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पेपर-स्ट्रिप कोविड-19 टेस्ट ‘फेलुदा’ को मंजूरी; जानिए वह सबकुछ जो जरूरी है

भारत के पहले पेपर-स्ट्रिप कोविड-19 टेस्ट ‘फेलुदा’ को मंजूरी
भारत में ड्रग रेगुलेटर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने आधे घंटे से भी कम समय में कोविड-19 की सही जांच रिपोर्ट देने वाले पेपर-बेस्ड टेस्ट स्ट्रिप को मंजूरी दे दी है। पेपर-स्ट्रिप कोविड-19 टेस्ट ‘फेलुदा’ को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) और टाटा ग्रुप की रिसर्च टीम ने बनाया है। टीम की अगुवाई डॉ. देबज्योति चक्रबर्ती और सौविक मैत्री ने की है। पेपर टेस्ट का नाम फिल्ममेकर सत्यजीत रे के काल्पनिक जासूसी चरित्र फेलुदा के नाम पर रखा गया है।
फेलुदा कोविड-19 टेस्ट आखिर क्या है?
फेलुदा FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay का शॉर्टफॉर्म है। स्वदेशी सीआरआईएसपीआई जीन-एडिटिंग टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखकर बनाया गया है। पेपर-स्ट्रिप कोविड-19 टेस्ट ‘फेलुदा’ नोवल कोरोनावायरस SARS-CoV2 के जेनेटिक मटेरियल की आसानी से पहचान कर उसे टारगेट करेगा।
India’s first CRISPR Covid-19 test FELUDA, developed by @IGIBSocial and @TataGroup has been approved for use in India by @DCGI. Congratulations to the entire team! @PMOIndia @drharshvardhan @PrinSciAdvGoI @shekhar_mande @ICMRDELHI @AnuragAgrawalMD @Debojyo04532898
— CSIR (@CSIR_IND) September 19, 2020
आरटी-पीसीआर टेस्ट के समान जांच रिपोर्ट देगा। फिलहाल पूरी दुनिया में आरटी-पीसीआर टेस्ट को कोविड-19 के डायग्नोसिस में गोल्ड स्टैंडर्ड समझा जा रहा है। फेलुदा की जांंच नतीजे जल्दी आते हैं और इसके उपयोग में होने वाला डिवाइस बेहद कम कीमत का है।
सीएसआईआर ने कहा,”फेलुदा टेस्ट नोवल कोरोनावायरस की पहचान करने में 96% सेंसिटिव और 98% स्पेसिफिक रहा है। यह दुनिया का पहला डायग्नोस्टिक टेस्ट है। यह वायरस की पहचा करने के लिए Cas9 प्रोटीन को लेता है।
CRISPR टेक्नोलॉजी क्या है?
सीआरआईएसपीआर (CRISPR) यानी क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रॉमिक रिपीट्स जीन एडिटिंग तकनीक है। CRISPR से जेनेटिक डिफेक्ट्स दूर किए जाते हैं। CRISPR टेक्नोलॉजी जीन में डीएनए के स्पेसिफिक सिकवेंस की पहचान करती है। बताया जा रहा है कि उक्त तकनीक का उपयोग भविष्य में अन्य बीमारियों को डायग्नोज करने में भी होगा। भारत के पहले अमेरिका ने मई में ही इमरजेंसी के दौर में कोविड-19 टेस्ट के लिए दुनिया के पहले CRISPR-बेस्ड टेस्ट की मंजूरी दी थी। जिसे मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने बनाया था।
https://t.co/MVWuwX0LOH The science behind FELUDA: high DNA binding specificity of FnCas9+ sgRNA-FAM & DNA-biotin on paper strip. FELUDA is aided by TOPSE, a smartphone app courtesy @AdiuvoDiag (Chennai) and JATAYU (https://t.co/90qrgjCqHX) (1/n). pic.twitter.com/0Qv1hketZv
— Debojyoti Chakraborty (@Debojyo04532898) September 20, 2020
फेलुदा कोविड-19 टेस्ट किस प्रकार कार्य करता है?
फेलुदा टेस्ट एक प्रकार की प्रेग्नेंसी स्ट्रिप टेस्ट की तरह ही कार्य करती है। टेस्ट के दौरान यदि आप संक्रमित है तो स्ट्रीप का कलर बदल जाएगा। इसका इस्तेमाल पैथ लैब में भी किया जा सकता है। डॉ. देबोज्योति चक्रबर्ती के अनुसार Cas9 प्रोटीन को बारकोड किया गया है जिससे वह मरीज के जेनेटिक मटेरियल में कोरोनावायरस सिकवेंस का आसानी से पता लगा लें। जिसके बाद Cas9-SARS-CoV2 कॉम्प्लेक्स को पेपर स्ट्रिप पर रखा जाता है, जहां दो लाइन (एक कंट्रोल, एक टेस्ट) बताती है कि मरीज को कोविड-19 है या नहीं।
अन्य टेस्ट की तुलना में फेलुदा टेस्ट की लागत क्या है?
एक फेलुदा टेस्ट पर 500 रुपए की राशि खर्च होगी, दूसरी ओर आरटी-पीसीआर टेस्ट पर 1,600 रुपए से 2,000 रुपए का खर्च आता हैं। एंटीबॉडी टेस्ट रिजल्ट 30 मिनट में आते हैं और उस पर 500 से 600 रुपए का खर्च है। रैपिड एंटीजन टेस्ट किट 30 मिनट में पॉजिटिव या निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट देती है, उसकी लागत 450 रुपए है।
ट्रूनेट टेस्ट के रिजल्ट 60 मिनट में आते हैं और किट की कीमत 1,300 रुपए है। कोविड-19 की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्टिंग सेंटर थे। आईसीएमआर ने TrueNat, CBNAAT, Abbott and Roche जैसे कार्टिज-बेस्ड टेस्ट को मंजूरी दी।
इसका नाम फेलुदा क्यों रखा गया?
फेलुदा यानी FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay है लेकिन बंगाली में सत्यजीत रे के प्रसिद्ध जासूसी किरदार का नाम यही है। डॉ. देबज्योति चक्रबर्ती ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे सत्यजीत रे के बड़े फैन हैं और यह नाम उनकी पत्नी ने पहली बार सुझाया था।
फेलुदा एक ऐसे शातिर दिमाग के तौर पर पहचान रखते हैं जो हाजिरजवाब है और जल्द ही किसी भी अपराध को सुलझा लेते हैं। जिसके चलते वैज्ञानिकों ने रैपिड कोविड-19 टेस्ट को यह नाम दिया।