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प्रकृति प्रेमी है मध्य प्रदेश का केमिकल इंजीनियर छात्र गोपाल राठौड़
नागदा. युवा पीढ़ी स्मार्ट गैजेट्स की गिरफ्त में है. 18 से 30 साल के युवा 24 घंटे में से 16 घंटे मोबाइल फोन के साथ बिता रहे हैं. इन सबके बीच एक युवा ऐसा भी है,जो प्रकृति मित्र बनने की राह पर चल पड़ा है|
हम बात कर रहे हैं, उज्जैन जिले के नागदा निवासी गोपाल राठौड़ की. राठौड़ उज्जैन के पॉलीटेक्नीक कॉलेज से केमिकल इंजीनियर कर रहे हैं. साल 2018 से उज्जैन नागदा अपडाउन कर पढ़ाई पूरी कर रहे हैं|
अपडाउन के दौरान दम तोड़ती क्षिप्रा नदी को देख राठौड़ को पर्यावरण की चिंता सताने लगी. पिता श्याम राठौड़ से नदी के सूखने का कारण पूछने पर पता चला कि, बढ़ते सीमेंट के जंगल ने प्रकृति को तबाह कर दिया है|
परिणाम स्वरूप प्रकृति इंसानों से बदला लेने लगी है. नित्य प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिल रही है. गोपाल को नागदा के चंबल नदी की चिंता हुई. राठौड़ बताते है कि, परिजनों से सुना है, एक दशक पहले मालवा की सभी नदियों में 12 माह पानी रहता था|
मालवा की नदियां १२ मासी कहलाती थी. पेड़ों की कटाई से नदियों की भरण क्षमता कम होने लगी है|
इंजीनियर गोपाल ने उज्जैन की नर्सरी से पौधे खरीदकर नागदा स्थित चंबल नदी के डेम नायन और हनुमान पाले के दोनों किनारों पर शुरू किया है. युवक की एक साल की मेहनत से नदी के दोनों किनारे मन को सुकून दे रहे हैं|