2024 शारदीय नवरात्रि के छठे दिन के स्टेट्स | Navratri 6th Day Wishes
हिंदू समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले नवरात्रि के दिनों में क्रमशः शैलपुत्री माता, ब्रह्मचारिणी माता, चंद्रघंटा माता, कूष्मांडा माता, स्कंदमाता, कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, महागौरी और सिद्धिदात्री माता का पूजन किया जाता है. नवमी तिथि पर माता सिद्धिदात्री के पूजन के साथ कन्या भोज कराने के बाद नवरात्रि के व्रत का पारण किया जाता. यानी व्रत का समापन किया जाता है. इस पवन अवसर पर माँ कात्यायनी के भक्तों के लिए एक संदेशों और मंत्रों से भरा एक लेख लेकर आये हैं. जिसे आप अपने रिश्तेदारों और मित्रो के साथ साँझा कर सकते हैं.
Maa katyayani wishes In Hindi
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायानी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। नवरात्रि के पांचवे दिन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
ओम देवी कात्यायन्यै नम:। जय मां कात्यायनी देवी। नवरात्रि के पांचवे दिन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
चन्द्रह्रासोज्जवलकरा शार्दलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी। नवरात्रि के पांचवे दिन की हार्दिक शुभकामनाएं। मां कात्यायनी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
अर्थ, कर्म, मोक्ष प्राप्ति की देवी मां कात्यायनी आपको सुख समृद्धि वैभव एवं ख्याति प्रदान करें। नवरात्रि के पांचवे दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
कात्यायनी रूप तेरा दुर्गा मां प्यारा इसको जो जपता उसपर बहे तेरे आशीर्वाद की धारा उसकी जिंदगी में बस चारो ओर खुशियां हों घर में उसके नवदुर्गा बस तेरा ही आगमन हो।
Maa katyayani Quotes In Hindi
- मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
- मां कात्यायनी स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
Navratri 6th Day Wishes
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
- मां कात्यायनी स्त्रोत
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥