नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Department) इन दिनों जबरदस्त एक्शन में है. ईडी ने भ्रष्ट व्यापारियों, नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ लगातार छापे मारकर उनके भ्रष्टाचार पर न केवल लगाम लगाई है, बल्कि उनके करोड़ों रुपये नगद और अवैध संपत्ति को भी जब्त किया है. ईडी की इस कार्रवाई से एक तरफ देश में हड़कंप मचा हुआ है, तो दूसरी तरफ तारीफ भी हो रही है. मार्च 2022 के अंत तक ईडी के पास एक लाख करोड़ की संपत्ति अटैच है. यह संपत्ति उन मामलों से संबंधित है जो अभी विचाराधीन हैं. इन छापों के मद्देनजर सवाल यह उठता है कि आखिर ईडी जब्त कि हुई इस नगद राशि का करती क्या है? वह कौन सा ठिकाना है जहां खरबों की इस राशि को रखा जाता है?
गौरतलब है कि छापे के बाद अक्सर ईडी के अधिकारी बड़े-बड़े कंटेनर में रुपये ले जाते हुए दिखाई देते हैं. मीडिया के सामने जब्त किए नगद को ‘E’ और ‘D’ अक्षरों के आकार में रखा जाता है. पर सवाल यह है कि इतनी मात्रा में मिली नगद राशि का आखिर होता क्या है, वह कहां जाती है? जानकारी के मुताबिक, एक बार जब छापा पड़ गया और ईडी ने नगद रपये जब्त कर लिए, तो उसके बाद जांच अधिकारी उसे सीधे अपने कार्यालय ले जाते हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी कोई भी हो, चाहे ईडी हो, सीबीआई हो या इनकम टैक्स, इन सभी को मनी लॉन्ड्रिंग, घोटालों, कर अनियमतताओं और किसी भी तरह अनियमितता की स्थिति में छापा मारने और जब्त हुई किसी भी तरह की सामग्री, रुपयों या प्रॉपर्टी की जांच करने का अधिकार है.
यहां जाती है ईडी की जब्त राशि
नगद, सामग्री या प्रॉपर्टी की जब्ती के बाद उनका आंकलन किया जाता है. इसके बाद जब्त हुए सामान की बाकायदा एक विस्तृत रिपोर्ट या पंचनामा बनाकर फाइल किया जाता है. इसके बाद जब्त हुई नगद राशि को ईडी के किसी भी सरकारी बैंक अकाउंट में जमा कर दिया जाता है. यहां यह जानना जरूरी है कि अगर जब्त हुई राशि, सामान या जेवरात पर किसी भी तरह का निशान हो तो ईडी उसे सील किए हुए लिफाफे में रखती है, ताकि उसे सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सके.
मंत्री के करीबी पर कसा शिकंजा
ईडी ने शनिवार को मोबाइल गेमिंग एप में हुई जालसाजी को लेकर कोलकाता के व्यापारी पर शिकंजा कसा और 17 करोड़ रुपये जब्त किए. हाल ही में, ईडी ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्था चटर्जी के करीबी अर्पित मुखर्जी पर छापा मारकर 27 करोड़ नगद और सोना जब्त किया था. उससे पहले मई में जांच एजेंसी ने कई जगह छापामा कार्रवाई कर 20 करोड़ रुपये नगद जब्त किए थे. इन छापों की जद में झारखंड मनरेगा से संबंधित आईएएस पूजा सिंघल भी शामिल थीं. उन पर मनरेगा में बड़ा घोटाला और माइनिंग घोटाले का आरोप लगा.
27 गुना बढ़ी छापेमार कार्रवाई
बता दें, साल 2014 से 2022 तक ईडी की सर्च साल 2004 से 2014 के मुकाबले 27 गुना ज्यादा है. इसकी सर्च की संख्या 3010 है, जो 2004 से 2014 के बीच महज 112 थी. मार्च 2022 के अंत तक ईडी के पास एक लाख करोड़ की संपत्ति अटैच है. यह संपत्ति उन केसों से संबंधित है जो अभी विचाराधीन हैं, जबकि ईडी के पास 57 हजार करोड़ की जो अन्य संपत्ति है, वह पोंजी स्कैम और बैंक घोटाले से संबंधित है.
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