भगवान शिव जो धारण करते हैं उनके अर्थ, जानें यहां । Know the meaning of Lord Shiva who wears it here । 15 symbols of lord shiva
हिंदू धर्म को मानते हैं तो, भगवान शंकर का चित्र या मूर्ति देखी होगी. शिव की जटाएं हैं. जिनमें एक चन्द्र चिह्न होता है. मस्तक पर तीसरी आंख हैं और गले में सर्प और रुद्राक्ष की माला लपेटे रहते हैं. उनके एक हाथ में डमरू तो दूसरे में त्रिशूल है. भगवान शिव संपूर्ण देह पर भस्म लगाए रहते हैं. उनके शरीर के निचले हिस्से को वे व्याघ्र चर्म से लपेटे रहते हैं. वे वृषभ की सवारी करते हैं और कैलाश पर्वत पर ध्यान लगाए बैठे रहते हैं. आपके मन में यह सब देखकर कभी सवाल उठा है क्या ? इन सभी का अर्थ या मतलब क्या होता है, नहीं उठा है तो चलिए आज हम बताते हैं भगवान शिव जो धारण करते हैं उनके अर्थ.
15 symbols of lord shiva
जटाएं : शिव की जटाएं अंतरिक्ष का प्रतीक हैं।
चंद्र :चंद्रमा मन का प्रतीक है. शिव का मन चांद की तरह भोला,निर्मल,उज्ज्वल और जाग्रत है।
त्रिनेत्र : शिव की तीन आंखें हैं. इसलिए इन्हें त्रिलोचन भी कहते हैं. शिव की ये आंखें. सत्व, रज,तम तीन गुणों,
भूत, वर्तमान,भविष्य तीन कालों, स्वर्ग,मृत्यु,पाताल तीनों लोकों के प्रतीक हैं.
सर्पहार : सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन है.सर्प तमोगुणी व संहारक जीव है. जिसे शिव ने अपने वश में कर रखा है.
त्रिशूल : शिव के हाथ में एक मारक शस्त्र है.त्रिशूल भौतिक,दैविक,आध्यात्मिक. इन तीनों तापों को नष्ट करता है.
डमरु : शिव के एक हाथ में डमरू है. जिसे वह तांडव नृत्य करते समय बजाते हैं. डमरू का नाद ही ब्रह्मा रूप है.
मुंडमाला : शिव के गले में मुंडमाला है. जो इस बात का प्रतीक है, कि शिव ने मृत्यु को वश में किया हुआ है.
छाल : शिव ने शरीर पर व्याघ्र चर्म पहनी हुई है. व्याघ्र हिंसा और अहंकार का प्रतीक माना जाता है. इसका अर्थ है कि “शिव ने हिंसा और अहंकार का दमन कर उसे अपने नीचे दबा लिया है।”
भस्म : शिव के शरीर पर भस्म लगी होती है. शिवलिंग का अभिषेक भी भस्म से किया जाता है. भस्म का लेप बताता है कि यह संसार नश्वर है.
वृषभ : शिव का वाहन वृषभ यानी बैल है. वह हमेशा शिव के साथ रहता है. वृषभ धर्म का प्रतीक है. महादेव इस चार पैर वाले जानवर की सवारी करते हैं. जो बताता है कि– धर्म,अर्थ, काम और मोक्ष उनकी कृपा से ही मिलते हैं. इस तरह शिव-स्वरूप हमें बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है. महिमा अपरंपार है.उनमें ही सारी सृष्टि समाई हुई है.
इसे भी पढ़े :