जून से कुछ महत्वपूर्ण सरकारी नियम बदल जाएंगे, जिसका असर देश की आम जनता पर पड़ेगा. इनमें इलेक्ट्रिक वाहनों और गैस सिलेंडर की कीमत में बदलाव शामिल हैं. इन कीमतों में बदलाव के अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक का ‘100 दिन 100 भुगतान’ अभियान भी 01 जून, 2023 से शुरू होगा. आइए जानते हैं 1 जून से क्या कुछ बदलने वाला है.
सिलेंडर के दाम
पेट्रोलियम और ऑयल मार्केटिंग कंपनियां हर महीने की शुरुआत में गैस सिलेंडर की कीमतें तय करती हैं. इसमें सस्ते और महंगे होने के दोनों चांसेस रहते हैं. सरकार पिछले दो महीने से कम इस्तेमाल होने वाले 19 किलो वाले कॉमर्शियल सिलेंडर में कीमतों में कटौती कर रही थी. हालांकि, रसोई गैस की कीमतों में इस दौरान 2 महीनों में कोई बदलाव नहीं देखा गया. ऐसे में इस महीने रसोई गैस की कीमतें बढ़ती या घटती हैं ये देखने वाली बात होगी.
100 दिन 100 भुगतान अभियान
12 मई को, सेंट्रल बैंक ने बैंकों के लिए ‘100 दिन 100 भुगतान’ अभियान की घोषणा की, ताकि ‘100 दिन’ के भीतर देश के हर जिले में प्रत्येक बैंक के शीर्ष ‘100 लावारिस जमा’ का पता लगाया जा सके और उसका निपटारा किया जा सके.
अभियान के तहत बैंक देश के हर जिले में 100 दिनों के भीतर प्रत्येक बैंक की शीर्ष 100 लावारिस जमा राशि का पता लगाएंगे और उनका निपटान करेंगे. इस उपाय से रिजर्व बैंक द्वारा बैंकिंग प्रणाली में दावा न की गई जमाराशियों की मात्रा को कम करने और ऐसी जमाराशियों को उनके सही मालिकों/दावेदारों को वापस करने के लिए चल रहे प्रयासों और पहलों के पूरक होने की उम्मीद है.
इलेक्ट्रिक टूव्हीलर महंगे हो जाएंगे
इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमतों में 01 जून, 2023 से बढ़ोतरी देखी जाएगी, क्योंकि सरकार ने FAME-II (भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण का तेजी से अपनाने) योजना के तहत प्रदान की जाने वाली सब्सिडी को कम कर दिया है, जो कि 1 जून, 2023 या उसके बाद के पंजीकृत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर लागू है. बता दें, सब्सिडी को 15 से घटाकर 10 रुपये कर दिया गया है. ऐसे में इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स 25 से 30 हजार रुपये तक महंगे हो सकते हैं.
खांसी की दवाई का परीक्षण
भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI)ने कफ सिरप के सैंपल की जांच कराने के लिए कहा है. यानी 1 जून से निर्यात से पहले सिरप का टेस्ट करवाना जरूरी हो जाएगा.विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक आधिकारिक नोटिस में कहा है कि खांसी की दवाई के निर्यातकों को 1 जून से प्रभावी उत्पाद निर्यात करने से पहले एक सरकारी प्रयोगशाला द्वारा जारी विश्लेषण का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा. सही पाए जाने के बाद ही निर्यात होगा.
भारतीय फर्मों द्वारा निर्यात किए जाने वाले खांसी के सिरप पर विदेशों में गुणवत्ता संबंधी चिंताएं जताए जाने के बीच यह बड़ा फैसला आया है.