मनोरंजन डेस्क । बाहुबली,केजीएफ ( bahubali,kgf ) और पुष्पा ( pushpa ) जैसी फिल्मो ने दर्शकों के बीच बॉलीवुड ( bollywood ) का क्रेज कम कर दिया हैं। एक दौर ऐसा हुआ करता था जब हिंदी फिल्मे ( hindi filmen ) के सामने किसी भी भाषा की फिल्मे नही चला करती थी। समय बढ़ने के साथ बॉलीवुड ( bollywood ) का नजरिया बदलने लगा और अत्याधुनिक बनने के चक्कर ( become cutting edge ) मे वो अपनी अस्मिता खोता गया। नतीजन धीरे धीरे हिंदी भाषी ( hindi filme) सिनेप्रेमी दक्षिण की डब्ड फिल्मों ( south dubbed movies ) की ओर आकर्षित होने लगा जिससे बॉलीवुड का मार्केट डाउन होते गया। आज के इस खास खबर में हम आपको बॉलीवुड के उस कलाकार की फिल्मो के बारें मे बताने जा रहे हैं। जिनकी फिल्मो ने समाजिक संदेश दिया और लोगो के मनोरंजित करने के साथ साथ शिक्षित और जागरुक करने का काम किया।
रजनीगंधा ( 1974 )
अमोल पालेकर की पहली हिंदी फिल्म जिससे उन्होंने डेब्यू किया वह थी रजनीगंधा, इसका निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था. इस फिल्म में वह संजय की भूमिका निभाते है जो दिल्ली में स्नातक की छात्र दीपा (विद्या सिन्हा) के साथ लंबे समय से रिश्ते में है संजय का व्यवहारअच्छा और मजाकिया है लेकिन थोड़ा जिम्मेदार भी है जिससे उनके रिश्ते में दरार आ जाती है रजनीगंधा एक बड़ी हिट साबित हुई थी और इस फिल्म ने फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार जीता था पलेकर ने बासु चटर्जी के साथ और भी कई फिल्में की.
चितचोर (1976)
बसु चटर्जी द्वारा निर्देशित चितचोर में अमोल पालेकर ने अभिनय किया था, इस फिल्म में उन्हें विनोद के किरदार में दिखाया गया था, जो एक युवा व्यक्ति है फिल्म में पालेकर के अभिनय को काफी पसंद किया गया था यह फिल्मी उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है.
छोटी सी बात (1976)
यह 1976 की बेस्ट रोमांटिक हिंदी फिल्मों में से एक रही है, जिसमें पालेकर को एक युवा मध्यम वर्ग के लड़के के रूप में चित्रित किया गया है. इस फिल्म में असामान्य हास्य प्रतिभा के रूप में उन्होंने अपना अभिनय किया है इस फिल्म में वह एक शर्मीले अकाउंटेंट की भूमिका निभाते हैं जो प्रभाव (विद्या सिन्हा) के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ रहते हैं. पालेकर को फिल्म अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए नामांकित किया गया था.
बातों बातों में (1979)
बातों बातों में यह एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है जिसमें टीना मुनीम के साथ अमोल पालेकर मुख्य भूमिका में है दोनों एक बॉम्बे लोकल में मिलते हैं जहां वें अपनी नौकरी और जीवन पर सामान्य रूप से सर चर्चा करते हैं एक गलतफहमी मित्रता में बाधा डालती है इस तरह यह फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है. यह फिल्म एक बड़ी व्यवसायिक सफलता थी और समीक्षकों द्वारा भी इसे खूब सराहा गया था.
गोलमाल (1979)
गोलमाल अमोल पालेकर की सर्वस्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म थी ऋषिकेश द्वारा निर्देशित, यह बैस्ट कॉमेडी हिंदी फ़िल्म थी. इस फ़िल्म ने भारतीयों के दिल के साथ–साथ कई पुरस्कार भी जीते और आलोचको द्वारा भी इसे सराहा गया. यह 1979 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी और इस फिल्म के लिए पालेकर ने फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता था.