है जिसमे “पडवा” मूल रूप से संस्कृत से लिया गया है. जिसका असल मतलब है कि, “चैत्र शुक्ल प्रतिपदा”. महाराष्ट्र के वीर योद्धा और महाराज छत्रपति शिवाजी थे, जिन्होंने इस दिन को नए साल के रूप में भव्य समारोह के साथ जीत की “विजयाध्वज” के प्रतीक के रूप मनाया था. इसके बाद इस दिन शिवाजी के उत्सव का प्रभाव महाराष्ट्र की एक मुख्य धारा के रुप में मनाया जाने लगा.
यह उत्सव भारत में फसल के उत्सव को भी दर्शाता है. इसका मतलब है कि रबी फसलों की फसल खत्म हो चुकी है और साल की शुरुआत में ताजे फलों की बुवाई करके स्वागत किया जाता है जैसे कि आम के दिन बड़े भाग्यशाली होते हैं.
इस दिन किए जाने वाले प्रमुख अनुष्ठानों को एक पवित्र स्नान, नए कपड़े पहनकर पूजा के रूप में किया जाता है. सामने के गेट या मुख्य द्वार में रंगीन रंगोलिस की ड्राइंग का पालन करके घर को सजाने के लिए, फूलों का उपयोग घरों को जीवंतता और रंगीन फूलों से रोशन करने के लिए किया जाता है. एक नया कलश तांबे या चांदी से बना होता है और रंग और केसरिया कपड़े से ढंका होता है और प्रवेश द्वार पर उल्टा फहराया जाता है. सभी सजावट और अनुष्ठान किए जाने के बाद नीम और गुड़ का प्रसाद बनाया जाता है.
गुड़ी पड़वा का अर्थ (Meaning of Gudi Padwa)
दो शब्दों में मिलकर बना हैं गुड़ी पड़वा. जिसमे गुडी का अर्थ होता हैं विजय पताका और पड़वा का मतलब होता हैं प्रतिपदा. इस दिन गुडी बनाकर उसे फहराया जाता हैं और उसकी पूजा की जाती हैं. यह प्रथा महाराष्ट्र और उससे जुड़े कुछ राज्यों में मनाई जाती हैं. इसके अलावा घर के दरवाजों पर आम के पत्तों से बना बंदनवार सजाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह बंदनवार घर में सुख, समृद्धि और खुशियाँ लाता है.
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