महत्वपूर्ण जानकारी
- निर्जला एकादशी 2022
- सोमवार, 10 जून 2022
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 10 जून, 2022 पूर्वाह्न 07:25 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 11 जून, 2022 पूर्वाह्न 05:45 बजे
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है, इसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. वर्ष भर में कुल 24/25 एकादशी के व्रत होते है, जिसमे से हर माह 2 व्रत होते है इसी तरह जून में अपरा एकादशी के बाद निर्जला एकादशी का व्रत आता है. पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में सबसे पहले भीम ने इस व्रत को किया था. इसलिए इसे भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.
सभी एकादशियों की तरह निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) में भी व्रत की कथा (Vrat Katha) को सुनना और पढ़ना बहुत ही शुभ और लाभकारी माना जाता है. इस पोस्ट में हम आपको भीमसेनी निर्जला एकादशी 2022 की व्रत कहानी हिंदी में बताने वाले है – Nirjala Ekadashi 2022 Vrat Kahani In Hindi
भीमसेन निर्जला एकादशी 2022 की व्रत कहानी हिंदी में – Nirjala Ekadashi 2022 Vrat Kahani In Hindi
हिंदू धर्म में प्रचलित एक कथा के अनुसार महाभारत काल में सबसे पहले भीम ने इस व्रत को किया था. इसलिए इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है.
भीमसेनी एकादशी की सम्पूर्ण व्रत कहानी कुछ इस प्रकार है-
महाभारत काल में एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ‘’हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन मैं पूरा दिन भूख बरदाशत नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है.
भीम के विनम्र अनुरोध पर वेद व्यास जी ने प्रतिउत्तर में कहा- ‘’पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है. जो भी इंसान एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीए रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है. महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए.
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