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16 साल के दुर्लभ ने किया मध्य प्रदेश के उज्जैन पर राज, बावजूद 19 साल की उम्र में गैंगवार ने ली जान, जानें हमारे साथ Durlabh Kashyap की पूरी कहानी

16 साल के दुर्लभ ने किया मध्य प्रदेश के उज्जैन पर राज, बावजूद 19 साल की उम्र में गैंगवार ने ली जान, जानें हमारे साथ Durlabh Kashyap की पूरी कहानी

उज्जैन. मध्य प्रदेश उज्जैन शहर महाकालेश्वर मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है. लेकिन आज उसी उज्जैन शहर का नाम एक गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है. हर अल्पआयु के युवा के नाम पर जय दुर्लभ के नारे है. हर कोई दुर्लभ कश्यप के जैसा बड़ा डाॅन बनने की चाह रख रहा है. चलिए जानते हैं कौन था दुर्लभ कश्यप, जिसकी मृत्यु के बाद भी हर किशोर उसके जैसा बनने की चाह रख रहा.
असल में जब उज्जैन में कक्षा 9वीं के बच्चे अपनी पढ़ाई में मशगुल थे, तभी उसी शहर का एक लड़का अपराध की सीढ़ी ऐसे चढ़ रहा था जैसे GTA Vicecity का मिशन पार कर रहा हो. कश्यप फेसबुक पर असलहों के साथ फोटों डालना, माथे पर काला टीका और कंधे पर काला गमछा डालने के लिए चर्चित था.
बहुत ही कम समय में दुर्लभ ने पूरे उज्जैन में अपना वर्चस्व बना लिया था. देखते ही देखते कश्यप ने अपना गैंग बना लिया. फिर क्या रोज पुलिस थानों में एक ही नाम से कई एफआईआर दर्ज होने लगे. पुलिस भी हैरान थी की महज 16 साल का लड़का इतना आंतक कैसे मचा सकता है.
चलिए अब असल कहानी की ओर रुख करते हैं, बात हैं 8 नवंबर साल 2000 में एक बिजनेस कारोबारी पिता और सरकारी टीचर मां के यहां किलकारियां गूंज उठी और जन्म हुआ एक लड़के का, पिता ने नाम रखा दुर्लभ उनका मानना था कि बड़े होकर उनका बेटा एक अच्छा और सबसे हटके कुछ नया करेगा.
हुआ भी कुछ ऐसा ही अच्छा तो नही लेकिन सबसे हटके जरूर दुर्लभ ने अपराध की दुनिया की ओर जाने वाले रास्ते को चुन लिया. सबसे पहले स्कूल से शुरूआत हुई. स्कूली समय से ही दुर्लभ अपने से सीनियर और जूनियर के झगड़ो को निपटाने लगा फिर धीरे-धीरे स्कूल का दादा बन गया.
फिर क्या था स्कूली दादा का खौफ इतना बढ़ गया की इसकी उम्र के लड़के दुर्लभ को ही अपना सिपेसालार की तरह मानने लगे. बहुत ही कम समय में कश्यप ने अपने ही उम्र के लड़कों के साथ एक गैंग बना लिया.
गैंग सदस्य कश्यप के कहने पर किसी को भी मौत के घाट उतारने को तैयार रहते थे. उज्जैन के स्थानीय लोगों की मानें तो दुर्लभ कश्यप का नाम इतना था की दूसरे शहर के लड़के भी उससे जूड़ने के लिए उज्जैन अपना घर बार छोड़कर आने लगे थे.
लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था, अब वो समय आ गया था जब दुर्लभ कश्यप उज्जैन के बड़े कारोबारी और पुलिस के आंखों में गड़ने लगा. यही वो वक्त था जब कश्यप अपनी उम्र के दहलीज को पार करके 17 साल का हो चुका था.
17 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते उसके ऊपर तमाम अपराधिक मामले भी दर्ज होने की शुरूआत हो चुकी थी, जिनमें फिरौती, जान से मारने की धमकी जैसे संगीन मुकदमे उज्जैन के कई थानों में दर्ज हो चुके थे.

18 साल की उम्र पार करते ही दुर्लभ पर 9 मुकदमे दर्ज हो चुके थे. ऐसा कहा जाता हैं की दुर्लभ को उज्जैन का भाई बनाने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ था. इसने अपने फेसबुक के अकाउंट के बायो में लिख रखा था की कि वह कुख्यात बदमाश है, हत्यारा और अपराधी है कोई सा भी विवाद हो, कैसा भी विवाद हो तो उससे संपर्क करें.

ऐसे तमाम पोस्ट के जरिए वो और उसका गैंग लोगों को धमकाने का काम करने लगें. लेकिन कहते है न की जुर्म का साथ अधिक दिनों तक नहीं रहता. जैसे ही उज्जैन पुलिस को इन पोस्ट के बारे में 27 अक्टूबर 2018 पता चला वैसे ही दुर्लभ और उसके गैंग के 23 लड़कों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ था कि, जब दुर्लभ कश्यप को जेल हुई. जेल आना जाना दुर्लभ का एक पेशा हो गया था.

दुर्लभ कश्यप जब जेल में था, तो उस वक़्त उज्जैन के तत्कालीन एसपी सचिन अतुलकर ने उससे कहा था कि कश्यप तूने कम उम्र में ज्यादा दुश्मनी पाल ली है, तू जेल में जब तक है तब तक ज़िन्दा है बाहर निकलेगा तो कोई न कोई तुझे मार देगा” और बाद में एसपी साहब की भविष्यवाणी बिल्कुल सत्य साबित हुई.

साल 2020 में लॉकडाउन के पूर्व दुर्लभ जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आया था, और इंदौर में रहने लगा जब लॉकडाउन खुला तो वो अपनी माँ के पास उज्जैन वापस चला गया.

वो 6 सितम्बर 2020 की रात थी जब

6 सितम्बर 2020 की रात को दुर्लभ की माँ ने अपने बेटे और उसके दोस्तों के लिए दाल बाटी बनाई थी, सबने साथ बैठकर खाना खाया, इसके बाद दुर्लभ अपने चार दोस्तों के साथ चाय और सिगरेट पीने के लिए अमन उर्फ़ भूरा की दूकान पर पहुंचा था.

रात के करीब डेढ़ बजे थे, यहाँ पर दूसरी गैंग के शहनवाज, शादाब, इरफ़ान, राजा, रमीज और उनके कई साथी पहले से मौजूद थे. पुरानी रंजिश के चलते दोनों एक दूसरे को घूरने लगे और शहनवाज से दुर्लभ की कहासुनी हो गयी. शाहनवाज और उसके साथियों ने चाकुओं से हमला कर दिया, दुर्लभ ने शाहनवाज पर गोली चला दी जो उसके कंधे पर लगी जिससे वो घायल हो गया.

इसी के बाद शहनवाज के साथी दुर्लभ और उसके दोस्तों पर टूट पड़े. दुर्लभ के साथ उसके चार दोस्त थे, जबकि शाहनवाज के साथियों की संख्या ज्यादा थी. इन लोगों ने दुर्लभ पर चाकुओं से वार करना शुरू कर दिया और उसके दोस्त अपनी जान बचाकर भाग गए.

दुर्लभ कश्यप के दोस्त अभिषेक शर्मा का कहना था कि शादाब चाक़ू मार रहा था और चाय वाला अमन उर्फ़ भूरा कह रहा था कि “शादाब भाई इसे ख़त्म कर दो जिन्दा मत छोड़ना”.

दुर्लभ को 34 बार चाकुओं से गोदा गया था और मात्र 20 साल की उम्र में उसकी मौत हो गयी.

एक माँ ने कुछ समय पहले अपने जिस बेटे को खाना खिलाया था, थोड़ी ही देर बाद उसी बेटे की लाश की शिनाख्त करने के लिए उसे बुलाया गया था. दुर्लभ कश्यप की मौत के 7 महीने बाद उसकी माँ पदमा ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. पिता मनोज कश्यप चाहते हैं कि जिस राह पर उनका बेटा गया कोई और युवा अपराध के उस रस्ते को न चुने.

दुर्लभ हत्याकांड के मुख्य आरोपी की भी जेल में मौत हो गयी. वो छत पर चड़ा और वहां से ओंधे मुंह नीचे कूद गया जिससे उसके सिर में गहरी चोट आई, उपचार के लिए उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी मौत हो गयी.

Ravi Raghuwanshi

रविंद्र सिंह रघुंवशी मध्य प्रदेश शासन के जिला स्तरिय अधिमान्य पत्रकार हैं. रविंद्र सिंह राष्ट्रीय अखबार नई दुनिया और पत्रिका में ब्यूरो के पद पर रह चुकें हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय अखबार प्रजातंत्र के नागदा ब्यूरो चीफ है.

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