Naga Sadhu : महिला नागा साधुओं की दुनिया काफी रहस्यमयी होती है. जब भी किसी के मन में महिला नागा साधु का नाम आता है तो कई तरह के सावाल होते हैं. हालांकि कई लोगों को लगता है कि पुरुष नागा साधुओं की तरह क्या महिला नागा साधु भी निर्वस्त्र रहती हैं. इस तरह के कई सवाल हर किसी के मन में होते हैं, लेकिन महिला नागा साधु की दुनिया का काला सच काफी खतरनाक होता है.
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प्रयागराज में माघ मेला का आयोजन चल रहा है और इसकी शुरुआत माघी पूर्णिमा से हो चुकी है। माघ मेले में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई जा रही है। इस मेले में दूर से ना केवल श्रद्धालु आते हैं बल्कि यह मेला अखाड़ों के साधु-संत और नागा साधुओं के आकर्षण का केंद्र भी बन रहा है। हालांकि कुंभ मेले की तरह इनकी संख्या कम है। नागा साधुओं के नाम पर हमारे विचारों में शरीर पर भस्म, बड़ी-बड़ी जटाएं और बिना कपड़ों के साधुओं का दल याद आता है लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि पुरुष नागा साधुओं की तरह महिला नागा साधु भी बनती हैं।
इस तरह बनती हैं महिला नागा साधु
महिला नागा साधु बनने से पहले किसी भी महिला का 6 से 12 वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जब कोई महिला ऐसा करने में सफल हो जाती है, तभी उनको गुरुओं द्वारा नागा साधु बनने की अनुमति मिलती है। साथ ही उनके पिछली जिंदगी के बारे में जानकारी निकाली जाती हैं। साथ ही उनको गुरुओं को विश्वास दिलाना पड़ता है कि वे इसके योग्य हैं। महिला नागा साधु के पंथ में शामिल होने की प्रक्रिया में कम से कम चार से छह साल लग जाते हैं।
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एक ही रंग का कपड़ा पहनती हैं महिला नागा साधु
बता दें कि महिला नागा साधु पुरुष नागा साधुओं की तरह निर्वस्त्र नहीं रहती हैं. क्योंकि महिला नागा साधुओं को कपड़े पहनने की छूट रहती है, लेकिन यह केवल एक ही रंग का कपड़ा पहन सकती हैं. महिला नागा साधु गेरुए रंग का वस्त्र धारण करती हैं और इसके साथ ही वह अपने माथे पर एक तिलक जरूर लगाती हैं. महिला नागा साधुओं को दूसरी साध्वियां माता कहकर पुकारती हैं. इसके अलावा इनके कई नाम हैं जिनमें नागिन, अवधूतानी कहकर भी उन्हें संबोधित किया जाता है.
इस दौरान नजर आती हैं महिला नागा साधु
महिला नागा साधु आम साधुओं की तरह नहीं रहती हैं वह हमेशा सामान्य दुनिया से दूर रहती हैं. इसके साथ ही वह भगवान की भक्ति में लीन रहती हैं. हालांकि वह एक तरह के खास मौके पर ही नजर आती हैं. महिला नागा साधु केवल कुंभ, महाकुंभ जैसे खास मौकों पर ही पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए सामने आती हैं और इस दौरान ही वह दर्शन देती हैं. इससे पहले वह सालों तक गुफाएं, जंगल और पहाड़ों में रहकर तपस्या करती हैं. महिला नागा साधुओं की दुनिया का एक काला सच ये भी है कि वह जिंदा रहते ही अपना पिंडदान कर देती हैं और अपना सिर मुंडवाती हैं. इसके बाद ही उन्हें गुरू द्वारा महिला नागा साधु की उपाधि मिलती है.